हैदराबाद, 23 दिसंबर :: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज जीडीपी के मामले में ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को पीछे छोड़ने के भारत के कदम पर खुशी जताई और कहा कि औपनिवेशिक शासन का इतिहास उत्पीड़न और विपत्तियों का इतिहास है। मुखर्जी ने फेडरेशन ऑफ तेलंगाना एंड आंध्र प्रदेश चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री :एफटीएपीसीसीआई: के शताब्दी वर्ष में उसके सालाना समारोह में कहा, कुछ दिन पहले ही हमने एक अखबार का शीर्षक देखा कि हमारे औपनिवेशिक काल के शासक रहे, ग्रेट ब्रिटेन की वार्षिक आय भारत की आय से कम है। उन्होंने इस तरह के घटनाक्रम की तुलना लोगों और राष्ट्रों के जीवन में आने वाले उतार चढ़ावों से की। संतोष की बात है कि लगातार तीन साल तक ब्रिटेन में भारतीय निवेश किसी दूसरे देश के निवेश के मामले में सर्वाधिक रहा। वर्ष 1917 में एफटीएपीसीसीआई की स्थापना का जिक्र करते हुए मुखर्जी ने उस समय ब्रिटिश काल के खिलाफ महात्मा गांधी के नेतृत्व में देश के स्वतंत्रता संघर्ष का भी जिक्र किया और कहा कि औपनिवेशिक शासन का इतिहास उत्पीड़न और विपत्तियों का इतिहास है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में भारत उच्च आर्थिक विकास के रास्ते पर बड़ी छलांग लगाने को तैयार है। दुनिया की कई बड़ी अर्थव्यवस्थाएं जहां 2008 की वैश्विक आर्थिक मंदी के करीब एक दशक बाद भी डगमगा रहीं हैं, वहीं भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है। मुखर्जी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किये गये कुछ कार्यक्रम महत्वपूर्ण हैं जिनके पूरा होने से हमारे लिए नये रास्ते खुलेंगे। उन्होंने इनमें डिजिटल इंडिया, स्वच्छ भारत, मेक-इन-इंडिया आदि को गिनाया।
जीडीपी के मामले में ब्रिटिश अर्थव्यवस्था से भारत के आगे निकलने पर राष्ट्रपति ने जताई खुशी
नवभारतटाइम्स.कॉम 23 Dec 2016, 7:29 pm
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हैदराबाद, 23 दिसंबर :भाषा: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज जीडीपी के मामले में ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को पीछे छोड़ने के भारत के कदम पर खुशी जताई और कहा कि औपनिवेशिक शासन का इतिहास उत्पीड़न और विपत्तियों का इतिहास है।
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