'बधाई हो' ऐक्ट्रेस सुरेखा सीकरी (Surekha Sikri) अब हमारे बीच नहीं रहीं। 76 साल की सुरेखा सीकरी (Surekha Sikri demise) का आज 16 जुलाई 2021 की सुबह कार्डिएक अरेस्ट से निधन हो गया। फिल्मों और टीवी सीरियल में बाहर से कड़क मिजाज और अंदर से मौजूद प्यार का एहसास उन्होंने खुब दिलाया और अपनी लाजवाब अदाकारी की बदौलत वह सबके दिलों में बसती थीं। उन्होंने अपनी हर भूमिका को काफी खूबसूरती से जिया और हर किरदार पर भारी पड़ी हैं। हालांकि, सुरेखा ने कभी फिल्मों में टीवी इंडस्ट्री में जाने का सपना नहीं देखा था।
सुरेखा सीकरी का जन्म 19 अप्रैल 1945 को नई दिल्ली में हुआ था और वह शुरू से ही पत्रकार या लेखिका बनना चाहती थीं। जी हां, सुरेखा बचपन से ही पत्रकार बनने का सपना देखा करती थीं, लेकिन किस्मत ने उनके लिए कुछ और ही तय कर रखा था। वह पढ़ाई में भी काफी अच्छी थीं। सुरेखा उन दिनों अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी में पढ़ती थीं। उनके कॉलेज में एक बार अब्राहम अलकाजी साहब पहुंचे और एक नाटक प्रस्तुत किया जिसका नाम 'द किंग लियर था'। कहते हैं इस नाटक ने सुरेखा की बहन को खूब इम्प्रेस किया और उन्होंने अपने लिए नैशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में दाखिला लेने का मन बना लिया। फिर एनएसडी का फॉर्म भी आ गया, लेकिन यह कई दिनों तक पड़ा रहा। इसके बाद सुरेखा की मां ने उनसे कहा कि इस फॉर्म को वही क्यों नहीं भर लेतीं।
सुरेखा ने मां की बात मान ली, फॉर्म भरा और उनका सिलेक्शन भी हो गया। इसके सुरेखा ने काफी समय तक थियेटर किया। टीवी की दुनिया में वह 'बालिका वधु' के अलावा 'बनेगी अपनी बात', 'परदेस में है मेरा दिल', 'एक था राजा एक थी रानी', 'केसर', 'कभी कभी' और 'जस्ट मोहब्बत' जैसे सीरियलों में दमदार अंदाज में नजर आईं। टीवी शो 'बालिका वधू' में निभाए अपने दादी सा के किरदार से वह घर-घर में मशहूर हो गईं।
सुरेखा ने फिल्मों की दुनिया में भी अच्छा-खासा नाम कमाया है। वह कई बेहतरीन फिल्मों का हिस्सा रही हैं। 'बधाई हो' उनकी शानदार फिल्मों में से एक है, जिसमें वह हर किरदार पर खूब भारी पड़ी हैं। इसके अलावा वह, 'नसीब', 'सरदारी बेगम', 'दिल्लगी', 'नजर', 'जुबेदा', 'रेन कोट', 'तुमसा नहीं देखा', 'हमको दीवाना कर गए', और 'घोस्ट स्टोरीज' जैसी कई बेहतरीन फिल्मों में नजर आईं।
सुरेखा सीकरी का जन्म 19 अप्रैल 1945 को नई दिल्ली में हुआ था और वह शुरू से ही पत्रकार या लेखिका बनना चाहती थीं। जी हां, सुरेखा बचपन से ही पत्रकार बनने का सपना देखा करती थीं, लेकिन किस्मत ने उनके लिए कुछ और ही तय कर रखा था। वह पढ़ाई में भी काफी अच्छी थीं। सुरेखा उन दिनों अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी में पढ़ती थीं। उनके कॉलेज में एक बार अब्राहम अलकाजी साहब पहुंचे और एक नाटक प्रस्तुत किया जिसका नाम 'द किंग लियर था'। कहते हैं इस नाटक ने सुरेखा की बहन को खूब इम्प्रेस किया और उन्होंने अपने लिए नैशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में दाखिला लेने का मन बना लिया। फिर एनएसडी का फॉर्म भी आ गया, लेकिन यह कई दिनों तक पड़ा रहा। इसके बाद सुरेखा की मां ने उनसे कहा कि इस फॉर्म को वही क्यों नहीं भर लेतीं।
सुरेखा ने मां की बात मान ली, फॉर्म भरा और उनका सिलेक्शन भी हो गया। इसके सुरेखा ने काफी समय तक थियेटर किया। टीवी की दुनिया में वह 'बालिका वधु' के अलावा 'बनेगी अपनी बात', 'परदेस में है मेरा दिल', 'एक था राजा एक थी रानी', 'केसर', 'कभी कभी' और 'जस्ट मोहब्बत' जैसे सीरियलों में दमदार अंदाज में नजर आईं। टीवी शो 'बालिका वधू' में निभाए अपने दादी सा के किरदार से वह घर-घर में मशहूर हो गईं।
सुरेखा ने फिल्मों की दुनिया में भी अच्छा-खासा नाम कमाया है। वह कई बेहतरीन फिल्मों का हिस्सा रही हैं। 'बधाई हो' उनकी शानदार फिल्मों में से एक है, जिसमें वह हर किरदार पर खूब भारी पड़ी हैं। इसके अलावा वह, 'नसीब', 'सरदारी बेगम', 'दिल्लगी', 'नजर', 'जुबेदा', 'रेन कोट', 'तुमसा नहीं देखा', 'हमको दीवाना कर गए', और 'घोस्ट स्टोरीज' जैसी कई बेहतरीन फिल्मों में नजर आईं।