'देश में निकला होगा चांद' और 'मेंहदी तेरे नाम' की जैसे सीरियल्स के लिए मशहूर ऐक्ट्रेस संगीता घोष ने टीवी शो ‘रिश्तों का चक्रव्यूह’ से एक बार फिर छोटे पर्दे पर वापसी की है। पिछले कुछ सालों से चुनिंदा टीवी शोज कर रहीं संगीता इस सीरियल में पहली बार नकारात्मक किरदार निभा रही हैं। पेश है उनसे हुई एक खास बातचीत :
आप टीवी की आदर्श बहुओं में से एक रही हैं। फिर 'रिश्तों का चक्रव्यूह' में नकारात्मक किरदार करने का फैसला क्यों किया?
दरअसल, कुछ सालों से मैं नेगेटिव रोल करना चाह रही थी लेकिन ऐसा कोई किरदार नहीं आ रहा था, जिसे करने का मेरा मन करे। जब ये रोल ऑफर किया गया, तो मैंने काफी सोचा। क्या है ना कि इतने सालों से पॉजिटिव रोल करने के बाद मैं भी कुछ नया करना चाह रही थी। मैं देखना चाहती थी कि मैं नेगेटिव रोल निभा सकती हूं या नहीं।
मगर आमतौर पर टीवी के फीमेल नेगेटिव किरदार एक ही ढर्रे पर गढ़े जाते हैं, चालाक, लाउड, हीरोइन की जिंदगी में जहर घोलने वाली महिला टाइप के?
आप सही कह रही हैं, लेकिन यह सिर्फ नेगेटिव नहीं, पॉजिटिव किरदारों पर भी लागू होता है। जैसे हीरोइन अच्छे स्वभाव, अच्छे संस्कार की होगी, बड़ों का आदर करेगी, बेचारी के ऊपर सारे पहाड़ टूट रहे होंगे। वहीं जो नेगेटिव किरदार होगी, वो उस पर पहाड़ तोड़ रही होगी। वैसे टीवी ही नहीं, फिल्मों में भी नेगेटिव किरदार का काम पॉजिटिव किरदार की जिंदगी की मुश्किलें बढ़ाना ही होता है। फिर भी इस शो में जो मेरा सुधा का किरदार है, उसकी अपनी बड़ी वजह है कि ऐसा करने की। वह दूसरे की जिंदगी बर्बाद नहीं कर रही है, वह अपनी लाइफ में चीजें ठीक करना चाहती है। इस वजह से दूसरे की जिंदगी खराब हो रही है।
पिछले कुछ सालों में आपके दो शोज के बीच काफी गैप रहने लगा है। इस ब्रेक की क्या वजह है?
इसकी वजह यह है कि मुझे ब्रेक लेना अच्छा लगता है। मुझे बैक टु बैक काम करना नहीं अच्छा लगता। मुझे सोना, घूमना, बाहर जाना, लोगों से मिलना, ये सब बहुत पसंद है। जब शूटिंग होती है, तब ये सब करने का मौका नहीं मिल पाता। तब तो घर से सेट और सेट से घर, यही लाइफ बन जाती है। फैमिली टाइम, फ्रेंड्स, पर्सनल टाइम, कुछ नहीं मिलता। इसलिए जब भी कोई शो खत्म होता है, तो मैं ब्रेक लेती हूं और कुछ नया सीखती हूं। इतना ही नहीं, बैक टु बैक काम करने से मुझमें वो एनर्जी और एक्साइटमेंट भी नहीं रहती है। मैं शोज तभी करती हूं, जब मैं टेलिविजन को मिस करती हूं। वरना मेरा मन ही नहीं करता, क्योंकि शूटिंग की कंडीशंस भी बहुत अच्छी नहीं होती हैं। आप कभी घंटों शूट करते हैं, तो कभी तबीयत ठीक ना हो, तब भी आपको शूटिंग करनी पड़ती है, इसलिए मैं काम के बीच ब्रेक लेना पसंद करती हूं।
जैसा कि आपने कहा, आप ऐक्टिंग से ब्रेक लेकर नई-नई चीजें सीखती हैं। तो अब तक क्या-क्या सीखा आपने?
