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बाल यौन अपराध तीन अंतिम रास

जदयू की कहकशां परवीन ने भी विधेयक का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि यह बच्चों के भविष्य से संबंधित विषय है और टीवी धारावाहिकों के अंत में कानूनी परामर्श प्रसारित करने के बारे में विचार किया जाना चाहिए ताकि जागरूकता पैदा की जा सके। टीआरएस के बी लिंगैया यादव ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि बच्चों के खिलाफ यौन अपराध के बढ़ते मामले और दोषसिद्धि की कम दर चिंताजनक है। माकपा की झरना दास वैद्य ने कहा कि कई बार पीड़ित कमजोर, गरीब, दलित और पिछड़े वर्ग के होते हैं और वे न तो पुलिस के पास जा पाते हैं

भाषा 24 Jul 2019, 7:24 pm
जदयू की कहकशां परवीन ने भी विधेयक का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि यह बच्चों के भविष्य से संबंधित विषय है और टीवी धारावाहिकों के अंत में कानूनी परामर्श प्रसारित करने के बारे में विचार किया जाना चाहिए ताकि जागरूकता पैदा की जा सके। टीआरएस के बी लिंगैया यादव ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि बच्चों के खिलाफ यौन अपराध के बढ़ते मामले और दोषसिद्धि की कम दर चिंताजनक है। माकपा की झरना दास वैद्य ने कहा कि कई बार पीड़ित कमजोर, गरीब, दलित और पिछड़े वर्ग के होते हैं और वे न तो पुलिस के पास जा पाते हैं और न ही प्राथमिकी दर्ज हो पाती है। राजद के मनोज झा ने कहा कि बिहार के मुजफ्फरपुर में हुई घटना को देखते हुए सभी आश्रय गृहों का एक ऑडिट कराया जाना चाहिए। मनोनीत नरेंद्र जाधव ने विधेयक में सजा कठोर किए जाने के प्रावधान का स्वागत किया। कांग्रेस की अमी याग्निक ने कहा कि संशोधन में सिर्फ दंड पर जोर दिया है इसलिए विधेयक को प्रवर समिति को भेजा जाना चाहिए। उन्होंने दोषसिद्धि की कम दर पर चिंता जताई और बंद कमरे में सुनवाई किए जाने पर जोर दिया। तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजे जाने की जरूरत पर जोर दिया और टीवी के जरिये अधिकतम लोगों तक इसके बारे में जागरूक पैदा करने की मांग की। शिवसेना के संजय राउत ने कहा कि यौन शोषण की ज्यादातर घटनाएं प्रार्थना स्थलों में देखी गई हैं। जहां अधिक विश्वास होता है, वहां ऐसी घटनाएं बढ़ी हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के मामलों के त्वरित निपटान के लिए 2000 से ज्यादा फास्टट्रैक अदालतों की जरूरत है जिसके लिए 1000 करोड़ रुपये से लेकर 2000 करोड़ रुपये तक का प्रावधान किया जाना चाहिए। द्रमुक के टीकेएस इलानगोवन ने कहा कि मौजूदा दौर में शिक्षण संस्थानों में बच्चों को मूल्यों की शिक्षा नहीं मिल पाती और इस ओर ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने विधेयक का स्वागत करते हुए जानना चाहा कि पिछले सात वर्षों में ऐसे कितने अपराधियों को पकड़ा गया है। कांग्रेस के शमशेर सिंह दुल्लो ने कहा कि आबादी बढ़ने के साथ साथ ऐसे अपराधों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। ऐसे में व्यापक जन समर्थन हासिल करने के लिए गैर लाभकारी संगठनों के जरिये जागरूकता फैलाने की जरूरत पर जोर दिया। सपा के रवि प्रकाश वर्मा ने कहा कि ऐसे मामलों में पीड़ित को मुआवजा मिलने का रिकॉर्ड बहुत अच्छा नहीं है। उन्होंने