ऐपशहर

प्रियदर्शन ने दिया मौका तो शुरू हुआ नया सफर: अक्षय कुमार

अक्षय बताते हैं, 'एक समय था जब मैं सिर्फ एक्शन फिल्में ही करता था और एक्शन फिल्मों में काम करके मैं बोर हो गया था। मुझे दूसरी फिल्मों में लिया ही नहीं जाता था।

संजय मिश्रा | नवभारतटाइम्स.कॉम 27 Jan 2017, 1:20 pm
अभिनेता अक्षय कुमार इन दिनों अपनी रिलीज के लिए तैयार फिल्म 'जॉली एल एल बी 2' के प्रमोशन में जुटे हैं। इसी सिलसिले में हुई नवभारतटाइम्स डॉट कॉम से मुलाकात में अक्षय ने अपनी फिल्म, तेजी से बदलती अपनी इमेज सहित कई और विषयों पर बात की। इस समय अलग-अलग तरह के किरदार निभा रहे अक्षय कहते हैं कि एक समय ऐसा भी था जब लोग उन्हें सिर्फ एक्शन फिल्मों के लिए ही बुलाते थे। जिस फिल्म में ऐक्टिंग का काम होता था उनका नाम वहां से हटा दिया जाता था। लेकिन निर्देशक प्रियदर्शन ने उन्हे अपनी फिल्मों में मौका देकर उनका नया और अलग सफर शुरू करवा दिया।
नवभारतटाइम्स.कॉम akshay kumar interview for the film jolly llb 2
प्रियदर्शन ने दिया मौका तो शुरू हुआ नया सफर: अक्षय कुमार


अक्षय बताते हैं, 'एक समय था जब मैं सिर्फ एक्शन फिल्में ही करता था और एक्शन फिल्मों में काम करके मैं बोर हो गया था। मुझे दूसरी फिल्मों में लिया ही नहीं जाता था। जब भी कोई एक्शन फिल्म बनती थी तो फिल्म बनाने वाले निर्देशक-निर्माता मेरा नाम पहले ही तय कर लेते थे लेकिन जब किसी फिल्म में अभिनय या कॉमिडी करने की बात होती तो मेरा नाम नहीं रखा जाता था। मैं तो निर्देशक प्रियदर्शन जी का बहुत शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने मुझ पर विश्वास किया और मुझे अपनी कॉमिडी और अभिनय दिखाने वाली फिल्मों में मौका दिया। प्रियदर्शन की फिल्मों में जब लोगों ने मेरा काम देखा तब मेरे लिए नया रास्ता खुल गया। इसके बाद ही मुझे अलग-अलग तरह के खूब रोल मिले।'

अक्षय इन दिनों 'हाउसफुल' सीरीज में जहां कॉमिडी कर रहे हैं वहीं 'एयरलिफ्ट' और 'रुस्तम' सहित कई और फिल्मों में देशभक्त से ओत-प्रोत मजबूत भूमिकाएं भी इसके अलावा 'जॉली एल एल बी 2' और 'टॉइलट एक प्रेम कथा' में अलग तरह का किरदार निभा रहे हैं। अपने इन किरदारों पर बात करते हुए अक्षय कहते हैं 'मेरे लिए हर तरह के किरदार करना बड़ा आसान है इसकी वजह है मैंने गांव की जिंदगी को भी देखा और जिया है और मेट्रो शहर की लाइफ भी जी रहा हूं, एक कमरे में 24 लोगों के साथ रहने का भी अनुभव है तो अब एक कमरे में अकेले रहने की भी जिंदगी का अनुभव है। मैं असल जिंदगी में हर तरह के माहौल में रहा हूं इस लिए मेरे लिए इन अलग-अलग किरदारों को निभाने में आसानी होती है।'

'जॉली एल एल बी 2' में वकील की भूमिका निभा रहे अक्षय देश में सालों पुराने केस की सुनवाई और फैसले की लेट-लतीफी पर कहते हैं,'यह बड़े ही अफसोस की बात है कि हमारे देश में अभी भी साढ़े तीन करोड़ केस के फैसले पेंडिंग है और हमारे पास सिर्फ 21हजार जज हैं। सबसे पहले तो जज की संख्या को बढ़ाना पड़ेगा। अब अगर मैं जज की संख्या और कोर्ट केस का गणित देखूं तो एक जज के हिस्से में लगभग 15 लाख केस आएंगे। उम्मीद है कि जल्द ही जज की संख्या बढ़ेगी और लंबित पड़े केस पर तेजी से काम होगा। बड़ी हैरानी तो तब होती है जब कभी-कभी रात में 2 या 3 बजे तक कोर्ट में केस चलते रहते हैं। कभी-कभी तो जज को 24 घंटे लगातार काम करना पड़ता है। इसकी वजह है कि हमारा कानून किसी भी केस में कोई गलत फैसला नहीं देना चाहता, इसलिए दो पक्षों और केस को ठीक से समझने और फैसला सुनाने में समय लगता है। किसी भी केस में फैसला सुनाना आसान काम नहीं है।'