मैंने जब-जब गैप लिया, कभी डांस सीखा, कभी कुकिंग सीखी। अब मैं घुड़सवारी सीखना चाहती हूं। इस बार के ब्रेक में मैंने ट्रैवल बहुत किया। अपने ससुराल की साइड के रिश्तेदारों से मिली। उसके अलावा पेट्स रखे, उनकी देखभाल की। एक हाउसवाइफ, जैसे पूरे घर की देखभाल करती है, वो मैंने लाइफ में कभी नहीं किया था। यह भी मैंने पहली बार किया, तो मुझे अच्छा लगा। तो ऐसे कई काम करने का मुझे पहली बार मौका मिलता है।
वैसे ज्यादातर देखा जाता है कि एक्ट्रेसेज को शादी और मदरहुड के बाद ब्रेक लेना ही पड़ता है, जबकि ऐक्टर्स के लिए यह बाध्यता नहीं होती। इस बारे में आपकी क्या राय है?
ऐसा इसलिए है, क्योंकि हमारे प्रफेशन में हमें एक खास तरह से दिखना होता है। जब आप एक किरदार निभाते हो स्क्रीन पर, तो आपको वैसा ही दिखना होता है। इतना ही नहीं, मां होने के नाते आप खुद अपने बच्चे के साथ वक्त बिताना चाहती हैं। मेरा अभी कोई बेबी नहीं है, लेकिन मुझे लगता है कि जब मैं मां बनूंगी, तो मैं भी ज्यादा से ज्यादा टाइम अपने बच्चे को देना चाहूंगी, क्योंकि मां और बच्चे का जो रिश्ता होता है वह अलग ही होता है।
इस शो में आप एक जवान लड़के की मां बनी हैं। उसे लेकर कोई हिचकिचाहट नहीं हुई?
नहीं, नहीं, क्योंकि हर शो में मैं मां बनी हूं। जब मैंने पंद्रह साल पहले ‘देश में निकला होगा चांद’ किया था, उसमें भी मैं मां ही बनी थी। इसमें मुझे कोई दिक्कत नहीं है, बशर्ते मेरा किरदार महत्वपूर्ण हो।
आप टीवी की आदर्श बहुओं में से एक रही हैं। फिर 'रिश्तों का चक्रव्यूह' में नकारात्मक किरदार करने का फैसला क्यों किया?
दरअसल, कुछ सालों से मैं नेगेटिव रोल करना चाह रही थी लेकिन ऐसा कोई किरदार नहीं आ रहा था, जिसे करने का मेरा मन करे। जब ये रोल ऑफर किया गया, तो मैंने काफी सोचा। क्या है ना कि इतने सालों से पॉजिटिव रोल करने के बाद मैं भी कुछ नया करना चाह रही थी। मैं देखना चाहती थी कि मैं नेगेटिव रोल निभा सकती हूं या नहीं।
मगर आमतौर पर टीवी के फीमेल नेगेटिव किरदार एक ही ढर्रे पर गढ़े जाते हैं, चालाक, लाउड, हीरोइन की जिंदगी में जहर घोलने वाली महिला टाइप के?
आप सही कह रही हैं, लेकिन यह सिर्फ नेगेटिव नहीं, पॉजिटिव किरदारों पर भी लागू होता है। जैसे हीरोइन अच्छे स्वभाव, अच्छे संस्कार की होगी, बड़ों का आदर करेगी, बेचारी के ऊपर सारे पहाड़ टूट रहे होंगे। वहीं जो नेगेटिव किरदार होगी, वो उस पर पहाड़ तोड़ रही होगी। वैसे टीवी ही नहीं, फिल्मों में भी नेगेटिव किरदार का काम पॉजिटिव किरदार की जिंदगी की मुश्किलें बढ़ाना ही होता है। फिर भी इस शो में जो मेरा सुधा का किरदार है, उसकी अपनी बड़ी वजह है कि ऐसा करने की। वह दूसरे की जिंदगी बर्बाद नहीं कर रही है, वह अपनी लाइफ में चीजें ठीक करना चाहती है। इस वजह से दूसरे की जिंदगी खराब हो रही है।
पिछले कुछ सालों में आपके दो शोज के बीच काफी गैप रहने लगा है। इस ब्रेक की क्या वजह है?
