Please enable javascript.यश ढुल ने लगाई सेमीफाइनल में शानदार सेंचुरी: yash dhull semifinal century in under-19 world cup

Yash Dhull U-19 WC: यश ढुल का सफर, 11 साल की उम्र में मिला पहला मौका और उसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा

Authored byArani Basu | Edited byभारत मल्होत्रा | टाइम्स न्यूज नेटवर्क 4 Feb 2022, 9:00 am

यश ढुल का सफर कमाल का रहा है। उनकी बल्लेबाजी का स्टाइल बहुत ज्यादा पावर-हिटिंग पर निर्भर नहीं है। वह टच प्ले पर ज्यादा निर्भर करते हैं। ढुल को देखकर दिग्गजों ने कहना शुरू कर दिया है कि भारतीय क्रिकेट सुरक्षित हाथों में है।

हाइलाइट्स

  • अंडर-19 वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंच गई भारतीय टीम
  • सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ढुल ने लगाई थी सेंचुरी
  • भारतीय टीम के प्रदर्शन को लेकर दिग्गज बेहद खुश
  • भारतीय टीम का फाइनल में इंग्लैंड से होगा मुकाबला
yash-dhull
नई दिल्ली: बुधवार को भारत ने जब ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अंडर-19 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में टॉस जीतकर बल्लेबाजी करने का फैसला किया तो कई लोगों को हैरानी हुई। कूलीज की पिच का स्वभाव दो मैचों में काफी अलग रहा था। ढुल के लिए मुश्किलें इसके बाद और बढ़ीं जब वह खुद बल्लेबाजी करने क्रीज पर उतरे। स्कोर था 13 ओवरों में 37 रन पर दो विकेट।
लेकिन इसके बाद धीरे-धीरे बदला। अगले 33 ओवरों में दर्शकों ने एक शानदार वनडे पारी देखी। पारी को सही तरीके से रफ्तार दी। उन्होंने 110 रन की पारी खेली। इस पारी ने भारत की बड़ी जीत का आधार रखा। शनिवार को अब भारत और इंग्लैंड के बीच टूर्नमेंट का फाइनल मैच खेला जाएगा।

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ढुल के क्रिकेट सफर की शुरुआत 11 साल की उम्र में हुई। इसमें भी एक चुनौती थी। वह बाल भवन स्कूल में गए। वहीं वह बीते 8 साल से अपने हुनर को मांझ रहे है। यहीं अकादमी में उन्हें पहली बार मौका मिला और तब से वह लगातार बेहतर होते जा रहे हैं। शुरुआत में प्रिंसिपल ने उन्हें मौका नहीं दिया था।

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उनके बचपन के कोच राजेश नागर याद करते हैं, 'यश ने मौकों के लिए बहुत अनुरोध किया। वह खुद को साबित करना चाहता था। लेकिन हम फिर हमने उन्हें एक मैच में मौका देने का फैसला किया। और उन्हें बता दिया कि उन्हें सिर्फ यही एक मौका मिलेगा। उन्होंने अंडर-14 टीम के खिलाफ मुकाबला खेला। इस मुकाबले में उन्होंने नाबाद 125 रन बनाए।'

यश का क्रिकेटिंग दिमाग बहुत तेज है और चीजों को बहुत गंभीरता से लेते हैं। वह बहुत तेजी से बदलाव भी करते हैं। टीम में ऐसे कई खिलाड़ी हैं जो दबाव नहीं लेते और एक समय पर एक मैच पर ध्यान लगाते हैं।
यश के पिता

नागर के हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि इसके बाद यश की सबसे बड़ी खूबी सामने आई। उन्होंने बताया, 'मैच के बाद प्रिंसिपल ने उन्हें 500 रुपये इनाम के तौर पर दिए और पूछा कि वह इन पैसों का क्या करेंगे। यश ने कहा कि वह इससे अपने टीम के साथी खिलाड़ियों को पार्टी देंगे क्योंकि क्रिकेट में कामयाबी टीम पर निर्भर करती है।'

ढुल का पूरा परिवार अपने बेटे के क्रिकेट करियर को लेकर समर्पित था। लेकिन इसके बाद भी उन्होंने कभी भी इस बात में दखल नहीं दी कि उन्हें किस तरह कोचिंग दी जा रही है। कोच ने कहा, 'उनके दादा सेना में काम करते थे और यही अनुशासन उनमें भी है। वह कम बोलता है और जानता है कि उसे क्या करना है।'