अपनी फिल्म 'जॉली एल एल बी 2' के कोर्ट रूम ड्रामे को असल जिंदगी के बेहद करीब मानते हुए अक्षय कुमार कहते हैं, 'बहुत सी फिल्मों में अदालती कार्यवाही दिखाई जाती है जो असली नहीं होती। अब आजकल कोर्ट में किसी को बुलाने से पहले फलाने हाजिर हों... जैसा अनाउंसमेंट नहीं किया जाता। हमारी फिल्म 'जॉली एल एल बी 2' में हमने रियल कोर्ट रूम के काम-काज के तरीके को दिखाया है। हमारी फिल्म असल जिंदगी के काफी करीब है।'

'जॉली एल एल बी 2' की तुलना पहले भाग से करते हुए अक्षय कहते है, 'दोनों ही फिल्मों में सिर्फ निर्देशक सुभाष कपूर, जॉली का किरदार और इक्का-दुक्का कलाकार की समानता है बाकी सब अलग है। पहला भाग दिल्ली शहर में एक अलग केस पर आधारित है जबकि इस बार हम लखनऊ में अलग तरह के केस की कहानी कह रहे हैं।'

अक्षय अपनी फिल्मों के विषय और चुनाव की बात पर कहते हैं, 'देखिये मैं लोगों को सीख या सबक देने के लिए फिल्में नहीं बनाता हूं, बस कोशिश करता हूं की कहानी अच्छी हो। मेरी कोशिश होती है जिन फिल्मों में काम करूं वह कमर्शल हों, अब उससे लोग कुछ अच्छा सीख ले यह दर्शकों पर है। मेरी फिल्मों में मेरे किरदार पर मुझसे ज्यादा मेहनत और होमवर्क मेरे निर्देशक करते हैं मैं तो बस उन्हें फॉलो करता हूं क्योंकि मुझे साल में तीन से चार फिल्मों में काम करना होता है लेकिन जो फिल्म का निर्देशक होता है वह लंबे समय तक एक प्रॉजेक्ट से जुड़ा होता है। इसलिए मैं अपने डायरेक्टर को ध्यान से सुनता हूं और जो वह चाहते है वही करता हूं।'
लेखक के बारे में
संजय मिश्रा
"संजय मिश्रा (Sanjay Mishra Katyani) पिछले 17 सालों से फिल्म जर्नलिस्ट हैं। साल 2006 में दूरदर्शन से एक रिपोर्टर के तौर पर अपनी शुरुआत करने के बाद, लाइव इंडिया, मी मराठी, नेटवर्क 18 हिंदी, इंडिया टीवी और न्यूज़ एक्सप्रेस जैसे न्यूज़ चैनल के साथ 10 साल सक्रिय फिल्म रिपोर्टिंग की। साल 2015 में बुक माय शो के साथ जुड़कर डिजिटल/ऑनलाइन न्यूज़ की दुनिया में कदम रखा और बीबीसी हिंदी और जागरण डॉट कॉम के साथ कार्य किया। साल 2016 से टाइम्स ऑफ इंडिया परिवार, नवभारत टाइम्स डॉट कॉम का हिस्सा बन गए। एनबीटी में 2016 से प्रिंसिपल डिजिटल कंटेंट प्रड्यूसर के रूप में कार्यरत। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के रहने वाले संजय मिश्रा का जन्म और पढ़ाई-लिखाई मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में हुई।... और पढ़ें

अगला लेख

Entertainmentकी ताजा खबरें, ब्रेकिंग न्यूज, अनकही और सच्ची कहानियां, सिर्फ खबरें नहीं उसका विश्लेषण भी। इन सब की जानकारी, सबसे पहले और सबसे सटीक हिंदी में देश के सबसे लोकप्रिय, सबसे भरोसेमंद Hindi Newsडिजिटल प्लेटफ़ॉर्म नवभारत टाइम्स पर
ट्रेंडिंग