ऐपशहर

Ishani Agarwal: पॉकेट मनी से डेढ़ लाख रुपये इकट्ठा किए, 10वीं की इस स्‍टूडेंट ने गरीब बच्‍चों के लिए बनवाई लाइब्रेरी

15 साल की ईशानी अग्रवाल को पढ़ने लिखने का शौक है। जो बच्‍चे धन के अभाव में पढ़ नहीं पाते, उनको लेकर ईशानी को दुख होता है। इसलिए उसने अपनी पॉकेट मनी से करीब डेढ़ लाख रुपये जुटाए और एक पब्लिक लाइब्रेरी खोल दी। गाजियाबाद प्रशासन ने भी उसका पूरा साथ दिया है।

Edited byवैभव पांडे | नवभारत टाइम्स 18 Aug 2022, 1:12 pm
गाजियाबाद: 10वीं क्लास में पढ़ने वाली ईशानी (Ishani agarwal) को ऐसे बच्चों को शिक्षा दिलाने का जुनून है, जो पैसे की कमी में पढ़ नहीं पाते। 15 वर्षीय ईशानी ने इसके लिए अपनी पॉकेट मनी से लाइब्रेरी बनवाई है। इस जुनून को पूरा करने में एडीएम प्रशासन ऋतु सुहास मददगार बनी हैं। ईशानी के पिता ने अपनी बेटी की इस इच्छा के बारे में उन्हें बताया था तो ऋतु ने डासना स्थित एक सरकारी पुराने भवन को लाइब्रेरी खोलने के लिए दे दिया। इस पर ईशानी ने अपने जन्मदिन में गिफ्ट और एकत्र की गई पॉकेट मनी से डेढ़ लाख रुपये से किताबें खरीदी और उसे लाइब्रेरी के रूप में तैयार कर दिया। अब 'किताब घर' के नाम से शुरू यह लाइब्रेरी उन बच्चों के लिए मददगार बन रही है, जिनके पैरंट्स महंगी किताबों का बोझ नहीं उठा पाते। आजादी के अमृत महोत्सव के मौके पर डीएम राकेश कुमार सिंह ने इस किताब घर को देखा और ईशानी व उनके पैरंट्स को प्रशासन से हर प्रकार की संभव मदद देने का आश्वासन दिया। उन्होंने इस प्रयास के लिए ईशानी को शाबासी भी दी।
नवभारतटाइम्स.कॉम public-library
ईशानी अग्रवाल डीएम राकेश कुमार के साथ


प्रशासन ने दिया पुराना भवन

एडीएम ने बताया कि करीब 3 महीने पहले ईशानी से उनकी मुलाकात एक कार्यक्रम में उसके माता-पिता ने कराई थी। तब ईशानी ने कहा था कि वह अपनी पॉकेट मनी से ऐसे बच्चों के लिए कुछ करना चाहती हैं, जो आर्थिक तंगी के कारण शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। ईशानी ने अपने जन्मदिन, त्योहारों व अन्य किसी रूप में मिलने वाली पॉकेट मनी को जोड़कर करीब डेढ़ लाख रुपये इकट्ठा किए थे। उन्होंने एक पुराने भवन में लाइब्रेरी खोलने की परमिशन दे दी। इसमें एक साथ 35 बच्चे आसानी से पढ़ सकते हैं।

पढ़ने-लिखने की शौकीन है ईशानी
ईशानी ने अपने पैरंट्स की मदद से भवन को दुरुस्त कराया और अपनी एकत्र मनी से किताबें खरीदकर लाइब्रेरी चालू कर दी। ईशानी अग्रवाल बताती हैं कि उसे पढ़ने लिखने का शौक है, लेकिन मन में बच्चों को पैसों के अभाव में शिक्षा से वंचित देखकर कष्ट होता है। इस लाइब्रेरी में जब वह बच्चों को पढ़ते हुए देखती हैं तो उसे और उसके पैरंट्स को सुकून मिलता है। दिल्ली के प्रीत विहार में रहने वाली ईशानी अग्रवाल के पिता आकाश प्रॉपर्टी कारोबारी हैं। मां सिरौना अग्रवाल एक प्राइवेट स्कूल में डायरेक्टर हैं।
लेखक के बारे में
वैभव पांडे
नवभारत टाइम्‍स डिजिटल में असिस्‍टेंट न्‍यूज एडिटर। ग्रेजुएशन तक साइंस स्‍टूडेंट। इसके बाद मीडिया में पोस्‍ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई। लखनऊ से पत्रकारिता का सफर शुरू हुआ जो वाया आगरा, दिल्‍ली-NCR फिर नवाबों के शहर आ पहुंचा है। लंबे समय तक दैनिक जागरण प्रिंट में काम किया। अब 'न्‍यू मीडिया' की बारीकियों को समझने का सिलसिला जारी है।... और पढ़ें

अगला लेख

Good Newsकी ताजा खबरें, ब्रेकिंग न्यूज, अनकही और सच्ची कहानियां, सिर्फ खबरें नहीं उसका विश्लेषण भी। इन सब की जानकारी, सबसे पहले और सबसे सटीक हिंदी में देश के सबसे लोकप्रिय, सबसे भरोसेमंद Hindi Newsडिजिटल प्लेटफ़ॉर्म नवभारत टाइम्स पर