कोलकाता, दो मई :: कोलकाता में 233 साल पुरानी एशियाटिक सोसायटी ने समय के साथ चलने के लिए अपनी 50 हजार से ज्यादा पांडुलिपियों और एक लाख से अधिक पत्रिकाओं तथा प्रकाशनों का डिजिटीकरण करना शुरू कर दिया है। एशियाटिक सोसायटी के महासचिव डॉ. सत्यब्रत चक्रवर्ती ने पीटीआई से कहा कि गत वर्ष दिसंबर में शुरू हुई डिजिटीकरण की प्रक्रिया तीन चरणों में पूरी की जाएगी। चक्रवर्ती ने कहा, पहले चरण में केवल पुरानी पांडुलिपियों का डिजिटीकरण किया जाएगा। कोलकाता की इस प्रमुख संस्था ने किताबों और पांडुलिपियों का डिजिटीकरण करने में देरी कर दी। यहां तक कि मुंबई की 211 वर्ष पुरानी एशियाटिक सोसायटी ने 2015 में ही एक लाख किताबों और 2,500 पांडुलिपियों का डिजिटीकरण शुरू कर दिया था। एशियाटिक सोसायटी की स्थापना सर विलियम जोन्स ने 15 जनवरी 1784 को थी। इसके पास 100 साल से भी ज्यादा पुरानी करीब 52,000 पांडुलिपियां है जिनका पहले चरण में डिजिटीकरण किया जाएगा। इन पांडुलिपियों में कुरान की पांडुलिपि और पादशानामा पांडुलिपि भी शामिल हैं जिसपर शहंशाह शाहजहां का हस्ताक्षर है। एशियाटिक सोसायटी के पास ऐतिहासिक और भारत से संबंधित अन्य कामों का बड़ा संग्रह है जिसमें संस्कृत, अरबी, पर्शियन और उर्दू की पांडुलिपियां भी शामिल हैं। चक्रवर्ती ने कहा कि पहले चरण के डिजिटीकरण के जून में समाप्त होने की संभावना है और दूसरे चरण का काम जुलाई के अंत तक शुरू होगा।
एशियाटिक सोसायटी ने शुरू किया पांडुलिपियों, किताबों का डिजिटीकरण
कोलकाता, दो मई :भाषा: कोलकाता में 233 साल पुरानी एशियाटिक सोसायटी ने समय के साथ चलने के लिए अपनी 50 हजार से ज्यादा पांडुलिपियों और एक लाख से अधिक पत्रिकाओं तथा प्रकाशनों का डिजिटीकरण करना शुरू कर दिया है।
नवभारतटाइम्स.कॉम 2 May 2017, 11:15 am