नई दिल्ली: बीजेपी ने पिछले लोकसभा चुनाव में शानदार जीत दर्ज करते हुए 303 सीटों पर कब्जा जमाया था। बीजेपी के सीटों का आंकड़ा 300 के पार था लेकिन कई राज्यों में पार्टी मुकाबले में नहीं थी। सिर्फ बीजेपी ही नहीं कांग्रेस भी इन राज्यों में मुकाबले से बाहर थी। लोकसभा की करीब 66 सीटें ऐसी थीं जहां न तो बीजेपी और न ही कांग्रेस मुख्य मुकाबले में दिखी। इन 66 सीटों पर सिर्फ क्षेत्रीय दलों का ही दबदबा था। पिछले चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन काफी खराब था लेकिन कुछ राज्य ऐसे भी थे जहां सिर्फ वही मुकाबले में थी। लोकसभा चुनाव 2019 के इन आंकड़ों पर गौर किया जाए तो 2024 के चुनाव में ये दोनों दल इन सीटों पर कोई खास असर डाल पाएंगे इसकी गुंजाइश कम दिखती है। इन 66 सीटों पर सिर्फ क्षेत्रीय दलों का ही बोलबाला
लोकसभा की 66 सीटें ऐसी है जहां क्षेत्रीय दलों का ही बोलबाला है। आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, मिजोरम और सिक्किम की 66 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां सिर्फ क्षेत्रीय दलों का ही दबदबा है। पिछले चुनाव की कुछ ऐसी ही कहानी है। दक्षिण के बड़े राज्य तमिलनाडु जहां लोकसभा की 39 सीटें हैं। पिछले चुनाव में इनमें से 12 सीटों पर ही कांग्रेस या बीजेपी का थोड़ा आधार दिखा। यह आधार भी क्षेत्रीय दलों के सहारे ही है। बीजेपी का तो खाता भी नहीं खुला था यहां। आंध्र और बाकी राज्यों को मिलाकर देखें तो 66 में से 58 सीटों पर क्षेत्रीय दलों को ही जीत मिली। इन सभी राज्यों में कांग्रेस को 8 तो वहीं बीजेपी का खाता भी नहीं खुला।
यह रिकॉर्ड भूलना चाहेगी बीजेपी
2019 के चुनाव में कांग्रेस का काफी खराब प्रदर्शन रहा। कई राज्यों में पार्टी का खाता भी नहीं खुला। हालांकि इस चुनाव में कुछ राज्य ऐसे थे जिसमें पार्टी ने बेहतर प्रदर्शन किया। कांग्रेस पार्टी केरल, लक्षद्वीप, नगालैंड, मेघालय और पुडुचेरी की 25 सीटों में से 20 पर पहले या दूसरे नंबर पर रही। कांग्रेस का यहां मुकाबला बीजेपी से नहीं था। इन जगहों पर बीजेपी कहीं लड़ाई में भी नहीं थी। बीजेपी के लिए परेशान करने वाली बात यह रही कि केरल की केवल एक सीट थी जहां बीजेपी को दूसरा स्थान हासिल हुआ था। इन 25 सीटों में से कांग्रेस को 17 सीटों पर जीत मिली वहीं अन्य को 8 सीटें मिलीं।
2024 बीजेपी का मिशन साउथ, क्या बनेगी बात
लोकसभा में बीजेपी के तीन बड़े राज्यों में कोई सांसद नहीं है। तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश... दक्षिण के इन तीन बड़े राज्यों में पिछले चुनाव में पार्टी का खाता भी नहीं खुला था। दक्षिण के राज्यों में बीजेपी के खाते में 29 सीटें आईं। इनमें अकेले 25 सीटें सिर्फ कर्नाटक से पार्टी को मिली। बीजेपी को उम्मीद है कि इस बार तमिलनाडु में उसका प्रदर्शन पिछले चुनाव के मुकाबले बेहतर होगा। पार्टी का खास फोकस मिशन साउथ पर है। वहीं कांग्रेस ने हाल ही में कर्नाटक विधानसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल की है और पार्टी के नेताओं का मानना है कि साउथ में उसका प्रदर्शन बेहतर रहेगा।
लोकसभा की 66 सीटें ऐसी है जहां क्षेत्रीय दलों का ही बोलबाला है। आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, मिजोरम और सिक्किम की 66 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां सिर्फ क्षेत्रीय दलों का ही दबदबा है। पिछले चुनाव की कुछ ऐसी ही कहानी है। दक्षिण के बड़े राज्य तमिलनाडु जहां लोकसभा की 39 सीटें हैं। पिछले चुनाव में इनमें से 12 सीटों पर ही कांग्रेस या बीजेपी का थोड़ा आधार दिखा। यह आधार भी क्षेत्रीय दलों के सहारे ही है। बीजेपी का तो खाता भी नहीं खुला था यहां। आंध्र और बाकी राज्यों को मिलाकर देखें तो 66 में से 58 सीटों पर क्षेत्रीय दलों को ही जीत मिली। इन सभी राज्यों में कांग्रेस को 8 तो वहीं बीजेपी का खाता भी नहीं खुला।
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2019 के चुनाव में कांग्रेस का काफी खराब प्रदर्शन रहा। कई राज्यों में पार्टी का खाता भी नहीं खुला। हालांकि इस चुनाव में कुछ राज्य ऐसे थे जिसमें पार्टी ने बेहतर प्रदर्शन किया। कांग्रेस पार्टी केरल, लक्षद्वीप, नगालैंड, मेघालय और पुडुचेरी की 25 सीटों में से 20 पर पहले या दूसरे नंबर पर रही। कांग्रेस का यहां मुकाबला बीजेपी से नहीं था। इन जगहों पर बीजेपी कहीं लड़ाई में भी नहीं थी। बीजेपी के लिए परेशान करने वाली बात यह रही कि केरल की केवल एक सीट थी जहां बीजेपी को दूसरा स्थान हासिल हुआ था। इन 25 सीटों में से कांग्रेस को 17 सीटों पर जीत मिली वहीं अन्य को 8 सीटें मिलीं।
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