लखनउ, तीन फरवरी :भाषा: वे भले ही अपनी हुकूमत खो चुके हों, लेकिन राजकाज चलाने की ख्वाहिश अब भी उनके लिये बेहद अहमियत रखती है। शायद यही वजह है कि शाही और रियासती खानदान के अनेक नुमाइंदे इस बार भी उत्तर प्रदेश के हाई वोल्टेज विधानसभा चुनाव में एक बार फिर जनता के दरबार में खड़े हैं। रामपुर रियासत के नवाब काजिम अली खां पांचवीं बार विधायक बनने के लिये स्वार सीट से बसपा के टिकट पर मैदान में हैं। इस सीट पर उनका मुकाबला रामपुर शाही खानदान के मुखर विरोधी वरिष्ठ मंत्री आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम से है। अब्दुल्ला पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। वैसे, राजशाही खत्म होने के बाद सियासत के जरिये हुकूमत की चाबी हासिल करने के लिये चुनाव मैदान में उतरने का शगल कोई नयी बात नहीं है। नवाब काजिम के पिता नवाब जुल्फिकार अली खां और मां बेगम नूर बानो रामपुर से लोकसभा सांसद भी रह चुके हैं। नूर महल के नाम से मशहूर काजिम का भव्य आशियाना कभी कांग्रेस की गतिविधियों का केन्द्र हुआ करता था। इसी तरह, आगरा में भदावर राजवंश की रानी पक्षालिका सिंह भाजपा के टिकट पर एक बार फिर खैरागढ़ सीट से चुनाव लड़ रही हैं। वह वर्ष 2012 में भी सपा के टिकट पर इसी सीट से चुनाव लड़ी थीं, लेकिन उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था। रानी पक्षालिका के ससुर राजा महेन्द्र रिपु दमन सिंह आगरा की बाह सीट से चार बार विधायक रहे। वहीं, उनके पति राजा महेन्द्र अरिदमन सिंह फिलहाल इस सीट से विधायक हैं। वह प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार में मंत्री भी रहे लेकिन उन्हें बाद में बर्खास्त कर दिया गया था। वह हाल ही में भाजपा में शामिल हुए हैं।
विधानसभा चुनाव : एक बार फिर रियाया के दर पर शाही खानदानों के नुमाइंदे
लखनउ, तीन फरवरी :भाषा: वे भले ही अपनी हुकूमत खो चुके हों, लेकिन राजकाज चलाने की ख्वाहिश अब भी उनके लिये बेहद अहमियत रखती है। शायद यही वजह है कि शाही और रियासती खानदान के अनेक नुमाइंदे इस बार भी उत्तर प्रदेश के हाई वोल्टेज विधानसभा चुनाव में एक बार फिर जनता के दरबार में खड़े हैं।
नवभारतटाइम्स.कॉम 3 Feb 2017, 3:01 pm