नई दिल्ली: ब्रिटेन में मास्क पहनना है या नहीं, अब लोगों के ऊपर छोड़ दिया गया है। ब्रिटिश सरकार ने कोरोना से जुड़े नियमों को लगभग खत्म कर दिया है लेकिन भारत में ऐसा करना एक बड़ा खतरा पैदा कर सकता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत में मास्क पहनने का नियम खत्म करना बड़ी बेवकूफी साबित हो सकता है और इसका बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। विदेश में लिए गए फैसले हमेशा सही नहीं
मेदांता अस्पताल के सीनियर डॉ़ अरविंद कुमार कहते हैं कि विदेशों में जो फैसले लिए जाते हैं, वह हमेशा सही नहीं होते। पिछले साल की शुरुआत में अमेरिका में सीडीसी ने यह आदेश दिया था कि अब लोगों को मास्क लगाना अनिवार्य नहीं है, लेकिन इस आदेश के कुछ ही समय बाद अमेरिका में केस इस कदर बढ़े और इस कदर मौतें हुईं कि चार महीने में यह आदेश वापस लेना पड़ा।
अमेरिका की हालत देख लीजिए
उन्होंने कहा कि अमेरिका में हर तरह वर्ल्ड क्लास सुविधाएं हैं, लेकिन फिर भी आज उसकी स्थिति कोरोना के मामले में सबसे खराब है। अस्पताल मरीजों से भरे पड़े हैं, वैक्सीन का भंडार है। ऐसा इसलिए क्योंकि वहां कोरोना से बचने के बेसिक नियमों जैसे मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग, भीड़भाड़ से बचना आदि पर ध्यान नहीं दिया जा रहा।
ब्रिटेन कर रहा गलती
ठीक वही गलती अब ब्रिटेन भी कर रहा है। वहां भी मास्क पहनना अब जरूरी नहीं रहा, इसका परिणाम क्या होगा यह आने वाले कुछ महीनों में पता चलेगा लेकिन भारत में इस तरह के नियम अभी लागू करना बहुत बड़ी बेवकूफी होगी। इस वक्त अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली सभी देशों की स्थिति खराब है, किन भारत की स्थिति ठीक बनी हुई है। इसके पीछे यही वजह है कि हम मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग जैसी बेसिक चीजों पर ध्यान दे रहे हैं। इन सभी देशों में बेसिक चीजों पर ध्यान नहीं दिया जाता।
यूरोपीय देशों और भारत में काफी अंतर है
मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में कम्युनिटी मेडिसिन डिपार्टमेंट की हेड डॉ़ सुनीला गर्ग का कहना है कि यूरोपीय देशों और हमारे देश में जमीन-आसमान का फर्क है। वहां की आबादी हमसे कई गुना कम है, हेल्थ सिस्टम अलग है। और भी कई तरह की असमानताएं हैं। हम उन्हें देखकर मास्क पहनना बंद नहीं कर सकते और ना ही कोरोना के अन्य नियमों को अपनाना छोड़ सकते हैं। अभी आने वाले कुछ साल तक तो हम देश में ऐसा नहीं कर सकते क्योंकि इससे बड़ा खतरा पैदा हो सकता है।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कल ही कहा है कि अब ब्रिटेन में कोरोना वायरस से जुड़े प्रोटोकॉल जैसे मास्क पहनने की अनिवार्यता को खत्म किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे साइंटिस्ट्स का मानना है कि ओमिक्रॉन वेव अब राष्ट्रीय स्तर पीक पार कर चुकी है। ऐसे में अब हम लोगों को वर्क फ्रॉम होम के लिए भी नहीं कहेंगे।
डॉ. अरविंद कुमार ने बताए 'पंच तत्व' जिन्हें मानना जरूरी
मेदांता अस्पताल के सीनियर डॉ़ अरविंद कुमार कहते हैं कि विदेशों में जो फैसले लिए जाते हैं, वह हमेशा सही नहीं होते। पिछले साल की शुरुआत में अमेरिका में सीडीसी ने यह आदेश दिया था कि अब लोगों को मास्क लगाना अनिवार्य नहीं है, लेकिन इस आदेश के कुछ ही समय बाद अमेरिका में केस इस कदर बढ़े और इस कदर मौतें हुईं कि चार महीने में यह आदेश वापस लेना पड़ा।
अमेरिका की हालत देख लीजिए
उन्होंने कहा कि अमेरिका में हर तरह वर्ल्ड क्लास सुविधाएं हैं, लेकिन फिर भी आज उसकी स्थिति कोरोना के मामले में सबसे खराब है। अस्पताल मरीजों से भरे पड़े हैं, वैक्सीन का भंडार है। ऐसा इसलिए क्योंकि वहां कोरोना से बचने के बेसिक नियमों जैसे मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग, भीड़भाड़ से बचना आदि पर ध्यान नहीं दिया जा रहा।
ब्रिटेन कर रहा गलती
ठीक वही गलती अब ब्रिटेन भी कर रहा है। वहां भी मास्क पहनना अब जरूरी नहीं रहा, इसका परिणाम क्या होगा यह आने वाले कुछ महीनों में पता चलेगा लेकिन भारत में इस तरह के नियम अभी लागू करना बहुत बड़ी बेवकूफी होगी। इस वक्त अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली सभी देशों की स्थिति खराब है, किन भारत की स्थिति ठीक बनी हुई है। इसके पीछे यही वजह है कि हम मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग जैसी बेसिक चीजों पर ध्यान दे रहे हैं। इन सभी देशों में बेसिक चीजों पर ध्यान नहीं दिया जाता।
यूरोपीय देशों और भारत में काफी अंतर है
मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में कम्युनिटी मेडिसिन डिपार्टमेंट की हेड डॉ़ सुनीला गर्ग का कहना है कि यूरोपीय देशों और हमारे देश में जमीन-आसमान का फर्क है। वहां की आबादी हमसे कई गुना कम है, हेल्थ सिस्टम अलग है। और भी कई तरह की असमानताएं हैं। हम उन्हें देखकर मास्क पहनना बंद नहीं कर सकते और ना ही कोरोना के अन्य नियमों को अपनाना छोड़ सकते हैं। अभी आने वाले कुछ साल तक तो हम देश में ऐसा नहीं कर सकते क्योंकि इससे बड़ा खतरा पैदा हो सकता है।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कल ही कहा है कि अब ब्रिटेन में कोरोना वायरस से जुड़े प्रोटोकॉल जैसे मास्क पहनने की अनिवार्यता को खत्म किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे साइंटिस्ट्स का मानना है कि ओमिक्रॉन वेव अब राष्ट्रीय स्तर पीक पार कर चुकी है। ऐसे में अब हम लोगों को वर्क फ्रॉम होम के लिए भी नहीं कहेंगे।
डॉ. अरविंद कुमार ने बताए 'पंच तत्व' जिन्हें मानना जरूरी
- मास्क
- सोशल डिस्टेंसिंग
- हैंड हाइजीन
- भीड़भाड़ वाली जगह में ना जाना
- वैक्सीनेशन