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सोशल सिक्यॉरिटी बनेगा बीजेपी के प्रचार का हथियार ?

बीजेपी और मोदी सरकार मिशन 2019 के लिए सिर्फ 'आयुष्मान भारत' को ही नहीं बल्कि सोशल सिक्यॉरिटी को एक बड़े चुनावी हथियार के रूप में इस्तेमाल कर सकती है।

गुलशन राय खत्री | नवभारत टाइम्स 12 Sep 2018, 7:46 pm
नई दिल्ली
नवभारतटाइम्स.कॉम bjp

बीजेपी और मोदी सरकार मिशन 2019 के लिए सिर्फ 'आयुष्मान भारत' को ही नहीं बल्कि सोशल सिक्यॉरिटी को एक बड़े चुनावी हथियार के रूप में इस्तेमाल कर सकती है। योजना बनाई जा रही है कि चुनाव से पहले ही सरकार सोशल सिक्यॉरिटी के रूप में अनआर्गनाइज सेक्टर के लोगों के लिए पेंशन स्कीम पेश कर दे ताकि लोगों को बताया जा सके कि अगर मोदी सरकार वापस सत्ता में लौटी तो ऐसी व्यवस्था होगी कि देश के हर व्यक्ति को रिटायरमेंट के बाद पेंशन मिले।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि सरकारी स्तर पर इस योजना के लिए तेजी से काम हो रहा है और राज्यों के साथ भी बातचीत की जा रही है। दरअसल, सरकार का कहना है कि सरकारी कर्मचारियों को तो पेंशन मिल ही रही है। इसके अलावा राज्य सरकारें, नगर निगम आदि कई स्तरों पर पेंशन की व्यवस्था है। कुछ जगह बुजुर्ग पेंशन है तो कुछ जगह विधवा पेंशन। अब सभी योजनाओं को एक ही सिस्टम में लाए जाने की प्लानिंग चल रही है। इस तरह से हर व्यक्ति को कम से कम एक जगह से पेंशन मिले। हालांकि अभी यह साफ नहीं हो सका है कि इसके लिए कितने धन की आवश्यकता होगी?

पार्टी सूत्रों के अनुसार, योजना में इस तरह का प्रावधान किया जा रहा है कि रिटायरमेंट की उम्र में ही पेंशन मिले। यानी जो लोग नौकरी से रिटायर नहीं हुए लेकिन उनकी उम्र जब 60 वर्ष पूरी होगी तो उन्हें पेंशन मिलेगी। यह पेंशन कितनी होगी, इस पर भी अभी विचार किया जा रहा है। बीजेपी नेताओं को लगता है कि चुनाव से पहले सरकार सिर्फ इस योजना का खाका ही बनाकर रखेगी और यह भी साफ करेगी कि अगर वह सत्ता में लौटती है तो इस योजना को लागू किया जाएगा। बीजेपी के एक नेता का कहना है कि इसे सोशल सिक्यॉरिटी का नाम दिया जाएगा ताकि ऐसा संदेश जाए कि अब भारत में भी अमेरिका की तरह ही लोगों को सोशल सिक्यॉरिटी मिल सकती है। पार्टी नेताओं का कहना है कि पहले ही बीजेपी उज्ज्वला, सौभाग्य जैसी योजनाओं को इसी तरह से पेश कर रही है। ऐसे में सोशल सिक्यॉरिटी की यह स्कीम उसके लिए चुनाव में ट्रंप कार्ड साबित हो सकती है।

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