कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर के विकराल होने की मद्देनजर देश को अमेरिका, रूस, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन, आयरलैंड, बेल्जियम, रोमानिया, सिंगापुर, स्वीडन और कुवैत से भारी मात्रा में चिकित्सीय आपूर्ति (दवाएं और उपकरण आदि) मिल रहे हैं।
विदेशों से आ रही चिकित्सीय आपूर्ति के आवंटन को लेकर कुछ लोगों ने सवाल उठाए हैं।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भारत को मिल रही विदेशी सहायता की पारदर्शिता पर सवाल उठाते हुए सरकार से जवाब मांगा है।
गांधी ने बुधवार को ट्वीट किया, ‘‘कोविड विदेशी सहायता पर सवाल : भारत को क्या-क्या सामग्री प्राप्त हुई है? वह कहां है? उससे किसको लाभ हो रहा है? उन्हें राज्यों को कैसे आवंटित किया जा रहा है? कोई पारदर्शिता क्यों नहीं है? भारत सरकार, क्या कोई जवाब है?।’’
इस मामले से जुड़े लोगों ने बताया कि वैश्विक समुदाय से प्राप्त हो रही चिकित्सीय आपूर्ति को राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को आवंटित किया गया है और दान देने वालों को आवंटन की पूरी जानकारी है।
उन्होंने बताया कि आपूर्ति के यहां पहुंचने, कार्गो क्लियरेंस (जहाज से आने वाले सामान को बंदरगाह पर उतारने की अनुमति) और उनकी आपूर्ति सबकुछ विभिन्न एजेंसियों के समन्वय से एक तय तरीके से की जा रही है।
उन्होंने बताया कि अमेरिका का ‘सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन’ भी भारत की मदद करना चाहता है संस्थान के विशेषज्ञ जल्दी ही भारत के विशेषज्ञों के साथ देश में कोविड-19 की स्थिति पर वर्चुअल चर्चा करेंगे।
विदेशों में स्थिति भारतीय दूतावासों/उच्चायोगों/मिशन में तैनात अधिकारियों, भारतीय कर्मचारियों और स्थानीय कर्मचारियों के संक्रमित होने की स्थिति में विदेश मंत्रालय उनकी मदद कर रहा है।
जानकार लोगों में से एक ने बताया, ‘‘हम उनकी मदद का सर्वोत्तम प्रयास कर रहे हैं।’’