नई दिल्ली
इस जर्मन नागरिक की कहानी भी कम फिल्मी नहीं है। डॉ माइकल जॉनसन ने हिंदी फिल्म मोहनजोदड़ो देखी। आशुतोष गोवारीकर की फिल्म मोहनजोदड़ो जॉनसन ने देखी लेकिन दूसरे भारतीय दर्शकों की ही तरह नहीं। फिल्म की कहानी, घटनाक्रम गाने पर जॉनसन की अलग ही राय है। सिंधु घाटी सभ्यता के सबसे प्राचीन शहर मोहजोदड़ो के बारे में लोगों की अलग- अलग धारणाएं हैं। इसकी खुदाई में समय समय पर अलग- अलग चीजें पता चलती हैं।
74 वर्षीय सिंधु घाटी रिसर्चर के लिए कुछ अलग ही मोहनजोदड़ो। मोहनजोदड़ो को लेकर कई सवाल हैं जिसका जवाब नहीं मिला आज तक। जॉनसन जब 23 साल के थे तब वो पेशावर से सुकुर के लिए ट्रेन पर सवार हुए। डोकरी स्टेशन पर सुबह के 3 बजे पहुंचे। कुछ पल वहीं आराम किया। गेस्टबुक में लिखे कुछ कमेंट को देखा और फिर मोहजोदड़ो के लिए 10 किलोमीटर की दूरी तांगे से तय करने के लिए निकल गए। जॉनसन ने कहा स्तूप का जो नजारा था मैं उस नजारे को कभी नहीं भूल सकता। जॉनसन ने दस सर्दियों का मौसम टेंट में ही गुजार दिया। जॉनसन रिसर्च प्रोजेक्ट के डायरेक्टर थे जो मोहनजोदड़ो पर दूसरे कई देशों के शोधकर्ताओं के साथ काम कर रहे थे।
जॉनसन ने बताया कि बड़े हाउसबोट की आकार की तरह एक एक टेराकोटा नाव मिली। जॉनसन ने बताया कि काफी वक्त गुजर चुका है। यहां तक की जो स्थानीय युवा थे वो अब अधेड़ हो गए हैं। इस शहर के बारे में जॉनसन का कहना की जितना पता करो कम ही लगता है। यूनेस्को की ओर से मोहनजोदड़ो बचाओ एक कैंपेन की शुरुआत 1979 में की गई। इसमें 20 मिलियन डॉलर एकत्र किया गया।
एक हिस्से की आगे की खुदाई की मनाही है। 1980 के दशक में जर्मन अनुसंधान परियोजना मोहजोदड़ो के साथ कई नई चीजें सामने आईं। जॉनसन ने याद करते हुए कहा कि मोहजोदड़ो में कई चीजें दफन हैं। सिंधु के सात मीटर से अधिक हिस्से में सिल्ट है। कुछ चीजों से पता चलता है कि शहर दोगुने से अधिक था आज जो आकार दिखाई दे रहा है उससे कहीं अधिक।
मोहजोदड़ो के बारे में समय समय पर खुदाई में मिले अवशेषों के आधार पर इस स्थान के बारे में पता चलता है। खुदाई में अलग- अलग तरह की चीजें सामने आई हैं जिसके आधार पर अलग अलग धारणाएं बनीं। मोहनजोदड़ो की पहली सुलझाने में माइकल जॉनसन ने अपने जीवन का अधिकांश हिस्सा बिता दिया। जॉनसन का मानना है कि इस शहर को लेकर कई रहस्य अब भी बरकरार है।
इस जर्मन नागरिक की कहानी भी कम फिल्मी नहीं है। डॉ माइकल जॉनसन ने हिंदी फिल्म मोहनजोदड़ो देखी। आशुतोष गोवारीकर की फिल्म मोहनजोदड़ो जॉनसन ने देखी लेकिन दूसरे भारतीय दर्शकों की ही तरह नहीं। फिल्म की कहानी, घटनाक्रम गाने पर जॉनसन की अलग ही राय है। सिंधु घाटी सभ्यता के सबसे प्राचीन शहर मोहजोदड़ो के बारे में लोगों की अलग- अलग धारणाएं हैं। इसकी खुदाई में समय समय पर अलग- अलग चीजें पता चलती हैं।
74 वर्षीय सिंधु घाटी रिसर्चर के लिए कुछ अलग ही मोहनजोदड़ो। मोहनजोदड़ो को लेकर कई सवाल हैं जिसका जवाब नहीं मिला आज तक। जॉनसन जब 23 साल के थे तब वो पेशावर से सुकुर के लिए ट्रेन पर सवार हुए। डोकरी स्टेशन पर सुबह के 3 बजे पहुंचे। कुछ पल वहीं आराम किया। गेस्टबुक में लिखे कुछ कमेंट को देखा और फिर मोहजोदड़ो के लिए 10 किलोमीटर की दूरी तांगे से तय करने के लिए निकल गए। जॉनसन ने कहा स्तूप का जो नजारा था मैं उस नजारे को कभी नहीं भूल सकता। जॉनसन ने दस सर्दियों का मौसम टेंट में ही गुजार दिया। जॉनसन रिसर्च प्रोजेक्ट के डायरेक्टर थे जो मोहनजोदड़ो पर दूसरे कई देशों के शोधकर्ताओं के साथ काम कर रहे थे।
जॉनसन ने बताया कि बड़े हाउसबोट की आकार की तरह एक एक टेराकोटा नाव मिली। जॉनसन ने बताया कि काफी वक्त गुजर चुका है। यहां तक की जो स्थानीय युवा थे वो अब अधेड़ हो गए हैं। इस शहर के बारे में जॉनसन का कहना की जितना पता करो कम ही लगता है। यूनेस्को की ओर से मोहनजोदड़ो बचाओ एक कैंपेन की शुरुआत 1979 में की गई। इसमें 20 मिलियन डॉलर एकत्र किया गया।
एक हिस्से की आगे की खुदाई की मनाही है। 1980 के दशक में जर्मन अनुसंधान परियोजना मोहजोदड़ो के साथ कई नई चीजें सामने आईं। जॉनसन ने याद करते हुए कहा कि मोहजोदड़ो में कई चीजें दफन हैं। सिंधु के सात मीटर से अधिक हिस्से में सिल्ट है। कुछ चीजों से पता चलता है कि शहर दोगुने से अधिक था आज जो आकार दिखाई दे रहा है उससे कहीं अधिक।
मोहजोदड़ो के बारे में समय समय पर खुदाई में मिले अवशेषों के आधार पर इस स्थान के बारे में पता चलता है। खुदाई में अलग- अलग तरह की चीजें सामने आई हैं जिसके आधार पर अलग अलग धारणाएं बनीं। मोहनजोदड़ो की पहली सुलझाने में माइकल जॉनसन ने अपने जीवन का अधिकांश हिस्सा बिता दिया। जॉनसन का मानना है कि इस शहर को लेकर कई रहस्य अब भी बरकरार है।