इसकी वजह यह है कि मुझे ब्रेक लेना अच्छा लगता है। मुझे बैक टु बैक काम करना नहीं अच्छा लगता। मुझे सोना, घूमना, बाहर जाना, लोगों से मिलना, ये सब बहुत पसंद है। जब शूटिंग होती है, तब ये सब करने का मौका नहीं मिल पाता। तब तो घर से सेट और सेट से घर, यही लाइफ बन जाती है। फैमिली टाइम, फ्रेंड्स, पर्सनल टाइम, कुछ नहीं मिलता। इसलिए जब भी कोई शो खत्म होता है, तो मैं ब्रेक लेती हूं और कुछ नया सीखती हूं। इतना ही नहीं, बैक टु बैक काम करने से मुझमें वो एनर्जी और एक्साइटमेंट भी नहीं रहती है। मैं शोज तभी करती हूं, जब मैं टेलिविजन को मिस करती हूं। वरना मेरा मन ही नहीं करता, क्योंकि शूटिंग की कंडीशंस भी बहुत अच्छी नहीं होती हैं। आप कभी घंटों शूट करते हैं, तो कभी तबीयत ठीक ना हो, तब भी आपको शूटिंग करनी पड़ती है, इसलिए मैं काम के बीच ब्रेक लेना पसंद करती हूं।
जैसा कि आपने कहा, आप ऐक्टिंग से ब्रेक लेकर नई-नई चीजें सीखती हैं। तो अब तक क्या-क्या सीखा आपने?
मैंने जब-जब गैप लिया, कभी डांस सीखा, कभी कुकिंग सीखी। अब मैं घुड़सवारी सीखना चाहती हूं। इस बार के ब्रेक में मैंने ट्रैवल बहुत किया। अपने ससुराल की साइड के रिश्तेदारों से मिली। उसके अलावा पेट्स रखे, उनकी देखभाल की। एक हाउसवाइफ, जैसे पूरे घर की देखभाल करती है, वो मैंने लाइफ में कभी नहीं किया था। यह भी मैंने पहली बार किया, तो मुझे अच्छा लगा। तो ऐसे कई काम करने का मुझे पहली बार मौका मिलता है।
वैसे ज्यादातर देखा जाता है कि एक्ट्रेसेज को शादी और मदरहुड के बाद ब्रेक लेना ही पड़ता है, जबकि ऐक्टर्स के लिए यह बाध्यता नहीं होती। इस बारे में आपकी क्या राय है?
ऐसा इसलिए है, क्योंकि हमारे प्रफेशन में हमें एक खास तरह से दिखना होता है। जब आप एक किरदार निभाते हो स्क्रीन पर, तो आपको वैसा ही दिखना होता है। इतना ही नहीं, मां होने के नाते आप खुद अपने बच्चे के साथ वक्त बिताना चाहती हैं। मेरा अभी कोई बेबी नहीं है, लेकिन मुझे लगता है कि जब मैं मां बनूंगी, तो मैं भी ज्यादा से ज्यादा टाइम अपने बच्चे को देना चाहूंगी, क्योंकि मां और बच्चे का जो रिश्ता होता है वह अलग ही होता है।
इस शो में आप एक जवान लड़के की मां बनी हैं। उसे लेकर कोई हिचकिचाहट नहीं हुई?
नहीं, नहीं, क्योंकि हर शो में मैं मां बनी हूं। जब मैंने पंद्रह साल पहले ‘देश में निकला होगा चांद’ किया था, उसमें भी मैं मां ही बनी थी। इसमें मुझे कोई दिक्कत नहीं है, बशर्ते मेरा किरदार महत्वपूर्ण हो।