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Supreme Court News: हो सकता है दो बेहतर लोग अच्छे जीवन-साथी न हों.... तलाक मामले में सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने तलाक के मुद्दे पर बुधवार को सुनवाई की। शीर्ष अदालत ने आर्टिकल 142 के तहत आने वाली शक्तियों का प्रयोग किया। सुनवाई कर रही पीठ ने कहा कि कभी-कभी हमारे सामने ऐसे मामले आते हैं जहां लोग काफी समय तक साथ रहते हैं और फिर शादी टूट जाती है।

Edited byउत्कर्ष गहरवार | भाषा 28 Sep 2022, 10:54 pm
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को आर्टिकल 142 के तहत शक्तियों का प्रयोग करके तलाक के मुद्दे पर सुनावई की। कोर्ट ने कहा कि विवाह को भंग करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत शक्तियों के प्रयोग के वास्ते व्यापक मापदंड क्या हो सकते हैं। संविधान का अनुच्छेद 142 शीर्ष अदालत के आदेशों और उसके समक्ष किसी भी मामले में पूर्ण न्याय प्रदान करने के आदेशों को लागू करने से संबंधित है।
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तलाक मामले में सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी


न्यायमूर्ति एस. के. कौल की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम के तहत, तलाक दोष सिद्धांत (फॉल्ट थ्योरी) पर आधारित है, लेकिन विवाह का समाप्त होना दोषारोपण के फेर में पड़े बिना स्थिति की एक जमीनी सच्चाई हो सकती है। जस्टिस कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति ए. एस. ओका, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति जे. के. माहेश्वरी की पीठ ने कहा, ‘हो सकता है कि दो बहुत बेहतर लोग अच्छे जीवन-साथी न हों।’

पीठ ने कहा, ‘कभी-कभी हमारे सामने ऐसे मामले आते हैं जहां लोग काफी समय तक साथ रहते हैं और फिर शादी टूट जाती है।’ मामले में न्याय मित्र के रूप में अदालत की सहायता कर रही वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा कि तलाक की याचिका दायर होने पर आमतौर पर आरोप-प्रत्यारोप होते हैं। दोष सिद्धांत (फॉल्ट थ्योरी) के मुद्दे पर, न्यायमूर्ति कौल ने कहा, ‘यह भी मेरे विचार से बहुत विषयपरक है। एक दोष सिद्धांत क्या है?’ उन्होंने कहा, ‘देखो, कोई कह सकता है कि आरोप है कि वह सुबह उठकर मेरे माता-पिता को चाय नहीं देती है। क्या यह एक दोष सिद्धांत है? शायद, आप चाय को बेहतर तरीके से बना सकते थे।’

बेंच ने कहा कि इनमें से बहुत से आरोप सामाजिक आदर्श से पैदा हो रहे हैं, जहां कोई सोचता है कि महिला को यह करना चाहिए या पुरुषों को ऐसा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ये आदर्श तेजी से बदल रहे हैं और यह जमीनी हकीकत है। पीठ ने कहा कि तलाक की कार्यवाही में क्या किसी को दोष देना चाहिए। न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि उन्होंने ऐसे मामले देखे हैं जहां पुरुष तब भी विरोध कर रहा था जब महिला कुछ नहीं चाहती थी क्योंकि उसके पास कमाने की बेहतर क्षमता थी और वह बेहतर स्थिति में थी। इस मामले में बृहस्पतिवार को भी बहस जारी रहेगी।
लेखक के बारे में
उत्कर्ष गहरवार
एमिटी और बेनेट विश्वविद्यालय से पत्रकारिता के गुर सीखने के बाद अमर उजाला से करियर की शुरुआत हुई। बतौर एंकर सेवाएं देने के बाद पिछले 2 सालों से नवभारत टाइम्स ऑनलाइन में डिजिटल कंटेंट प्रोड्यूसर के पद पर कार्यरत हूं। एंकरिंग और लेखन के अलावा मिमिक्री और थोड़ा बहुत गायन भी कर लेता हूं।... और पढ़ें

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