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बाबूजी की कविताओं को कम्पोज़ कर रहा हूं: अमिताभ बच्चन

'बाबू जी की कविताओं को संगीत से सजाकर उसी सुर और ताल में कम्पोज़ करना और गाना चाहता हूं, जिस सुर में बाबू जी खुद सुनाते थे। मैंने मधुशाला को रिकॉर्ड कर लिया है..'

संजय मिश्रा | नवभारतटाइम्स.कॉम 14 May 2018, 1:03 pm
सदी के महानायक अमिताभ बच्चन इन दिनों फिल्मों में ऐक्टिंग, ब्लॉग लिखने जैसे कई और काम के साथ-साथ अपने पिता हरिवंशराय बच्चन की कविताओं को सुर में पढ़ने और संगीत से सजाने का काम भी कर रहे हैं। अमिताभ ने अपनी फिल्म '102 नॉट आउट' के सक्सेस प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि उन्होंने पिता की सबसे फेमस कविता 'मधुशाला' को संगीत से सजाकर तैयार कर लिया है और अब दूसरी कविताओं पर काम कर रहे हैं।
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बाबूजी की कविताओं को कम्पोज़ कर रहा हूं: अमिताभ बच्चन


उसी सुर और ताल में कम्पोज़ करना चाहता हूं, जिस सुर में बाबू जी खुद सुनाते थे

अमिताभ बताते हैं, 'मैं पिछले कई महीनों से संगीत को लेकर विस्तार में काम कर रहा हूं। बाबू जी की कविताएं हैं, जिनको मैं संगीतबद्ध कर रहा हूं। बाबू जी की कविताओं को संगीत से सजाकर उसी सुर और ताल में कम्पोज़ करना और गाना चाहता हूं, जिस सुर में बाबू जी खुद सुनाते थे। मैंने मधुशाला को रिकॉर्ड कर लिया है, हो सकता है एक-आध महीने में आपके सामने पेश भी करूंगा। बहुत सी दूसरी कविताओं को पढ़ा और संगीत के साथ सजाया भी है।'

कविताओं को संगीत में सजाकर पेश करें, तो हो सकता है कि आज की युवा पीढ़ी को पसंद आए

साहित्य और कविताओं से दूर होती युवा पीढ़ी के लिए अमिताभ ने कहा, 'मुझे ऐसा लगता है आज की जो युवा पीढ़ी है उनको साहित्य, कविताओं जैसी चीजों में उतनी दिलचस्पी नहीं है, अगर हम उन्ही कविताओं को अच्छी तरह संगीत में सजाकर पेश करें, तो हो सकता है कि आज की युवा पीढ़ी को पसंद आए।'

ऑटो ट्यूनर में डाल दीजिए, बेसुरा गाइए, गाना सुरीला बन जाएगा

अमिताभ आगे कहते हैं, 'कहीं न कहीं म्यूजिक के साथ मेरा लगाव हमेशा से रहा है, इसी वजह से यह सब कर पा रहा हूं। संगीत से तो सबको लगाव होता है। आप भी कभी बैठिए स्टूडियो में। आजकल तो वैसे भी बहुत आसान हो गया है। ऑटो ट्यूनर में डाल दीजिए, बेसुरा गाइए, गाना सुरीला बन जाएगा। बाद में उसको म्यूजिक से सजा देते हैं तो बढिया गाना बन जाता है।'

'मिस्टर नटवरलाल' में मेरा गाया हुआ पहला गाना था

अपने सबसे पहले गाने के बारे में अमिताभ बताते हैं, 'फिल्म मिस्टर नटवरलाल में एक गाना था, मेरे पास आओ मेरे दोस्तों... वह मेरा गाया हुआ पहला गाना था। पहली बार जब फिल्म के निर्देशक राकेश कुमार ने मुझसे यह गाना गाने के लिए कहा तो मैंने इनकार कर दिया था, बाद में किसी तरह वह गाना हो गया, लोगों को पसंद भी आया और बाद में लोग मुझे आगे भी गाना गाने के लिए कहते थे तो मैं जाता रहा।'

