सवाल: एम्स के सर्वर पर हुआ साइबर हमला राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से कितना चिंताजनक हैं?
जवाब: मुझे लगता है कि एम्स पर जो रैंसमवेयर हमला हुआ है, वह स्वतंत्र भारत की संप्रभुता, अखंडता और सुरक्षा पर हमला है। यह किसी अस्पताल पर हमला नहीं है, बल्कि भारत के सबसे प्रतिष्ठित संस्थान पर हमला है। यह एक ऐसा स्थान है, जहां देश के आम नागरिकों के अलावा बड़े-बड़े राजनेताओं, न्यायाधीशों और अधिकारियों से जुड़े डेटा उपलब्ध हैं। प्रधानमंत्री से लेकर पूर्व प्रधानमंत्रियों तक के डेटा इसमें शामिल हैं। इस डेटा का दुरुपयोग भी हो सकता है और इन तमाम सारे लोगों को निशाना भी बनाया जा सकता है। इसलिए बहुत ज्यादा जरूरी है कि हम इसे व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखें, न कि केवल एक रैंसमवेयर हमले के तौर पर।
सवाल: कई एजेंसियां इस साइबर हमले की जांच कर रही हैं। लेकिन आपके हिसाब से ऐसे हमलों के पीछे मंशा क्या होती है?
जवाब: इस ‘डेटा इकोनॉमी’ के युग में मंशा एक ही है कि डेटा हासिल कर लिया जाए और उसे बेचकर पैसे कमाए जाएं या आपके पैसे चुराए जाएं। लेकिन जब इस तरह का हमला (एम्स) पर किया जाता है तो मंशा कुछ और होती है। यह आक्रमण ‘बाहरी तत्व’ करते हैं। ऐसे आक्रमण इसलिए भी किए जाते हैं कि किसी राष्ट्र की अर्थव्यवस्था की प्रगति को झटका दिया जाए, उसकी रफ्तार को रोका जाए। आजकल साइबर आक्रमण का दौर शुरू हो गया है। मैं इसे एक बड़ी चुनौती मानता हूं। क्योंकि इस प्रकार के आक्रमणों के पीछे एक मंशा सबक सिखाने (भारत को) की भी होती है। कोशिश यह भी होती है कि लोगों के मन में भय पैदा किया जाए ताकि सरकार पर लोगों का विश्वास डगमगाए। यह एक बहुत ही सोची समझी साजिश है।
सवाल: क्या आपका इशारा चीन और पाकिस्तान की तरफ है?
जवाब: आप इसे नकार नहीं सकते। क्योंकि इतने बड़े पैमाने पर आक्रमण तभी होता है, जब कोई सोची समझी साजिश होती है। इसमें निशाना भारत है। यह आक्रमण सीधे तौर पर भारत की संप्रभुता पर है। इसलिए व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए। हमें सावधान और सतर्क रहने की जरूरत है। हमें नए तरीके अपनाने पड़ेंगे ताकि हम ऐसे आक्रमणों के शिकार न हों।
सवाल: साइबर सुरक्षा के लिए देश में अभी जो तंत्र व कानून हैं, क्या वे पर्याप्त हैं?
जवाब: भारत को साइबर सुरक्षा की दिशा में अभी तक जितना काम करना चाहिए था, वह नहीं किया गया। इसके बहुत कारण हो सकते हैं। लेकिन आज भारत के पास न तो साइबर सुरक्षा को लेकर समर्पित कोई कानून है और न ही कोई प्रभावी ढांचा, जो एम्स पर हुए साइबर हमले जैसी चुनौतियों से निपट सके। राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति, 2013 में आई थी लेकिन वह भी कागजों में सिमटकर रह गई। हमें अपनी सोचने की प्रक्रिया को बदलना पड़ेगा और इसके लिए समुचित कानूनी ढांचा भी बनाना होगा। इस मामले में जब मैं अन्य राष्ट्रों के साथ भारत की तुलना करता हूं तो पाता हूं कि भारत साइबर सुरक्षा के कानूनी ढांचे के मामले में काफी पिछड़ा हुआ है। चीन, सिंगापुर, थाईलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश बहुत आगे हैं। भारत कहीं न कहीं अभी भी गलती कर रहा है। इस पर ध्यान देने की जरूरत है। हम इसे जितनी जल्दी विकसित करेंगे, उतना अच्छा रहेगा।
सवाल: एम्स पर हुए साइबर हमले से सीख लेते हुए भारत को और क्या ठोस कदम उठाने चाहिए?
जवाब: इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि भारत को मजबूत और पुख्ता कदम उठाने होंगे तथा जल्दी से जल्दी उठाने होंगे। एम्स से पहले भी कई प्रमुख संस्थानों पर साइबर हमले हो चुके हैं। साइबर सुरक्षा पर राष्ट्रीय नीति तो बने ही, मैं तो कहूंगा कि भारत में साइबर सुरक्षा को लेकर एक समर्पित मंत्रालय की आवश्यकता है, जो केवल साइबर सुरक्षा से जुड़े मामलों के लिए हो। साइबर सुरक्षा से जुड़े मामले आज विभिन्न मंत्रालयों के बीच बंटे हुए हैं।