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Corona Vaccine For Kids: बड़ों को तो लगने लगा टीका, बच्‍चों के लिए कोरोना वैक्‍सीन कब आएगी?

Covid Vaccine For Children: बच्‍चों के लिए कोरोना वायरस की कोई वैक्‍सीन अभी उपलब्‍ध नहीं है। आखिर वैज्ञानिकों को उनके लिए टीका तैयार करने में इतना समय क्‍यों लग रहा है? वैक्‍सीन कब तक आएगी? जानें ऐसे ही सवालों के जवाब।

नवभारतटाइम्स.कॉम 9 Mar 2021, 9:22 am
स्‍कूल्‍स खुल रहे हैं और साथ-साथ पैरंट्स की टेंशन भी बढ़ रही है। हालांकि अभी तक तो ऐसा लगता है कि बच्‍चे कोरोना वायरस से काफी हद तक सुरक्षित हैं। अमेरिका में कोविड से हुईं 5 लाख मौतों में से बच्‍चों का आंकड़ा 300 से भी कम है। फिर भी कोई नहीं चाहेगा कि उसके बच्‍चे को संक्रमण हो। स्‍कूलों में कोविड के आउटब्रेक्‍स की खबर टेंशन को और बढ़ा देती है। पिछले हफ्ते, हरियाणा के एक स्‍कूल से 54 बच्‍चों के पॉजिटिव होने की खबर आई थी। देश के कई और हिस्‍सों में भी स्‍कूलों के भीतर कोविड केसेज सामने आए हैं। बच्‍चों के लिए अभी तक कोई कोरोना वैक्‍सीन तैयार नहीं हो पाई। आखिर इसमें इतना समय क्‍यों लग रहा है? बच्‍चों के लिए वैक्‍सीन कब तैयार होंगी? उन्‍हें टीका लगवाना क्‍यों जरूरी है? आइए ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब जानते हैं।
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Corona Vaccine For Kids: बड़ों को तो लगने लगा टीका, बच्‍चों के लिए कोरोना वैक्‍सीन कब आएगी?


बच्‍चों का टीकाकरण क्‍यों है जरूरी?

नीतियां तय करने वालों की प्राथमिकता है सबसे ज्‍यादा रिस्‍क वाले लोगों को वैक्‍सन मुहैया कराना। अभी तक यही देखा गया है क‍ि बच्‍चे कोविड वायरस का हल्‍के लक्षणों के साथ मुकाबला कर लेते हैं मगर वे वायरस को दूसरों में फैला सकते हैं। यानी अगर बच्‍चे को स्‍कूल में कोरोना हुआ तो वह घर में अपने दादा-दादी/नाना-नानी या उनसे भी पुरानी पीढ़ी को संक्रमित कर सकता है जिन्‍हें कोविड का रिस्‍क ज्‍यादा है। बच्‍चों के टीकाकरण से वयस्‍कों की सुर‍क्षा होगा। बच्‍चों को टीका लगाने के कई फायदे हैं:

  • उन्‍हें कोविड नहीं होगा
  • वे दूसरों में कोरोना वायरस नहीं फैलाएंगे
  • वे आबादी में वायरस रिजर्वायर नहीं रहेंगे
  • नए कोरोना म्‍यूटंट्स की ब्रीडिंग नहीं होने देंगे
  • आबादी हर्ड इम्‍युनिटी के करीब होगी
  • आउटब्रेक्‍स से स्‍कूल बंद नहीं करने पड़ेंगे

बच्‍चों की वैक्‍सीन का अलग से ट्रायल क्‍यों?

दुनियाभर में कम से कम 8 कोविड टीकों का इस्‍तेमाल हो रहा है। उन्‍हें सीधे बच्‍चों को क्‍यों नहीं दिया जा सकता? नए सिरे से ट्रायल्‍स करने की क्‍या जरूरत है? फाइजर की कोविड वैक्‍सीन के ट्रायल का नेतृत्‍व करने वाले डॉ कौसर तलत ने एक पॉडकास्‍ट में कहा कि बच्‍चों और किशारों का इम्‍युन सिस्‍टम टीकों पर उसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं देता जैसे वयस्‍कों का इम्‍युन सिस्‍टम देता है। तलत के मुताबिक, बच्‍चों का इम्‍युन सिस्‍टम और मजबूत होता है और वैक्‍सीन पर तेज प्रतिक्रिया देता है। ऐसे में टीकों की छोटी डोज ही उनके लिए काफी हो सकती है। उम्र के हिसाब से वैक्‍सीन के प्रति रेस्‍पांस बदलता है, ऐसे में हर एजग्रुप के लिए कितनी डोज चाहिए, यह पता करना जरूरी है जिसके लिए ट्रायल्‍स करने होंगे।

छोटे होंगे बच्‍चों की वैक्‍सीन के ट्रायल्‍स

बड़ों के लिए कोरोना वायरस वैक्‍सीन के ट्रायल में हजारों लोगों को शामिल किया गया था लेकिन बच्‍चों पर ट्रायल छोटे ग्रुप्‍स पर होगा। साइंस मैगजीन के अनुसार, बच्‍चों पर वैक्‍सीन कितनी असरदार है, वैज्ञानिक इसका पता 'न्‍यूट्रलाइजिंग ऐंटीबॉडीज' के लेवल को नापकर लगा सकते हैं।

किसके ट्रायल्‍स होने वाले हैं?

अस्त्राजेनेका (भारत में कोविशील्‍ड)

यूके में इसी महीने से शुरू होने वाले ट्रायल में 6-17 एजग्रुप शामिल होगा

भारत बायोटेक (भारत में कोवैक्‍सीन)

5-18 एजग्रुप पर फेज 3 ट्रायल की परमिशन मांगी गई है

फाइजर-बायोएनटेक

12-15 एजग्रुप के लिए एनरोलपमेंट पूरा, अभी वैक्‍सीन 16 साल से ऊपर वालों को लगती है

मॉडर्ना

12-18 एजग्रुप के लिए वालंटियर्स का एनरोलमेंट जारी

साइनोवैक

3-17 एजग्रुप पर ट्रायल जारी

जॉनसन ऐंड जॉनसन

12-18 एजग्रुप पर ट्रायल की योजना, इसके बाद शिशुओं पर ट्रायल

बच्‍चों के लिए कोरोना वैक्‍सीन कब तक?

साफ कुछ भी कहना मुश्किल है। अगर ऑक्‍सफर्ड-अस्‍त्राजेनेका का टीका डोज और शेड्यूल में बिना किसी बदलाव के बच्‍चों पर असरदार पाया जाता है तो भी फौरन टीकाकरण संभव नहीं होगा। वैक्‍सीन की सप्‍लाई लिमिटेड है और प्राथमिकता बुजुर्गों के टीकाकरण की है। अगर बच्‍चों के लिए वैक्‍सीन अप्रूव कर भी दी जाती है, तो भी उन्‍हें इंतजार करना पड़ेगा।

अमेरिका के महामारी विशेषज्ञ डॉ एंथनी फाउची ने कहा है कि हाई स्‍कूल छात्रों को इस साल सर्दियों से इीका लगना शुरू हो सकता है मगर 13 साल से कम उम्र के बच्‍चों को 2022 तक इंतजार करना पड़ सकता है। फाइजर और मॉडर्ना ने कहा है कि वे टीकाकरण के एक महीने बाद बच्चों में ऐंटीबॉडीज के लेवल्‍स चेक करना शुरू करेंगे।

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