राष्ट्रीय बाल न्यायाधिकरण बनाए जाने तथा सहायक आधारभूत ढांचे के लिए 1000 करोड़ रुपये का प्रावधान किए जाने की मांग की। बीजद के सस्मित पात्रा ने कहा कि विधेयक में जुर्माने का जो प्रावधान है उसका इस्तेमाल पीड़ित के पुनर्वास के लिए किया जाना चाहिए। साथ ही पीड़ित के इलाज का खर्च सरकार को वहन करना चाहिए। पीडीपी के नजीर अहमद लवाए ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि दूरदराज के क्षेत्रों में ऐसी घटना के लिए वहां के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि फांसी जैसे सख्त दंड का प्रावधान भी किया जाना चाहिए। तेदेपा के कनक मंडला रविन्द्र कुमार ने कहा कि ऐसे सभी अपराध को ‘‘दुर्लभ से दुर्लभतम’’ मान कर त्वरित निपटारा किया जाना चाहिए ताकि अपराधियों में भय पैदा हो सके। उन्होंने कहा कि घरेलू स्तर पर होने वाले ऐसे कई मामले तो सामने भी नहीं आ पाते जिनमें करीबी लोग लिप्त होते हैं। भाजपा की कांता कर्दम ने भी घरेलू यौन शोषण के मामलों पर परिवार द्वारा ही पर्दा डाले जाने पर चिंता जताई और कडी सजा की वकालत की। उन्होंने बच्चों को ‘‘बैड टच और गुड टच’’ के बारे में शिक्षित किए जाने पर जोर दिया। राकांपा की वंदना चव्हाण ने कहा कि कानून का क्रियान्वयन कड़ाई से किया जाना चाहिए। उन्होंने कम दोषसिद्धि दर तथा अदालतों में ऐसे लंबित मामलों की बढ़ती संख्या पर चिंता भी जताई। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में विशेष लोक अभियोजक महिला ही होनी चाहिए और पीड़ित की पहचान का खुलासा कतई नहीं किया जाए। उन्होंने पीड़ित को भावनात्मक सहयोग एवं रोजगार देने की वकालत भी की। बसपा के राजा राम ने किशोर न्याय व्यवस्था को मजबूत बनाए जाने की मांग करते हुए ऐसे अपराध को रोकने के लिए विशेष जनजागरण अभियान चलाए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि कानून ऐसा होना चाहिए जिससे अपराधी को शीघ्र ही सजा मिले। आप के सुशील कुमार गुप्ता ने कहा कि बच्चों के यौन शोषण के मामलों में पुलिस और अदालतों को अधिक संवेदनशील बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि बाल एवं यौन अपराध के मामले में दिल्ली चौथे स्थान पर है जहां की कानून व्यवस्था केंद्रीय गृह मंत्रालय के अंतर्गत है। इसलिए राज्य पुलिस को बेहद चुस्त दुरूस्त किया जाना चाहिए। उन्होंने स्कूलों में नैतिक एवं आचार संबंधी शिक्षा दिए जाने की जरूरत पर भी जोर दिया। वाईएसआर कांग्रेस के विजय साई रेड्डी ने कहा कि ऐसे बाल यौन अपराध के मामले को सीबीआई की विशेष अदालत की तरह किसी विशेष अदालत को सौंपा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विशेष अदालत की स्थापना के अलावा कार्यवाही का डिजिटलीकरण भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए। रेड्डी ने सख्त कानूनों की वजह से खाड़ी देशों में ऐसे अपराध की संख्या कम होने का हवाला देते हुए देश में भी ऐसे सख्त कानून की जरूरत पर बल दिया। भाकपा के विनय विश्वम ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि बाल एवं अपराध के मामलों का पंजीकरण बहुत कम होता है और ऐसे विधेयक के कारण स्थिति और बिगड़ेगी। उन्होंने विधेयक को प्रवर समिति में भेजे जाने की मांग की।

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