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दीवान ने अपनी दलील के समर्थन में शीर्ष न्यायालय के पहले के आदेशों का जिक्र करते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय ने इसे स्वैच्छिक कहा है। यह न्यायालय का कर्तव्य है कि वह इस देश के नागरिकों का संरक्षण करे।

दीवान ने दलील दी कि आधार अधिनियम और आयकर अधिनियम की धारा 139एए के बीच पूरी तरह से टकराव है। यह धारा आयकर रिर्टन भरने के लिए और इस साल एक जुलाई से पैन आवंटन की अर्जी देने के लिए आधार या आधार आवेदन पंजीकरण का नंबर का जिक्र करना अनिवार्य करता है।

नवभारतटाइम्स.कॉम 3 May 2017, 9:50 pm
दीवान ने दलील दी कि आधार अधिनियम और आयकर अधिनियम की धारा 139एए के बीच पूरी तरह से टकराव है। यह धारा आयकर रिर्टन भरने के लिए और इस साल एक जुलाई से पैन आवंटन की अर्जी देने के लिए आधार या आधार आवेदन पंजीकरण का नंबर का जिक्र करना अनिवार्य करता है। सरकार ने जब याचिकाकर्ताओं की दलीलों का विरोध किया तब पीठ ने कहा कि क्या कोई व्यक्ति कह सकता है कि वह उस तरीके से कर अदा करेगा जैसा कि वह चाहता है। एक कर व्यवस्था में आप नहीं कह सकते कि मैं कर नहीं अदा करूंगा...। सवाल यह है कि एक व्यक्ति कर देने को तैयार है। क्या वह कह सकता है कि मैं उस तरीके से कर अदा करूंगा जैसा कि मैं चाहता हूं। वहीं, केंद्र ने अपने रूख को कायम रखते हुए कहा कि धारा 139एए संसद ने बनाया ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि फर्जी पैन कार्ड प्रणाली से खत्म हो और इसे दूर करने के लिए आधार सर्वश्रेष्ठ प्रभावी तरीका है। इस पर पीठ ने पूछा कि याचिकाकर्ता कह रहे हैं कि इस कानून का अनुपालन क्यों करे जो उनके मुताबिक अवैध है। इस पर सरकार ने कहा कि संसद ने अपने विवेक से फैसला किया है कि आपको कुछ चीजें करनी होगी जो याचिकाकर्ता नहीं करना चाहते। इसने कहा कि सरकार के पास अधिकार है कि वह सूचना मांग सके और सरकार ऐसा करती भी है। हालांकि, पीठ ने कहा कि यह निजता के पहलू पर नहीं जाएगी क्योंकि इस मुद्दे से एक संविधान पीठ निपटेगा। बहरहाल, न्यायालय में दलील कल भी जारी रहेगी।

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