नई दिल्ली : देश में अब अस्पतालों में ड्रोन के जरिये ब्लड की डिलिवरी संभव हो सकेगी। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने ड्रोन से ब्लड डिलिविरी का सफल ट्रायल किया है। आईसीएमआर की टीम ने दिल्ली में देश का पहला ड्रोन के जरिये ब्लड बैग की डिलिवरी को वैलिडेट किया। इससे अब एक जगह से दूसरे जगह ब्लड को पहुंचने में बहुत कम समय लगेगा। आईसीएमआर के डायरेक्टर जनरल डॉ. राजीव बहल ने इसके बारे में विस्तार से जानकारी दी।
टेंपरेचर मेंटेन रखने में हुए कामयाब
डॉ. राजीव बहल ने कहा कि इस 'i-DRONE' का उपयोग पहली बार आईसीएमआर की तरफ से COVID19 महामारी के दौरान किया गया था। उस समय इसका प्रयोग सुदूर इलाकों में वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूट करने के लिए किया गया था। उन्होंने कहा कि आज हम ब्लड और ब्लड से जुड़े प्रोडक्ट का ट्रांसपोर्ट कर रहे हैं। इन प्रोडक्ट्स को कम टेंपरेचर पर रखा जाता है। डॉ. बहल ने बताया कि प्रयोग के बाद, हमने पाया कि न केवल हम तापमान को बनाए रख सकते हैं, बल्कि ट्रांसपोर्ट किए गए प्रोडक्ट को भी कोई नुकसान नहीं हुआ।
तो पूरे देश में होगा यूज
डॉ. बहल ने कहा कि हमने एंबुलेंस के जरिए एक सैंपल भेजा है। उसके बाद ड्रोन के जरिये भेजे गए सैंपल से इसका मिलान किया जाएगा। डॉ. बहल ने कहा कि यदि दोनों तरीकों का यूज के बाद सैंपल में कोई अंतर नहीं होगा तो इस ड्रोन का उपयोग पूरे भारत में किया जाएगा। कोरोना काल के दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने पहली बार आईसीएमआर के वैकसीन डिलिवरी मॉडल को मंजूरी दी थी। आईसीएमआर ने आईआईटी कानपुर के साथ मिलकर आई-ड्रोन डेवलप किया था।
टेंपरेचर मेंटेन रखने में हुए कामयाब
डॉ. राजीव बहल ने कहा कि इस 'i-DRONE' का उपयोग पहली बार आईसीएमआर की तरफ से COVID19 महामारी के दौरान किया गया था। उस समय इसका प्रयोग सुदूर इलाकों में वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूट करने के लिए किया गया था। उन्होंने कहा कि आज हम ब्लड और ब्लड से जुड़े प्रोडक्ट का ट्रांसपोर्ट कर रहे हैं। इन प्रोडक्ट्स को कम टेंपरेचर पर रखा जाता है। डॉ. बहल ने बताया कि प्रयोग के बाद, हमने पाया कि न केवल हम तापमान को बनाए रख सकते हैं, बल्कि ट्रांसपोर्ट किए गए प्रोडक्ट को भी कोई नुकसान नहीं हुआ।
तो पूरे देश में होगा यूज
डॉ. बहल ने कहा कि हमने एंबुलेंस के जरिए एक सैंपल भेजा है। उसके बाद ड्रोन के जरिये भेजे गए सैंपल से इसका मिलान किया जाएगा। डॉ. बहल ने कहा कि यदि दोनों तरीकों का यूज के बाद सैंपल में कोई अंतर नहीं होगा तो इस ड्रोन का उपयोग पूरे भारत में किया जाएगा। कोरोना काल के दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने पहली बार आईसीएमआर के वैकसीन डिलिवरी मॉडल को मंजूरी दी थी। आईसीएमआर ने आईआईटी कानपुर के साथ मिलकर आई-ड्रोन डेवलप किया था।