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मुखौटे जमा करने का शौक, दुश्मनों को निपटाने का हुनर, सीडीएस अनिल चौहान की खास बातें जान लीजिए

CDS Anil Singh Chauhan: देश के दूसरे सीडीएस लेफ्टिनेंट जनरल अनिल सिंह चौहान एक नायाब शौक भी रखते हैं। वो मुखौटे कलेक्शन करने के शौकीन है। उनके पास सैकड़ों मुखौटे हैं। चौहान की जनरल बिपिन रावत की जगह सीडीएस बनाया है। जनरल रावत का एक हेलीकॉप्टर क्रैश में निधन हो गया था।

Curated byसत्यकाम अभिषेक | नवभारतटाइम्स.कॉम 29 Sep 2022, 12:00 pm

हाइलाइट्स

  • लेफ्टिनेंट जनरल अनिल सिंह चौहान (रिटायर्ड) देश के दूसरे सीडीएस नियुक्त किए गए हैं
  • जनरल चौहान को रणनीति कौशल का माहिर माना जाता है
  • सीडीएस चौहान को मुखौटे जमा करने का एक नायाब शौक भी है
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सीडीएस अनिल सिंह चौहान के अनूठे शौक
नई दिल्ली: देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत के निधन के 9 महीने बाद दूसरा सीडीएस लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) अनिल चौहान के रूप में मिल गए हैं। चौहान न केवल रणनीतिक रूप से माहिर माने जाते हैं बल्कि कई बड़े अभियानों की अगुवाई भी कर चुके हैं। जंग के मैदान में उन्हें दुश्मनों को निपटाने का हुनर आता है। 'ऑपरेशन बालाकोट' में सीडीएस चौहान की बड़ी भूमिका रही थी। इन तमाम उपलब्धियों के बीच चौहान को एक बड़ा ही नायाब शौक है। वो शौक है मुखौटे जमा करने का।

मुखौटे जमा करने का अनोखा शौक

ले. जनरल चौहान को मुखौटे जमा करने का नायाब शौक है। उनके पास दुनियाभर के मुखौटों का बेहतरीन कलेक्शन है। चौहान ने बताया कि शुरुआत में नेपाल से कुछ मुखौटे खरीदे। यह महज सजाने के लिए थे लेकिन जब उन्हें अंगोला जाने का अवसर मिला तो वह एक अलग संस्कृति थी। दूसरे उपमहाद्वीप के मुकाबले अंगोला में मुखौटा का उद्देश्य ही अलग था। इसके बाद से मेरा मुखौटे जमा करने का शौक बढ़ता चला गया। चौहान ने बताया कि उन्हें दुनिया के किसी भी हिस्से में जाने का मौका मिलता है, मुखौटा जरूर खरीदते हैं। लेफ्टिनेंट जनरल चौहान के पास इस समय 160 मुखौटों को कलेक्शन है। वह कहते हैं, अगर कोई मुखौटी किसी संस्कृति का प्रतीक होता है तो मैं उसे जरूर खरीदता हूं।
कई अहम अभियानों में दिखा चुके हैं रणकौशल
चौहान का भारतीय सेना में करीब 40 वर्षों का करियर रहा है। इस दौरान उनके पास कई कमांड और स्टाफ रहे। उनकी कई महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्तियां हुईं। फरवरी 2019 में बालाकोट एयर स्ट्राइक के वक्त उनकी नियुक्ति डीजीएमओ (डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन) के तौर पर हुई थी। उन्होंने जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर भारत में उग्रवादी एवं अलगावादी आंदोलनों के खिलाफ सैन्य अभियानों का भी नेतृत्व किया। वो पिछले वर्ष मई महीने में सेना से रिटायर हुए थे। सरकारी बयान में कहा गया है, 'आर्मी से रिटायरमेंट के बाद भी वो राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक मामलों में योगदान देते रहे हैं।'

गोरखा राइफल्स से शुरू किया सेना में करियर
लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान वर्ष 1981 में भारतीय सेना के 11 गोरखा राइफल्स में भर्ती हुए थे। वो खड़गवासला की नैशनल डिफेंस अकेडमी (NDA) और देहरादून स्थित इंडियन मिलिट्री अकेडमी (IMA) से प्रशिक्षित हैं। ध्यान रहे कि देश के प्रथम सीडीएस जनरल बिपिन रावत भी 11 गोरखा राइफल्स से ही थे।
लेखक के बारे में
सत्यकाम अभिषेक
सत्यकाम अभिषेक नवभारत टाइम्स ऑनलाइन में असिस्टेंट एडिटर हैं. यूनिवार्ता, सहारा, ज़ी न्यूज़ से होते हुए अब नवभारत टाइम्स में सेंट्रल टीम और शिफ्ट हेड हैं.... और पढ़ें

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