नयी दिल्ली, चार जून :: दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र और आप सरकार से एक शिक्षिका की उस याचिका पर जवाब मांगा है कि उसके स्कूल ने हाल ही में संशोधित मातृत्व कानून के लाभ देने से उसे इनकार कर दिया। संशोधित कानून में मातृत्व अवकाश को 12 से बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दिया गया है। न्यायमूर्ति वी के राव ने श्रम एवं रोजगार मंत्रालय, आम आदमी पार्टी :आप: सरकार के शिक्षा निदेशालय, दक्षिण दिल्ली के निजी स्कूल और उसके उप प्रधानाचार्य को महिला की याचिका पर 9 अक्तूबर को अगली सुनवाई तक अपना जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया है। शिक्षिका ने अपनी याचिका में दलील दी कि मातृत्व लाभ अधिनियम में संशोधन से माताओं के लिए अवकाश को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दिया गया है और यह संशोधन एक अप्रैल से लागू हो गया है। उन्होंने दावा किया कि स्कूल ने इस आधार पर उन्हें लाभ देने से इनकार कर दिया कि शिक्षा निदेशालय ने अभी तक संशोधित कानून को लागू करने की अधिसूचना जारी नहीं की है। उन्होंने कहा कि स्कूल का कहना था कि यह संशोधित कानून एक जुलाई से लागू होगा और शिक्षिका को संस्थान के मौजूदा नियमों के अनुसार अवकाश लेना होगा। याचिकाकर्ता ने एक जनवरी को बच्चे को जन्म दिया और उन्होंने दावा किया कि मंत्रालय द्वारा 31 मार्च को जारी गजट अधिसूचना के अनुसार संशोधित कानून को पहले ही अधिसूचित कर दिया गया है।
दिल्ली की शिक्षिका का संशोधित मातृत्व कानून का लाभ न मिलने का दावा
नयी दिल्ली, चार जून :भाषा: दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र और आप सरकार से एक शिक्षिका की उस याचिका पर जवाब मांगा है कि उसके स्कूल ने हाल ही में संशोधित मातृत्व कानून के लाभ देने से उसे इनकार कर दिया। संशोधित कानून में मातृत्व अवकाश को 12 से बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दिया गया है।
भाषा 4 Jun 2017, 9:30 am