चंडीगढ़: हरियाणा के फतेहाबाद जिले की रहने वाली एक बुजुर्ग महिला ने साहसिक मिसाल पेश की है। गांव चिंदड़ की रहने वाली चावली देवी(chawli devi) करीब 80 साल की हैं। जिन्होंने ढाई करोड़ कीमत की साढ़े 12 एकड़ जमीन गोशाला के नाम कर दी है। दरअसल यह सब करना चावली देवी के लिये इतना आसान नहीं था। इसके लिये बाकायदा उन्होंने बीते रविवार को जीते जी अपना ही मृत्यु भोज करवाया। वहीं इस दौरान गांव के साथ-साथ आसपास के लोग भी काफी संख्या में शामिल हुए। चावली देवी के इस हौंसले को सभी सलाम कर रहे हैं और वे गांव के लिये नजीर बनी हुई हैं।
चावली देवी के नहीं है कोई संतान
80 साल की चावली देवी की कोई संतान नहीं है। दरअसल चावली देवी के पति मनीराम ढाका के पास करीब साढ़े 21 एकड़ जमीन थी। वहीं संतान न होने के कारण उन्होंने 9 एकड़ जमीन अपने ज्येष्ठ के बेटे के नाम कर दी। जो कि अब हिसार में रहता है। चावली देवी बताती हैं कि बाकी 12 एकड़ जमीन बांटने की बात आई तो अपनों ने खुद लेने की बजाय उसे गोशाला में दान करने की बात कही। इसके बाद चावली देवी ने बिना ज्यादा सोचे 12 एकड़ जमीन गोशाला कमेटी के नाम कर दी।
गोशाला से काफी पहले से जुड़ी हैं चावली
गोशाला कमेटी के सदस्य बताते हैं कि चावली देवी ने जमीन दान देने के पहले से ही गोशाला से जुड़ी हुई हैं। कमेटी के सदस्यों की मानें तो अक्सर गोशाला में जब कथा का आयोजन होता था तब लाखों रुपये दान कर दिया करती थीं। चावली ने गोशाला में शेड का भी निर्माण करवाया था, जिसमें काफी लागत आई थी। बता दें कि गांव चिंदड़ की गोशाला में फिलहाल करीब 700 गोवंशी हैं। गोशाला के लिये चावली देवी के जमीन दान देने के बाद अब 12 एकड़ जमीन मिल जाने से चारा व अन्य फसल पैदा करने में आसानी होगी।
जिंदा रहते करवाया अपना ही मृत्यु भोजचावली देवी की बड़ोपल गांव में गोशाला कमेटी के सदस्यों के साथ बैठी हुई। इस दौरान गांव चिंदड़ की रहने वाली 80 वर्षीय चावली देवी ने जीवित काज (मृत्यु उपरांत भोज) कराने का निर्णय लिया। आमतौर पर किसी की मृत्यु पर उसके वारिस अथवा स्वजन मृत्यु-भोज करते हैं। लेकिन चावली देवी का हौंसला ऐसा कि गोशाला को जमीन दान करने के लिये उन्होंने जीवित काज (मृत्यु उपरांत भोज) का निर्णय लिया। वहीं अगले सप्ताह डीसी इस जमीन पर गोशाला का शिलान्यास करेंगे। इसके साथ ही चावली देवी की हौंसलाफजाई करते हुए गांव वालों के सामने उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा।
चावली देवी के नहीं है कोई संतान
80 साल की चावली देवी की कोई संतान नहीं है। दरअसल चावली देवी के पति मनीराम ढाका के पास करीब साढ़े 21 एकड़ जमीन थी। वहीं संतान न होने के कारण उन्होंने 9 एकड़ जमीन अपने ज्येष्ठ के बेटे के नाम कर दी। जो कि अब हिसार में रहता है। चावली देवी बताती हैं कि बाकी 12 एकड़ जमीन बांटने की बात आई तो अपनों ने खुद लेने की बजाय उसे गोशाला में दान करने की बात कही। इसके बाद चावली देवी ने बिना ज्यादा सोचे 12 एकड़ जमीन गोशाला कमेटी के नाम कर दी।
गोशाला से काफी पहले से जुड़ी हैं चावली
गोशाला कमेटी के सदस्य बताते हैं कि चावली देवी ने जमीन दान देने के पहले से ही गोशाला से जुड़ी हुई हैं। कमेटी के सदस्यों की मानें तो अक्सर गोशाला में जब कथा का आयोजन होता था तब लाखों रुपये दान कर दिया करती थीं। चावली ने गोशाला में शेड का भी निर्माण करवाया था, जिसमें काफी लागत आई थी। बता दें कि गांव चिंदड़ की गोशाला में फिलहाल करीब 700 गोवंशी हैं। गोशाला के लिये चावली देवी के जमीन दान देने के बाद अब 12 एकड़ जमीन मिल जाने से चारा व अन्य फसल पैदा करने में आसानी होगी।
जिंदा रहते करवाया अपना ही मृत्यु भोजचावली देवी की बड़ोपल गांव में गोशाला कमेटी के सदस्यों के साथ बैठी हुई। इस दौरान गांव चिंदड़ की रहने वाली 80 वर्षीय चावली देवी ने जीवित काज (मृत्यु उपरांत भोज) कराने का निर्णय लिया। आमतौर पर किसी की मृत्यु पर उसके वारिस अथवा स्वजन मृत्यु-भोज करते हैं। लेकिन चावली देवी का हौंसला ऐसा कि गोशाला को जमीन दान करने के लिये उन्होंने जीवित काज (मृत्यु उपरांत भोज) का निर्णय लिया। वहीं अगले सप्ताह डीसी इस जमीन पर गोशाला का शिलान्यास करेंगे। इसके साथ ही चावली देवी की हौंसलाफजाई करते हुए गांव वालों के सामने उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा।