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प्राइवेट मेडिकल कॉलेज की फीस तार्किक हो ये सुनिश्चित करे कमिटी: सुप्रीम कोर्ट

अदालत ने कहा कि मैनेजमेंट को कमिटी जानकारी देने के लिए कह सकती है ताकि फैसला लेने से पहले प्रस्तावित फीस के बारे में आंकलन कर सके। केरल सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। केरल हाई कोर्ट ने कहा था कि कमिटी को ऑडिटेड बैलेंसशिट मुहैया कराई जाए।

Reported byराजेश चौधरी | नवभारत टाइम्स 25 Feb 2021, 9:53 pm
नई दिल्ली
नवभारतटाइम्स.कॉम supreme-court

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि प्राइवेट मेडिकल कॉलेज की फीस शोषण करने वाला न हो और तार्किक हो ये बात एडमिशन व फीस रेग्युलेशन कमिटी को सुनिश्चित करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कमिटी को ये सुनिश्चित करना होगा कि जो प्राइवेट मेडिकल कॉलेज है वह न तो ज्यादा फीस चार्ज करे और न ही शोषण करने वाला फीस चार्ज करे। केरल हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ केरल सरकार की अर्जी पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उक्त टिप्पणी की है।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एल .नागेश्वर राव की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि एमबीबीएस स्टूडेंट्स जो प्राइवेट कॉलेज में सेल्फ फंडिंग के जरिये दाखिला लेते हैं वह एडमिशन और फीस रेग्युलेटरी कमिटी के दायरे में आते हैं और ऐसे में कमिटी को सुनिश्चित करना होगा कि अतार्किक और शोषण करने वाला न हो।

अदालत ने कहा कि मैनेजमेंट को कमिटी जानकारी देने के लिए कह सकती है ताकि फैसला लेने से पहले प्रस्तावित फीस के बारे में आंकलन कर सके। केरल सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। केरल हाई कोर्ट ने कहा था कि कमिटी को ऑडिटेड बैलेंसशिट मुहैया कराई जाए।
लेखक के बारे में
राजेश चौधरी
राजेश चौधरी 2007 से नवभारत टाइम्स से जुड़े हुए हैं। वह दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट, निचली अदालत और सीबीआई से जुड़े विषयों को कवर करते हैं और स्पीड न्यूज में भी आपको इस बारे में खबर देते रहेंगे। यदि आपके पास कोर्ट से जुड़े मामलों की कोई सूचना है तो आप उनसे इस ईमेल अड्रेस - journalistrajesh@gmail.com - पर संपर्क कर सकते हैं।... और पढ़ें

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