नई दिल्ली : जानी-मानी लेखिका गीतांजलि श्री (Geetanjali Shree) को साल 2022 का अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज (International Booker Prize) दिया गया है। उनके उपन्यास 'Tomb of Sand' के लिए उन्हें प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज से सम्मानित किया गया है। इस मौके पर दिग्गज भारतीय लेखिका ने कहा कि मैंने कभी बुकर का सपना नहीं देखा था, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं ऐसा कर सकता हूं। मैं चकित, खुश, सम्मानित और विनम्र महसूस कर रही हूं।
गीतांजलि श्री की ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ को बुकर पुरस्कार
‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार के लिए जब ‘शॉर्टलिस्ट’ किया गया तभी ये हिंदी भाषा की पहली कृति बन गया। अब 2022 का बुकर प्राइज भी इसको मिला है। गीतांजलि श्री की यह बुक मूल रूप से हिंदी में ‘रेत समाधि’ के नाम से प्रकाशित हुई थी। इसका अंग्रेजी अनुवाद ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ डेजी रॉकवेल ने किया है और जूरी के सदस्यों ने इसे ‘शानदार और अकाट्य’ बताया।
'मैंने कभी बुकर का सपना नहीं देखा था, मैंने नहीं सोचा था कि ऐसा कर सकता हूं'
जब 'टॉम्ब ऑफ सैंड' का सेलेक्शन बुकर के लिए किया गया था तो गीतांजलि श्री ने कहा था कि यह बहुत ही खास तरह की मान्यता है। जब कोई काम दूर बैठे अज्ञात लोगों को आकर्षित करता है। यही सच्चा समर्थन है। काम अच्छा होना चाहिए, अनुवाद बेहतरीन होना चाहिए। डेजी और मेरे लिए यह बहुत अच्छा पल है। दिखाता है कि हमारा संवाद कितना समृद्ध रहा है। अनुवाद यही होता है। अब उनके उपन्यास ने 2022 का बुकर प्राइज अपने नाम कर लिया है।
इन उपन्यासों के बीच 'टॉम्ब ऑफ सैंड' ने जीता प्राइज
50,000 पाउंड के साहित्यिक पुरस्कार के लिए पांच अन्य उपन्यासों से इसका कंपटीशन था, जिसमें 'टॉम्ब ऑफ सैंड' ने बाजी मार ली। पुरस्कार की राशि लेखिका और अनुवादक के बीच विभाजित की जाएगी। लंदन पुस्तक मेले में घोषित अन्य शॉर्टलिस्ट किताबों में बोरा चुंग की ‘कर्स्ड बनी’ शामिल थी, जिसे कोरियाई से एंटोन हूर ने अनुवाद किया है। इसके अलावा जॉन फॉसे की ‘ए न्यू नेम: सेप्टोलॉजी VI-VII’ भी इस दौड़ में थी जिसे नार्वेई भाषा से डेमियन सियर्स ने अनुवाद किया था।
इसके अलावा मीको कावाकामी की किताब 'हेवेन' भी इस दौड़ में थी जिसे जापानी से सैमुअल बेट और डेविड बॉयड ने अनुवाद किया था। क्लाउडिया पिनेरो की लिखी ‘एलेना नोज़’ का अनुवाद स्पेनिश से फ्रांसिस रिडल ने किया। और ओल्गा टोकार्ज़ुक की लिखी ‘द बुक्स ऑफ जैकब’ को पोलिश भाषा से जेनिफर क्रॉफ्ट ने अनुवाद किया था।
गीतांजलि श्री की ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ को बुकर पुरस्कार
‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार के लिए जब ‘शॉर्टलिस्ट’ किया गया तभी ये हिंदी भाषा की पहली कृति बन गया। अब 2022 का बुकर प्राइज भी इसको मिला है। गीतांजलि श्री की यह बुक मूल रूप से हिंदी में ‘रेत समाधि’ के नाम से प्रकाशित हुई थी। इसका अंग्रेजी अनुवाद ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ डेजी रॉकवेल ने किया है और जूरी के सदस्यों ने इसे ‘शानदार और अकाट्य’ बताया।
'मैंने कभी बुकर का सपना नहीं देखा था, मैंने नहीं सोचा था कि ऐसा कर सकता हूं'
जब 'टॉम्ब ऑफ सैंड' का सेलेक्शन बुकर के लिए किया गया था तो गीतांजलि श्री ने कहा था कि यह बहुत ही खास तरह की मान्यता है। जब कोई काम दूर बैठे अज्ञात लोगों को आकर्षित करता है। यही सच्चा समर्थन है। काम अच्छा होना चाहिए, अनुवाद बेहतरीन होना चाहिए। डेजी और मेरे लिए यह बहुत अच्छा पल है। दिखाता है कि हमारा संवाद कितना समृद्ध रहा है। अनुवाद यही होता है। अब उनके उपन्यास ने 2022 का बुकर प्राइज अपने नाम कर लिया है।
इन उपन्यासों के बीच 'टॉम्ब ऑफ सैंड' ने जीता प्राइज
50,000 पाउंड के साहित्यिक पुरस्कार के लिए पांच अन्य उपन्यासों से इसका कंपटीशन था, जिसमें 'टॉम्ब ऑफ सैंड' ने बाजी मार ली। पुरस्कार की राशि लेखिका और अनुवादक के बीच विभाजित की जाएगी। लंदन पुस्तक मेले में घोषित अन्य शॉर्टलिस्ट किताबों में बोरा चुंग की ‘कर्स्ड बनी’ शामिल थी, जिसे कोरियाई से एंटोन हूर ने अनुवाद किया है। इसके अलावा जॉन फॉसे की ‘ए न्यू नेम: सेप्टोलॉजी VI-VII’ भी इस दौड़ में थी जिसे नार्वेई भाषा से डेमियन सियर्स ने अनुवाद किया था।
इसके अलावा मीको कावाकामी की किताब 'हेवेन' भी इस दौड़ में थी जिसे जापानी से सैमुअल बेट और डेविड बॉयड ने अनुवाद किया था। क्लाउडिया पिनेरो की लिखी ‘एलेना नोज़’ का अनुवाद स्पेनिश से फ्रांसिस रिडल ने किया। और ओल्गा टोकार्ज़ुक की लिखी ‘द बुक्स ऑफ जैकब’ को पोलिश भाषा से जेनिफर क्रॉफ्ट ने अनुवाद किया था।