होली के मौके पर मैं रंग बरसे... और मेरे अंगने में... गाया करता था

अमिताभ आगे बताते हैं, 'मेरे घर में होली का त्यौहार खूब धूम-धाम से मनाया जाता रहा है। उस मौके पर घर में निर्देशक यश चोपड़ा और प्रकाश मेहरा भी आते थे। होली के मौके पर मैं रंग बरसे... और मेरे अंगने में... गाया करता था। यश जी और प्रकाश जी को दोनों गाने इतने पसंद आए की मेरे बहुत मना करने के बाद भी उन्होंने अपनी-अपनी फिल्मों में इन गानों को इस्तेमाल किया और दोनों गाने सुपरहिट हो गए और ऐसे शुरू हो गया संगीत के साथ मेरा रिश्ता।'

मैंने करण जौहर को कहा, यार तुम्हारा गाना अच्छा नहीं लग रहा है

फिल्म 'बागबान' और 'कभी खुशी कभी गम' के गाने के बारे में अमिताभ ने बताया, 'बाद में मेरे स्वर्गीय दोस्त आदेश श्रीवास्तव के साथ मैं खाली समय में उनके स्टूडियो में बातचीत के दौरान कई धुनें रिकॉर्ड करता था। फिल्म बागबान आई तो मैंने खुद कहा कि हमको भी फिल्म में गाने का मौका दो और बागबान में गाना हो गया। इसी तरह कभी खुशी कभी गम के दौरान करण जौहर ने कोई और गाना बनाया था, मैंने फिल्म के निर्देशक करण जौहर को कहा यार यह तुम्हारा गाना अच्छा नहीं लग रहा है। करण ने कहा अब तो शूटिंग है, तो मैंने एक दिन का टाइम लेकर आदेश के साथ शावा-शावा गाना तैयार किया।'

यंग जनरेशन के लिए बनाया था 'बडुम्बा'

'102 नॉट आउट' में 'बडुम्बा' गाने के बारे में अमिताभ बताते हैं, 'जब फिल्म की शूटिंग ख़त्म हो गई तो मैंने फिल्म के निर्देशक को कहा कि मुझे फिल्म में एक गाने की कमी लग रही है। यंग जनरेशन शायद फिल्म देखने न आए... क्योंकि उनके लिए फिल्म में कुछ नहीं है। क्या हम फिल्म में कोई एक खुशी वाला गाना रख सकते हैं। उमेश ने कहा फिल्म में कहीं पर भी गाने के लिए कोई जगह नहीं है। मैंने कहा कि एक गाना बनाकर सुनाऊं क्या? उन्होंने कहा बनाइए। बस इस तरह गाना बन गया उमेश को अच्छा लगा।'
लेखक के बारे में
संजय मिश्रा
"संजय मिश्रा (Sanjay Mishra Katyani) पिछले 17 सालों से फिल्म जर्नलिस्ट हैं। साल 2006 में दूरदर्शन से एक रिपोर्टर के तौर पर अपनी शुरुआत करने के बाद, लाइव इंडिया, मी मराठी, नेटवर्क 18 हिंदी, इंडिया टीवी और न्यूज़ एक्सप्रेस जैसे न्यूज़ चैनल के साथ 10 साल सक्रिय फिल्म रिपोर्टिंग की। साल 2015 में बुक माय शो के साथ जुड़कर डिजिटल/ऑनलाइन न्यूज़ की दुनिया में कदम रखा और बीबीसी हिंदी और जागरण डॉट कॉम के साथ कार्य किया। साल 2016 से टाइम्स ऑफ इंडिया परिवार, नवभारत टाइम्स डॉट कॉम का हिस्सा बन गए। एनबीटी में 2016 से प्रिंसिपल डिजिटल कंटेंट प्रड्यूसर के रूप में कार्यरत। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के रहने वाले संजय मिश्रा का जन्म और पढ़ाई-लिखाई मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में हुई।... और पढ़ें

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