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द्रमुक ने देशभर में ‘द्विभाषा’ नीति की पैरवी की

चेन्नई, चार जून (भाषा) केंद्र द्वारा गैर हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी पढ़ाए जाने की अनिवार्यता वाले विवादित प्रावधान को हटाने के एक दिन बाद द्रमुक ने मंगलवार को प्रस्ताव दिया कि दिग्गज द्रविड़ नेता सी एन अन्नादुरई द्वारा दिया द्विभाषा फॉर्मूला देशभर में लागू किया जाना चाहिए। द्रमुक के मुखपत्र ‘मुरासोली’ में एक संपादकीय में इस मुद्दे पर ‘‘पूर्ण विराम’’ लगाने की मांग की गई है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के मसौदे को संशोधित कर उसमें तीन भाषा के प्रस्ताव को हटाने के केंद्र के फैसले पर पार्टी के दैनिक अखबार ने कहा कि विपक्ष के प्रस्ताव के बाद

भाषा 4 Jun 2019, 7:17 pm
चेन्नई, चार जून (भाषा) केंद्र द्वारा गैर हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी पढ़ाए जाने की अनिवार्यता वाले विवादित प्रावधान को हटाने के एक दिन बाद द्रमुक ने मंगलवार को प्रस्ताव दिया कि दिग्गज द्रविड़ नेता सी एन अन्नादुरई द्वारा दिया द्विभाषा फॉर्मूला देशभर में लागू किया जाना चाहिए। द्रमुक के मुखपत्र ‘मुरासोली’ में एक संपादकीय में इस मुद्दे पर ‘‘पूर्ण विराम’’ लगाने की मांग की गई है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के मसौदे को संशोधित कर उसमें तीन भाषा के प्रस्ताव को हटाने के केंद्र के फैसले पर पार्टी के दैनिक अखबार ने कहा कि विपक्ष के प्रस्ताव के बाद यह किया गया। उसने कहा, ‘‘केंद्र पीछे हट गया है। हिंदी लागू करना और फिर पीछे हटना उनके लिए गिरगिट की तरह रंग बदलना है।’’ मुरासोली ने एक संपादकीय में कहा, ‘‘अन्ना द्वारा दिया दो भाषा का फॉर्मला पूरे भारत में लागू किया जाना चाहिए। केवल अन्ना के रास्ते पर चलने से भारतीयता की रक्षा होगी।’’ तमिलनाडु में दिग्गज द्रविड़ नेता और पार्टी के संस्थापक सी एन अन्नादुरई के नेतृत्व में 1967 में सत्ता में आने के बाद 1968 से ही तमिल और अंग्रेजी का द्विभाषा फॉर्मूला चल रहा है। द्रमुक ने आरोप लगाया, ‘‘भाजपा का आखिरी लक्ष्य केवल संस्कृत है।’’ उसने कहा कि भगवा पार्टी के अग्रदूत जन संघ ने एक बार कहा था कि संस्कृत पूरे भारत की आधिकारिक भाषा होनी चाहिए।

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