ऐपशहर

Gyanvapi Verdict: वजू का इंतजाम, सीनियर जज से सुनवाई... ज्ञानवापी पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बड़ी बातें

Gyanvapi Mosque Case Supreme Court News: (ज्ञानवापी मस्जिद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला): ज्ञानवापी मस्जिद मामले में फिलहाल दखल देने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है। वाराणसी की जिला अदालत इस मामले पर सुनवाई करेगी।

Curated byसत्यकाम अभिषेक | नवभारतटाइम्स.कॉम 20 May 2022, 4:27 pm

हाइलाइट्स

  • मुस्लिम पक्ष की ओर से ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे के खिलाफ याचिका
  • वाराणसी की लोकल कोर्ट में दाखिल की जा चुकी है सर्वे की रिपोर्ट
  • हिंदू पक्ष की ओर से हरिशंकर जैन और विष्‍णु शंकर जैन देंगे दलील
  • सुप्रीम कोर्ट ने केस में लोकल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी
सारी खबरें हाइलाइट्स में पढ़ने के लिए ऐप डाउनलोड करें
नई दिल्‍ली: सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद मामले को वाराणसी की सिविल कोर्ट से डिस्ट्रिक्‍ट कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया है। शीर्ष अदालत ने शुक्रवार दोपहर को सुनवाई के दौरान कहा कि यह बेहद संवेदनशील मामला है। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि मामले को उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा के वरिष्ठ और अनुभवी न्यायिक अधिकारी सुनें। कोर्ट ने कहा कि उसका आदेश अगले 8 हफ्ते तक प्रभावी रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी के जिलाअधिकारी को मस्जिद में वजू की व्‍यवस्‍था करने के भी निर्देश दिए।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई: शुरू से आखिर तक क्‍या हुआ, सब पढ़‍िए:
  • सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इस वक्‍त हम क्‍या कर सकते हैं, उस विषय में तीन सुझाव हैं। पहला, हमें कहें कि ट्रायल कोर्ट आवेदन का निपटारा करे। दूसरा, हमने एक अंतरिम आदेश पारित किया है, वह निचली अदालत का आदेश आने तक लागू रहे। तीसरा, चूंकि यह मसला बेहद जटिल और संवेदनशील है, हमारी राय है कि इसे एक जिला जज सुनें। हम ट्रायल जज के ऊपर सवाल नहीं उठा रहे हैं, लेकिन इस तरह के मामलों में अनुभवी व्‍यक्ति बेहतर है।
  • हिंदू पक्ष की तरफ से क्‍या कहा गया? एक हिंदू याचिकाकर्ता की तरफ से पेश वकील एस वैद्यनाथन ने कहा कि सभी आदेश लागू किए जा चुके हैं। जहां तक ऑर्डर 7 रूल 11 के तहत आवेदन के फैसले की बात है, प्रॉपर्टी का धार्मिक चरित्र देखना होगा। उसके लिए कमिशन की रिपोर्ट देखनी होगी। ट्रायल कोर्ट को रिपोर्ट देखने दीजिए।
  • मस्जिद कमिटी की ओर से पेश वरिष्‍ठ वकील ने कहा कि 'इस मामले में बड़ी शरारत हो सकती है। इसे शुरू में ही निपटना होगा। कमिशन की नियुक्ति से लेकर अब तक के सारे आदेश गैरकानूनी हैं और उन्‍हें खारिज किया जाना चाहिए।
  • मुस्लिम पक्ष ने कहा कि उनकी आपत्ति आयोग की नियुक्ति पर है। अहमदी ने कहा कि यथास्थिति को पहले ही बदला जा चुका है। वे ऐसी जगह को सील करवाने में कामयाब हो रहे हैं जिसे एक पक्ष 500 साल तक इस्‍तेमाल करता आया है।
  • अहमद ने आशंका जताई कि इस मामले का असर दूरगामी होगा। उन्‍होंने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि 'जब तक आवेदन पर फैसला होगा, जमीन पर क्‍या होगा? आपको देखना होगा कि इस मामले का इस्‍तेमाल देश में 4-5 मस्जिदों के लिए हो रहा है, इससे सार्वजनिक शांति भंग हो सकती है।'
  • सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष के वकील से कहा कि आपके तर्क में दम देखते हुए हम ट्रायल कोर्ट को इजाजत नहीं दे रहे। अगर आपके पास जमीन पर शांति बनाए रखने के लिए आदेश में किसी बदलाव का सुझाव है तो दीजिए। इसपर अहमदी ने कहा कि हाई कोर्ट ने गलती करते हुए आयोग के सर्वे करने को सही ठहराया है। कृपया 1991 का ऐक्‍ट देखिए।
  • जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, 'एक और रास्‍ता है। आपने (मुस्लिम पक्ष) आयुक्‍त की नियुक्ति के आदेश को चुनौती दी है अगर हम SLP का निस्‍तारण कर दें तो वह आदेश अनंतिम हो जाएगा। लेकिन अगर आप ऑर्डर 7 रूल 11 को चुनौती देने में फेल होते हैं तो हम इस SLP को लंबित रख सकते हैं, हम वेकेशन के बाद इस SLP पर सुनवाई कर सकते हैं।'
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये जटिल सामाजिक समस्‍याएं हैं किसी इंसान का सुझाया हल परफेक्‍ट नहीं हो सकता। हमारा आदेश कुछ हद तक शांति व्‍यवस्‍था बनाए रखने का है। हम यहां देश में एकता की भावना बरकरार रखने के संयुक्‍त मिशन पर हैं।
  • मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा कि दूसरे पक्ष को बताया जाना चाहिए कि जान-बूझकर लीक्‍स न किए जाएं। प्रेस में चीजें न लीक हों। मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में कहा कि शिवलिंग मिलने का दावा किया जा रहा है, हमारे हिसाब से यह फव्‍वारा है। इस पर वैद्यनाथन ने आपत्ति जताई। अहमदी ने कहा कि उनकी आवाज दबाने की कोशिश हो रही है, इसपर कोर्ट ने वैद्यनाथन से दो मिनट रुकने को कहा।
  • जस्टिस चंद्रचूड़ ने पूछा कि पूरा इलाका सील है तो नमाज की अनुमति कैसे है? इसपर अहमदी ने कहा कि 'नमाज की अनुमति है लेकिन वह इलाका वजू के लिए इस्‍तेमाल होता था। पूरा एरिया सील कर दिया गया है। सब तरफ पुलिस और लोहे के गेट हैं। यथास्थिति बदल दी गई है।'
  • सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि वजू के लिए इंतजाम किए गए हैं। इसपर अहमदी ने कहा कि आप ने यथास्थिति बदल दी है। अहमदी और एसजी के बीच बहस हुई। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर वजू नहीं हो पा रहा है तो हम आदेश जारी कर सकते हैं।
  • मुस्लिम पक्ष के वकील ने प्‍लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्‍ट, 1991 पर बहस करते हुए कहा क‍ि 'आपने (निचली अदालत) आयोग की नियुक्ति क्‍यों की? यह पता लगाने के लिए कि वहां देवता हैं या नहीं। यह सेक्‍शन 3 के तहत प्रतिबंधित हैं।' इसपर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि धार्मिक चरित्र का आंकलन प्रतिबंधित नहीं है।'
  • अदालत में अब इसपर चर्चा चल रही है कि क्‍या बेंच जस्टिस एन नागेश्‍वर राव के फेयरवेल के लिए उठे और बाद में फिर बैठे। इसपर रंजीत कुमार ने कहा कि आज के बजाय सोमवार या मंगलवार को सुनवाई करें। सॉलिसिटर जनरल ने भी कहा कि अंतरिम आदेश में सबकुछ बैलेंस है। अहमदी ने कहा कि अगर वेकेशंस के बाद सुनवाई कर रहे हैं तो तालाब के इस्‍तेमाल की इजाजत दीजिए। अहमदी ने कहा कि नल के पानी के इस्‍तेमाल की भी इजाजत मिले। इसपर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि कमिशन की रिपोर्ट पेश की जानी चाहिए। एसजी ने कहा कि अगर तालाब के पानी के इस्‍तेमाल की इजाजत दी गई तो कानून-व्‍यवस्‍था की स्थिति बिगड़ सकती है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने मामले को वाराणसी के डिस्ट्रिक्‍ट जज की अदालत में ट्रांसफर करने का आदेश दिया। कोर्ट का अंतरिम आदेश 8 हफ्ते तक लागू रहेगा।
पिछली सुनवाई पर क्‍या हुआ था?
शीर्ष अदालत ने वाराणसी के सिविल कोर्ट को निर्देश दिया था कि वह ज्ञानवापी मस्जिद मामले की कार्यवाही को शुक्रवार तक आगे न बढ़ाए। सुप्रीम कोर्ट का निर्देश मिलने के बाद वाराणसी की अदालत ने फैसला किया कि अब मामले की अगली सुनवाई 23 मई को होगी। इस बीच, स्पेशल एडवोकेट कमिश्नर ने मस्जिद परिसर की सर्वे रिपोर्ट गुरुवार को काशी की कोर्ट को सौंप दी। ज्ञानवापी परिसर के दो चरण में हुए सर्वे की दो अलग-अलग रिपोर्ट गुरुवार को वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट में दाखिल की गईं। कोर्ट ने दोनों रिपोर्ट को रेकॉर्ड में ले लिया है। एनबीटी के हाथ लगी इन रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक ज्ञानवापी परिसर में प्राचीन मंदिर के पुख्‍ता प्रमाण मिले हैं।

