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मां ने लड़कों की तरह मेरी परवरिश की थी: आशा पारेख

'एक बार एक चीनी फैन मेरा खूब पीछा करता था। वह मेरे घर के गेट से हट ही नहीं रहा था। मैं जहां जिस स्टूडियो शूटिंग करने जाती मेरे पीछे-पीछे आ जाता था। उस फैन की दीवानगी ने मुझे परेशान कर दिया था।'

संजय मिश्रा | नवभारतटाइम्स.कॉम 26 Apr 2017, 1:38 pm
हिंदी सिनेमा की बेहतरीन अभिनेत्री और समाज सेविका आशा पारेख ने अपने जमाने में एक के बाद एक लगातार कई हिट फिल्में दी। यही वजह है कि उन्हें 'हिट गर्ल' का नाम मिला। अब जब उन्होंने अपनी ऑटोबायॉग्रफी लिखी तो उन्होंने अपनी किताब का नाम भी 'द हिट गर्ल आशा पारेख' रखा। मुंबई में उनकी किताब का विमोचन सलमान खान ने किया। अब 30 अप्रैल को दिल्ली में आमिर खान उनकी ऑटोबायॉग्रफी लॉन्च करेंगे।
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मां ने लड़कों की तरह मेरी परवरिश की थी: आशा पारेख


नवभारतटाइम्स डॉट कॉम से हुई खास बातचीत में आशा पारेख ने कहा, 'जी हां मुंबई के बाद अब दिल्ली में भी मेरी किताब 'द हिट गर्ल' का विमोचन होगा। दिल्ली में आमिर खान मेरी ऑटोबायॉग्रफी लॉन्च करेंगे। दिल्ली में होने वाले समारोह में कोई राजनेता शामिल नहीं हो रहे है। बस पब्लिशर्स की ओर से उनके कुछ मेहमान आने वाले है और बॉलिवुड से मेरे कुछ दोस्त शामिल होंगे।'

सालों से फिल्मों से दूरी बना चुकी आशा पारेख के चाहने वालों की आज भी कोई कमी नहीं आई है। वह बताती हैं, 'आज भी मेरे फैंस मुझ से जुड़े हुए है। मेरी एक फैन तो आज भी मेरे लिये खाने की चीजें घर भेजती है और यह मेरा सौभाग्य है। मुझे आज भी याद है कि एक बार एक चीनी फैन मेरा खूब पीछा करता था। वह मेरे घर के गेट से हट ही नहीं रहा था। मैं जहां जिस स्टूडियो शूटिंग करने जाती मेरे पीछे-पीछे आ जाता था। रात-दिन मेरे घर के गेट के पास ही रहता था। उस फैन की दीवानगी ने मुझे परेशान कर दिया था। कई बार मुझे डर भी लगता था। परेशान होकर मैंने उसे घर के सामने से हटाने के लिए पुलिस की सहायता ली थी।'

शुरू से ही बोल्ड-बेबाक अंदाज, आजाद खयाल, मजबूत इरादों और खुद्दार व्यक्तित्व वाली आशा पारेख कहती हैं, 'आज मैं जो भी हूं अपनी मां की वजह से हूं। अपनी सफलता का सारा श्रेय मैं अपनी मां को देती हूं। मेरी मां ने मुझे लड़की की तरह नहीं बल्कि लड़कों की तरह पाला है। मेरी मां अपने समय की बहुत ही मजबूत महिला रही हैं। जब भी कोई महत्वपूर्ण निर्णय लेना होता था तो मैं अपनी मां से सलाह लेती थी, यदि उनकी हां होती तभी मैं आगे बढ़ती थी।'

आशा पारेख आगे कहती हैं, 'मैं खुद बहुत ही अनुशासन प्रिय रही हूं। मुझे काम बहुत मिलता था लेकिन मैं वही काम करती थी जिसके लिए मैं खुद कन्वेंस होती थी। मेरी मां ने मुझे आगे बढ़ाकर नृत्य सीखने की अनुमति दी थी और उस जमाने में जब फिल्मों में काम करना अच्छा नहीं माना जाता था, मेरी मां ने मुझे फिल्मों में काम करने के लिए भी कभी नहीं रोका। आज उन्हें मिस करती हूं। क्योंकि घर का सारा काम वही देखती थीं। मेरा प्रोफेशनल काम भी वह अच्छी तरह से संभाल लिया करती थी। जब मैं अपने माता-पिता के बारे में अपनी किताब में लिख रही थी तब मैं बहुत इमोशनल हो कर रो पड़ी थी।'
लेखक के बारे में
संजय मिश्रा
"संजय मिश्रा (Sanjay Mishra Katyani) पिछले 17 सालों से फिल्म जर्नलिस्ट हैं। साल 2006 में दूरदर्शन से एक रिपोर्टर के तौर पर अपनी शुरुआत करने के बाद, लाइव इंडिया, मी मराठी, नेटवर्क 18 हिंदी, इंडिया टीवी और न्यूज़ एक्सप्रेस जैसे न्यूज़ चैनल के साथ 10 साल सक्रिय फिल्म रिपोर्टिंग की। साल 2015 में बुक माय शो के साथ जुड़कर डिजिटल/ऑनलाइन न्यूज़ की दुनिया में कदम रखा और बीबीसी हिंदी और जागरण डॉट कॉम के साथ कार्य किया। साल 2016 से टाइम्स ऑफ इंडिया परिवार, नवभारत टाइम्स डॉट कॉम का हिस्सा बन गए। एनबीटी में 2016 से प्रिंसिपल डिजिटल कंटेंट प्रड्यूसर के रूप में कार्यरत। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के रहने वाले संजय मिश्रा का जन्म और पढ़ाई-लिखाई मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में हुई।... और पढ़ें

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