राहुल त्रिपाठी, नई दिल्ली
गृह मंत्रालय ने तीस्ता सीतलवाड़ के एनजीओ सबरंग ट्रस्ट पर फॉरन डोनेशन हासिल करने पर रोक लगाने का फैसला किया है। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि फॉरन कंट्रिब्यूशन रेग्युलेशन ऐक्ट (FCRA) के तहत सबरंग का लाइसेंस कैंसल करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
सबरंग 2002 के गुजरात दंगों से जुड़े मामलों को उठाता रहा है। गुजरात में नरेंद्र मोदी की पूर्व सरकार की तीस्ता भी आलोचना करती थीं। पिछले साल 9 सितंबर को केंद्र सरकार ने FCRA नियमों के कई उल्लंघनों का हवाला देते हुए सबरंग का लाइसेंस सस्पेंड कर दिया था। इन उल्लंघनों में ट्रस्टीज के व्यक्तिगत लाभ के लिए फंड्स का गलत इस्तेमाल करना भी शामिल था।
यह निलंबन 180 दिनों के लिए था और इसकी अवधि 10 मार्च को समाप्त हो गई। सबरंग ने अक्टूबर 2015 में सरकार के नोटिस को लेकर अपना जवाब दाखिल किया था। इस जवाब में दलील दी गई थी कि निलंबन के लिए सरकार की ओर से बताए गए कारण मनमाने हैं और तीस्ता की संस्था सभी डोनेशंस को लेकर स्पष्टीकरण दे सकती है। हालांकि, गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि यह जवाब 'अपर्याप्त' पाया गया है और इसके बाद पर सबरंग के एनजीओ का FCRA लाइसेंस कैंसल करने का फैसला किया गया है।
इस बारे में तीस्ता ने ईटी की ओर से भेजी गई ईमेल का जवाब नहीं दिया। उनके पति और सबरंग के ट्रस्टी जावेद आनंद ने बताया, 'हमने अपना जवाब गृह मंत्रालय को निर्धारित समयसीमा में दे दिया था।' तीस्ता और जावेद से जुड़े एक व्यक्ति ने बताया कि सबरंग कैंसलेशन के ऑर्डर को कानूनी चुनौती देगा।
मंत्रालय ने निलंबन के अपने नोटिस में कहा था कि 2010-11 और 2011-12 में सबरंग ने विदेश से मिले फंड्स में से 55 पर्सेंट और 65 पर्सेंट का इस्तेमाल 'प्रशासनिक खर्चों' के लिए किया था। FCRA रूल्स में कहा गया है कि अगर किसी एनजीओ के प्रशासनिक खर्च कुल फॉरन डोनेशंस के 50 पर्सेंट से अधिक होते हैं तो इसके लिए उसे मंत्रालय से मंजूरी लेने की जरूरत है।
गृह मंत्रालय ने कहा था कि सबरंग ने 50 लाख रुपये सबरंग कम्युनिकेशन ऐंड पब्लिशिंग प्राइवेट लिमिटेड (SCPPL) नाम की एंटिटी को ट्रांसफर किए थे, जिसके डायरेक्टर्स तीस्ता और जावेद हैं। निलंबन के ऑर्डर में कहा गया था कि ऐसा लगता है कि यह ट्रांसफर व्यक्तिगत फायदे के लिए किया गया था। ऑर्डर में यह भी कहा गया था कि सबरंग ने डोनेशन से मिली रकम तीस्ता और जावेद के क्रेडिट कार्ड के बिल चुकाने के लिए कई बैंक अकाउंट्स में ट्रांसफर की गई थी।
SCPPL की सीबीआई फॉरन फंड्स रूल्स के उल्लंघन के लिए जांच कर रही है। तीस्ता के एक अन्य एनजीओ सिटीजंस फॉर जस्टिस एंड पीस को फॉरन डोनेशंस स्वीकार करने से पहले सरकार की अनुमति लेनी होगी।