सर्वे में दावा: ज्ञानवापी में मिले मंदिर के पुख्‍ता प्रमाण
ज्ञानवापी परिसर के दो चरण में हुए सर्वे की दो अलग-अलग रिपोर्ट गुरुवार को वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट में दाखिल की गईं। कोर्ट ने दोनों रिपोर्ट को रेकॉर्ड में ले लिया है। एनबीटी के हाथ लगी इन रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक ज्ञानवापी परिसर में प्राचीन मंदिर के पुख्‍ता प्रमाण मिले हैं। इनमें देवी-देवताओं की कलाकृतियां, देव विग्रह (मूर्तियां) के अलावा दीवारों पर त्रिशूल, स्‍वस्तिक, पान और विग्रह रखने के स्‍थान जैसी तमाम आकृतियां शामिल हैं। रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि वजूखाने के तालाब में मिले शिवलिंग जैसी जिस आकृति को मुस्लिम पक्ष फव्‍वारा बता रहा है, उसमें पानी का पाइप लगाने की कोई जगह ही नहीं है। 2.50 फुट ऊंची आकृति के ऊपर अलग से सफेद पत्‍थर लगा है। आकृति के बीचो-बीच आधे इंच से कम चौड़ाई का एक ही छेद मिला, जो 63 सेमी गहरा है। पूरी आकृति में इसके अलावा कोई और छेद नहीं है।

ज्ञानवापी पर RSS बोला, सच छुपाया नहीं जा सकता
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने ज्ञानवापी मामले में कहा है कि तथ्यों को सामने आने देना चाहिए, क्योंकि इसे अधिक समय तक छिपाया नहीं जा सकता। आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने ज्ञानवापी को लेकर यह बयान दिया। उन्होंने कहा, 'ज्ञानवापी को लेकर कुछ तथ्य हैं, जो सामने आ रहे हैं। मेरा मानना है कि तथ्य को सामने आने देना चाहिए। किसी भी स्थिति में सच्चाई सामने आएगी ही। आप कितने समय तक सच को छिपाएंगे। मेरा मानना है कि ऐतिहासिक तथ्यों को सही परिप्रेक्ष्य में समाज के सामने आना ही चाहिए।' सुनील आंबेकर के इस बयान को काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मसले को लेकर काफी अहम माना जा रहा है। अयोध्या विवाद को लेकर जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया था, उस समय मथुरा और काशी को लेकर पूछे गए एक सवाल का जवाब में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि संघ ऐतिहासिक कारणों की वजह से रामजन्मभूमि आंदोलन से जुड़ा था और यह अपवाद के तौर पर ही था। उस समय भागवत ने कहा था कि संघ अब मानव विकास को लेकर काम करेगा।

शिवलिंग की जगह पर पूजा की इजाजत समेत 4 अर्जियों पर सुनवाई 23 मई को
वाराणसी की अदालत में ज्ञानवापी मामले की अगली सुनवाई 23 मई को होगी। अदालत ने यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद किया है। हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव ने बताया कि गुरुवार को दोनों पक्षों ने अपनी आपत्तियां और जवाबी आपत्तियां दायर कीं। ज्ञानवापी मामले में दाखिल याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई होनी थी। वकीलों की हड़ताल के चलते सुनवाई नहीं की जा सकी थी।

  • जिन चार अर्जियों पर सुनवाई होनी है, उनमें पहली अर्जी मछिलयों को संरक्षित किए जाने की है।
  • दूसरी अर्जी मस्जिद की दीवार तोड़ी जाने पर है।
  • तीसरी अर्जी में हिंदू पक्ष की तरफ से अजय मिश्रा को बतौर कोर्ट कमिनशर रिपोर्ट फाइल करने का अधिकार देने की मांग है।
  • चौथी अर्जी मुस्लिम पक्ष की तरफ से आपत्ति दर्ज कराने को लेकर समय मांगने की है।
दरअसल, महिला पक्ष की तरफ से दायर याचिका में नंदी के सामने बंद दीवार को तोड़कर रास्ता देने और शिवलिंग वाली जगह पर पूजा की इजाजत की मांग की गई है। एक अन्य याचिका में वुजूखाने में मौजूद मछलियों को कहीं और शिफ्ट करने और नमाजियों के वुजू करने और शौचालय की व्यवस्था सील की गई जगह से दूर करने के लिए याचिका दी गई है।
लेखक के बारे में
सत्यकाम अभिषेक
सत्यकाम अभिषेक नवभारत टाइम्स ऑनलाइन में असिस्टेंट एडिटर हैं. यूनिवार्ता, सहारा, ज़ी न्यूज़ से होते हुए अब नवभारत टाइम्स में सेंट्रल टीम और शिफ्ट हेड हैं.... और पढ़ें

अगला लेख

Indiaकी ताजा खबरें, ब्रेकिंग न्यूज, अनकही और सच्ची कहानियां, सिर्फ खबरें नहीं उसका विश्लेषण भी। इन सब की जानकारी, सबसे पहले और सबसे सटीक हिंदी में देश के सबसे लोकप्रिय, सबसे भरोसेमंद Hindi Newsडिजिटल प्लेटफ़ॉर्म नवभारत टाइम्स पर