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Marital Rape : पत्नी से रेप अपराध या नहीं? फौरन जवाब नहीं दे सकते, अन्याय होगा....अदालत में बोली सरकार

कई दिनों से पत्नी से रेप यानी मैरिटल रेप (marital rape) का मुद्दा छाया हुआ है। मामला कोर्ट में है और अब केंद्र सरकार ने अपना पक्ष रखने को लेकर महत्वपूर्ण बात रखी है।

Edited byअनुराग मिश्र | भाषा 25 Jan 2022, 12:13 am

हाइलाइट्स

  • मैरिटल रेप केस पर हाई कोर्ट में बोली सरकार
  • इस मुद्दे पर तत्काल अपना रुख बताना संभव नहीं
  • सरकार आधे मन से पक्ष रखेगी तो नागरिकों से अन्याय होगा
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नई दिल्ली
केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट से कहा है कि वैवाहिक दुष्कर्म यानी मैरिटल रेप को अपराध बनाने में ‘परिवार के मामले’ के साथ-साथ महिला के सम्मान का भी मुद्दा जुड़ा हुआ है। केंद्र ने कहा कि उसके लिए इस मुद्दे पर तत्काल अपना रुख बताना संभव नहीं है। केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर सरकार आधे मन से मामले पर अपना पक्ष रखेगी तो नागरिकों के साथ अन्याय होगा।
उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि वह सभी हितधारकों से परामर्श कर अपना रुख रखने के लिए तर्कसंगत समय दें, खासतौर पर तब जब इस बीच किसी को बहुत खतरा नहीं है।
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उन्होंने अदालत से कहा, ‘आपका आधिपत्य केवल प्रावधान की कानूनी या संवैधानिक वैधता का फैसला करना नहीं है। इसे माइक्रोस्कोपिक ऐंगल से नहीं देखा जाना चाहिए...यहां महिला का सम्मान दांव पर है। यहां पर परिवार का मुद्दा है। कई ऐसे विचार होंगे जिनपर सरकार को विमर्श करने होंगे ताकि आपके लिए सहायक रुख तय किया जा सके।’


उन्होंने कहा, ‘केंद्र के लिए तत्काल जवाब देना संभव नहीं होगा, खासतौर पर तब जब किसी को इस बीच कोई गंभीर खतरा नहीं होने वाला है।मैं अपना अनुरोध दोहराता हूं कि मुझे तर्कसंगत समय चाहिए।’

मैं न नहीं कह रहा हूं। उन्हें (न्याय मित्र) जिरह करने दें। मैं आपको 10 दिन का समय दूंगा लेकिन उसके बाद मेरे लिए यह कहना मुश्किल होगा कि हम सुनेंगे, हम सुनेंगे...10 दिन में मेरे पास आएं।
जज, मैरिटल रेप केस पर सरकार से

सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि केंद्र को बहुत सतर्क रहने की जरूरत है। उन्होंने जोर देकर कहा कि याचिकर्ताओं के तर्क और उसी तरह का रुख अदालत द्वारा नियुक्त न्याय मित्र द्वारा लिए जाने के बाद केंद्र सरकार के लिए यह उचित नहीं होगा कि वह अदालत को इस मामले पर वृहद रुख के लिए नहीं कहे।

उन्होंने कहा, ‘मैं नहीं मानता कि यह उचित होगा कि केंद्र सरकार आप श्रीमान (यूअर लॉर्डशिप) को अन्य हितधारकों को आमंत्रित कर वृहद रुख अपनाने या संपूर्णता के आधार पर मामले पर विचार करने के लिए नहीं कहे।’

न्यायमूर्ति राजीव शकधर की अध्यक्षता वाली पीठ उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है जिनमें दुष्कर्म कानून से विवाह कानून को अलग रखने को चुनौती दी गई है। पीठ ने कहा कि वह इस मामले को लटकाए नहीं रख सकती है और अदालत मामले की सुनवाई पूरी करना चाहेगी।न्यायधीश ने कहा, ‘मैं न नहीं कह रहा हूं। उन्हें (न्याय मित्र) जिरह करने दें। मैं आपको 10 दिन का समय दूंगा लेकिन उसके बाद मेरे लिए यह कहना मुश्किल होगा कि हम सुनेंगे, हम सुनेंगे...10 दिन में मेरे पास आएं।’

अगर कोई पति अपनी पत्नी से उसकी सहमति के बगैर सेक्सुअल रिलेशन बनाता है तो इसे मैरिटल रेप कहा जाता है। हालांकि अपने देश में इसके लिए कोई सजा का प्रावधान नहीं है।
लेखक के बारे में
अनुराग मिश्र
साइंस में ग्रैजुएट होने के बाद मीडिया की पढ़ाई की। डिप्लोमा के बाद मीडिया मैनेजमेंट में MBA, रेडियो से करियर की शुरुआत। आज, आज समाज, अमर उजाला में प्रिंट जर्नलिज्म के बाद नवभारतटाइम्स डॉट कॉम में कार्यरत। पेशे से पत्रकार, दिल से ठेठ इलाहाबादी।... और पढ़ें

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