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कोरोना के नए रूप से डरना नहीं है! एम्‍स डायरेक्‍टर बोले- हर महीने दो बार म्‍यूटेट होता है वायरस

Dr Randeep Guleria On New Coronavirus Strain: एम्‍स डायरेक्‍टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा कि यूके में मिले कोविड स्‍ट्रेन को इतनी हायतौबा इसलिए मची क्‍योंकि वह ज्‍यादा संक्रामक था।

टाइम्स न्यूज नेटवर्क 26 Dec 2020, 9:08 am

हाइलाइट्स

  • ब्रिटेन में मिला है कोरोना वायरस का नया स्‍ट्रेन, 70% ज्‍यादा संक्रामक
  • एम्‍स दिल्‍ली के निदेशक बोले- वायरस का म्‍यूटेशन चिंता की बात नहीं
  • औसतन हर महीने दो बार म्‍यूटेट हो रहा है कोरोना, लक्षण नहीं बदले हैं
  • गुलेरिया ने कहा- इलाज में बदलाव नहीं, वैक्‍सीन असर करनी चाहिए
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निशा नाम्बियार, पुणे
दिल्‍ली एम्‍स के डायरेक्‍टर डॉ रणदीप गुलेरिया का कहना है कि कोविड-19 के नए स्‍ट्रेन्‍स को लेकर बेवजह चिंता नहीं करनी चाहिए। उन्‍होंने शुक्रवार को कहा कि कोरोना वायरस कई बार म्‍यूटेट हो चुका है, हर महीने औसतन दो बार। टीओआई से बातचीत में गुलेरिया ने कहा, "म्‍यूटेशंस की वजह से लक्षणों और इलाज की रणनीति में कोई बदलाव नहीं आया है। वर्तमान डेटा के अनुसार, ट्रायल फेज की वैक्‍सीन (जिन्‍हें इमर्जेंसी अथॅराइजेशन मिलना है) नए (यूके) स्‍ट्रेन पर भी असरदार होनी चाहिए।"
गुलेरिया ने कहा क‍ि भारत के लिए कोविड से लड़ाई में अगले छह-आठ हफ्ते बेहद अहम हैं क्‍योंकि मामले और मौतें, दोनों घट रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि यूके वाले स्‍ट्रेन को लेकर इतना अलर्ट केवल इसलिए हुआ क्‍योंकि म्‍यूटेटेड वायरस ज्‍यादा संक्रामक था। उन्‍होंने कहा, "इसकी वजह से अस्‍पताल में और ज्‍यादा वक्‍त नहीं रहना पड़ता। ना ही इसके चलते ज्‍यादा मौतें होती हैं। पिछले 10 महीनों के दौरान कई म्‍यूटेशंस हुए हैं और यह बेहद आम है।"


'वायरस म्‍यूटेशन का वैक्‍सीन पर असर नहीं'
एम्‍स डायरेक्‍टर ने इस संभावना को नकार दिया कि म्‍यूटेशंस का असर वैक्‍सीन पर होगा। उन्‍होंने कहा, "अगर जरूरत पड़ी तो मैनुफैक्‍चरर्स वैक्‍सीन में बदलाव कर उसे वायरस में आए बड़े परिवर्तन के खिलाफ प्रभावी बना सकते हैं। अभी, वायरस में कोई बड़ा बदलाव नहीं दिखाई देता। तो मुझे नहीं लगता कि हमें वैक्‍सीन में कोई बदलाव करने की जरूरत है।"

कोरोना का नया रूप बेहद संक्रामक, युवाओं को बना सकता है निशाना

भारत में इंटरनैशनल फ्लाइट्स जारी रखने को लेकर गुलेरिया ने कहा कि अगर इन्‍हें शुरू किया जाता है तो यह सुनिश्चित होना चाहिए कि भारत आकर पॉजिटिव टेस्‍ट होने वाले कम से कम 10% लोगों की जीन सीक्‍वेंसिंग की जाए। अभी छह-सात लैबोरेटरीज में जीन सीक्‍वेंसिंग हो रही है। गुलेरिया ने कहा कि हम देश आधारित म्‍यूटेशन डेटा भारत की लैबोरेटरीज को देने की सोच रहे हैं।


'जुलाई तक देश में आ जाएंगी 6-7 वैक्‍सीन'दुनियाभर में 50 से ज्‍यादा वैक्‍सीन क्लिनिकल ट्रायल्‍स में हैं। गुलेरिया ने कहा कि भारत में अगले साल जुलाई तक छह-सात टीके उपलब्‍ध हो जाने चाहिए। पर्याप्‍त डेटा के साथ, लंबे समय तक टिकने वाली वैक्‍सीन भी डिवेलप की जा सकती है। गुलेरिया ने कहा, "अभी फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए वैक्‍सीन मुफ्त होगी और केंद्र सरकार उसका खर्च वहन करेगी।" कोविड-19 के खिलाफ हर्ड इम्‍युनिटी की संभावनाओं पर गुलेरिया ने कहा कि राज्‍यों में और सीरोलॉजिकल सर्वे कराने की योजना है ताकि ये पता चल सके कि कितने लोगों में वायरस के प्रति ऐंटीबॉडीज डिवेलप हो चुकी हैं।

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