गृह मंत्रालय ने तीस्ता सीतलवाड़ के एनजीओ सबरंग ट्रस्ट पर फॉरन डोनेशन हासिल करने पर रोक लगाने का फैसला किया है। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि फॉरन कंट्रिब्यूशन रेग्युलेशन ऐक्ट (FCRA) के तहत सबरंग का लाइसेंस कैंसल करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
सबरंग 2002 के गुजरात दंगों से जुड़े मामलों को उठाता रहा है। गुजरात में नरेंद्र मोदी की पूर्व सरकार की तीस्ता भी आलोचना करती थीं। पिछले साल 9 सितंबर को केंद्र सरकार ने FCRA नियमों के कई उल्लंघनों का हवाला देते हुए सबरंग का लाइसेंस सस्पेंड कर दिया था। इन उल्लंघनों में ट्रस्टीज के व्यक्तिगत लाभ के लिए फंड्स का गलत इस्तेमाल करना भी शामिल था।
यह निलंबन 180 दिनों के लिए था और इसकी अवधि 10 मार्च को समाप्त हो गई। सबरंग ने अक्टूबर 2015 में सरकार के नोटिस को लेकर अपना जवाब दाखिल किया था। इस जवाब में दलील दी गई थी कि निलंबन के लिए सरकार की ओर से बताए गए कारण मनमाने हैं और तीस्ता की संस्था सभी डोनेशंस को लेकर स्पष्टीकरण दे सकती है। हालांकि, गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि यह जवाब 'अपर्याप्त' पाया गया है और इसके बाद पर सबरंग के एनजीओ का FCRA लाइसेंस कैंसल करने का फैसला किया गया है।
इस बारे में तीस्ता ने ईटी की ओर से भेजी गई ईमेल का जवाब नहीं दिया। उनके पति और सबरंग के ट्रस्टी जावेद आनंद ने बताया, 'हमने अपना जवाब गृह मंत्रालय को निर्धारित समयसीमा में दे दिया था।' तीस्ता और जावेद से जुड़े एक व्यक्ति ने बताया कि सबरंग कैंसलेशन के ऑर्डर को कानूनी चुनौती देगा।
मंत्रालय ने निलंबन के अपने नोटिस में कहा था कि 2010-11 और 2011-12 में सबरंग ने विदेश से मिले फंड्स में से 55 पर्सेंट और 65 पर्सेंट का इस्तेमाल 'प्रशासनिक खर्चों' के लिए किया था। FCRA रूल्स में कहा गया है कि अगर किसी एनजीओ के प्रशासनिक खर्च कुल फॉरन डोनेशंस के 50 पर्सेंट से अधिक होते हैं तो इसके लिए उसे मंत्रालय से मंजूरी लेने की जरूरत है।
गृह मंत्रालय ने कहा था कि सबरंग ने 50 लाख रुपये सबरंग कम्युनिकेशन ऐंड पब्लिशिंग प्राइवेट लिमिटेड (SCPPL) नाम की एंटिटी को ट्रांसफर किए थे, जिसके डायरेक्टर्स तीस्ता और जावेद हैं। निलंबन के ऑर्डर में कहा गया था कि ऐसा लगता है कि यह ट्रांसफर व्यक्तिगत फायदे के लिए किया गया था। ऑर्डर में यह भी कहा गया था कि सबरंग ने डोनेशन से मिली रकम तीस्ता और जावेद के क्रेडिट कार्ड के बिल चुकाने के लिए कई बैंक अकाउंट्स में ट्रांसफर की गई थी।
SCPPL की सीबीआई फॉरन फंड्स रूल्स के उल्लंघन के लिए जांच कर रही है। तीस्ता के एक अन्य एनजीओ सिटीजंस फॉर जस्टिस एंड पीस को फॉरन डोनेशंस स्वीकार करने से पहले सरकार की अनुमति लेनी होगी।