अंडर-19 स्तर पर अपनी पहचान बनाने के बाद असली चुनौती आई। साल 2020 में पहला लॉकडाउन लगा। जूनियर नैशनल सिलेक्टर ज्ञानेंद्र पांडे ने उन्हें बताया था कि उस साल अंडर-19 टीम के चयन के लिए उनके नाम पर विचार किया जा सकता है। लेकिन सब कुछ वहीं ठहर गया।

भारत की अंडर-19 बैटिंग उच्च-स्तरीय लगती है। भारतीय टीम का भविष्य सुरक्षित नजर आता है। यश ढुल सबसे अलग नजर आते हैं।
माइकल वॉन, इंग्लैंड के पूर्व कप्तान

यश के पिता विजय ने कहा, 'हम अपने टैरेस पर नेट लगाया और टेनिस बॉल से कुछ खास तरह के शॉट्स पर काम करना शुरू कर दिया। उनके कोच ने उन्हें रूटीन दिया और वह छत पर ही अपनी फिटनेस पर काम करने लगा। इसी दौरान उन्हें कवर्स के ऊपर से इनसाइड आउट शॉट में महारत हासिल की।'

विजय ने आगे कहा, 'उन्होंने 2020 में ज्यादा मैच खेलने का मौका नहीं मिला और लय हासिल करने में कुछ वक्त लगा। वह दिल्ली की सीनियर टीम में भी अपना दावा पेश कर सकता था लेकिन उसने हालात को पहचाना और अपने अपना काम करता रहा।'

ढुल अपने कुछ साथी बल्लेबाजों से अलग हैं। वह पावर-हिटिंग पर बहुत ज्यादा निर्भर नहीं करते। उन्होंने अपने टच-प्ले पर काम किया है। लेट कट, समझदारी के साथ खेले गए चिप-शॉट उसके मुख्य हथियार हैं। और इसे वह विपक्षी टीम को बैकफुट पर धकेल देते हैं।

भारत की अंडर-19 का शानदार प्रदर्शन। लगातार चौथी बार फाइनल में। पिछले कुछ एडिशन से अलग इस बार हमारी टीम के पास कोई फर्स्ट क्लास अनुभव नहीं है।
आकाश चोपड़ा, पूर्व भारतीय क्रिकेटर

नागर ने कहा, 'वह कम उम्र से ही वह गैप में शॉट मारने और लगातार रन बनाने में यकीन करते हैं। वह जानते हैं कि अगर वह लंबी पारी खेलेंगे तो रनगति बढ़ा सकते हैं। उन्होंने अपनी पावर हिटिंग पर काम किया है। पिछले साल उन्होंने अकेले अपने दम पर एक क्लब मैच इसी अंदाज में खेलते हुए जितवाया था। उस टीम में दिल्ली के कई नामी क्रिकेटर शामिल ते। प्रदीप सांगवान ने मुझे कहा था कि इस लड़के का खास ख्याल रखने को कहा था।'

इसी अंदाज ने उन्हें बुधवार को सेमीफाइनल में कामयाबी दिलाई। ढुल ने मैच के बाद कहा था, 'मेरा और रशीद का प्लान लंबे वक्त तक बल्लेबाजी की जाए और यह तरीका काम कर गया। हमारी योजना थी कि आराम से बल्लेबाजी की जाए और बहुत ज्यादा शॉट ट्राय न किए जाएं। और इसी तरह 40वें ओवर तक बल्लेबाजी की जाए।'

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सबसे मुश्किल चुनौती उस समय आई थी जब वह कोविड-19 संक्रमित हो गए थे। टूर्नमेंट के दूसरे मैच की सुबह ही रिपोर्ट आई थी। नागर ने कहा, 'वह एक दिन परेशान रहे। आयरलैंड और युगांडा के खिलाफ मैचों में रन बनाने का अच्छा मौका ता। लेकिन अगले ही दिन उनका रवैया बदल गया। उन्होंने इस बारे में बात करनी शुरू कर दी कि नॉकआउट में वह कैसे अच्छा प्रदर्शन करने के लिए तैयार हो सकते हैं।' ढुल ने चीजों को बदला, और क्या कमाल बदला!
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