आरटीआई आवदेन में त्रुटियों को कारण बताते हुए जानकारी नहीं दी गई थी ।
आरटीआई शोधार्थी सलीम बेग ने 23 जून 2014 को सूचना का अधिकार के माध्यम से बिहार राज्य अल्पसंख्यक आयोग से जून 2009 से जून 2014 तक की अवधि के दौरान अल्पसंख्यकों को उनके अधिकारों एवं हितों से वंचित रखने को लेकर प्राप्त एवं निस्तारित शिकायतों की संख्या का ब्यौरा मांगा था ।
आरटीआई में शिकायतों के निपटारे के दौरान दंडित किये गए लोगों एवं शिकायतकर्ताओं को प्रदान की गई क्षतिपूर्ति की जानकारी भी मांगी गयी थी ।
जानकारी नहीं मिलने पर सलीम बेग ने 2014 में प्रथम और द्वितीय अपील दायर की थी । राज्य सूचना आयोग ने जुलाई 2016 में द्वितीय आवेदन की जांच करने के बाद कहा था कि इसमें प्रथम अपील दायर करने संबंधी पावती नहीं है, साथ ही द्वितीय अपील शुल्क का भुगतान नहीं किया गया है।
इसके बाद, बिहार सूचना आयोग के निबंधक उपेंद्र कुमार ने 18 अगस्त 2022 को आवेदक को भेजे प्रपत्र में कहा कि राज्य सूचना आयोग ने वाद संख्या 131670/14-15 के तहत दायर मामले की द्वितीय अपील/शिकायत की समीक्षा के क्रम में त्रुटियां पाई हैं ।
इस संबंध में वादी मुरादाबाद स्थित आरटीआई शोधार्थी सलीम बेग को प्रारंभिक/संक्षिप्त सुनवाई के लिये राज्य मुख्य सूचना आयुक्त के न्यायालय में 5 सितंबर 2022 को डिजिटल अदालत प्रणाली के माध्यम से उपस्थित होने को कहा जाता है ।
इसमें कहा गया कि अगर सुनवाई की निर्धारित तारीख को पत्र, ई मेल या डिजिटल अदालत प्रणाली में वीडियो लिंक के माध्यम से आवेदक उपस्थित होकर त्रुटियों का निराकरण नहीं करते हैं, तब वाद को लेकर एक पक्षीय आदेश पारित कर दिया जायेगा ।
सलीम बेग का कहना है कि उन्हें उपस्थित होने संबंधी पत्र भी पांच सितंबर 2022 के बाद डाक से प्राप्त हुआ है।
गौरतलब है कि सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 सरकारी सूचना के लिए नागरिकों के अनुरोध पर समयबद्ध रूप से उत्तर देने का प्रावधान करता है।