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Explained: लिफ्ट का क्यों हो जाता है 'ब्रेक फेल', समझिए और सावधान रहिए

Lift Accident News in India in Hindi: देश में हाल के दिनों में लिफ्ट में होने वाली दुर्घटनाएं काफी हो रही हैं। नोएडा समेत देश के कई शहरों में हाई राइज सोसायटी बन रही हैं। सभी इमारतों में लिफ्ट भी लगती हैं। लेकिन यूपी में अभी तक लिफ्ट लगाने और उसके रख-रखाव को लेकर कोई एक्ट ही नहीं है।

Curated byसत्यकाम अभिषेक | नवभारतटाइम्स.कॉम 27 Dec 2022, 1:24 pm

हाइलाइट्स

  • नोएडा, मुंबई समेत देश के कई शहरों में खूब बन रही हैं हाई राइज सोसायटी
  • इन सोसायटी में लिफ्ट के रख-रखाव के लिए है कई नियम
  • यूपी में अभी तक लिफ्ट के लगाने और रख-रखाव के लिए नहीं है कोई कानून
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लिफ्ट का क्यों हो जाता है ब्रेक फेल?
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के नोएडा, गाजियाबाद की कई सोसायटियों में हाल के दिनों में लोगों के लिफ्ट में फंसने की कई घटनाएं सामने आई हैं। दरअसल, सोसायटी में लिफ्ट का रख-रखाव अपार्टमेंट ऑनर्स एसोसिएशन (Apartment Owners Association) के जरिए किया जाता है। लेकिन नियम-कानून का ध्यान नहीं रखना और एक्सपर्ट की कमी के कारण सोसायटियों में लिफ्ट के खराब होने, फंसने की घटनाएं लगातार हो रही हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि सोसायटी में लिफ्ट के रख-रखाव का नियम कानून क्या है। आइए समझते हैं।

यूपी में क्या है कानून?

2018 में पीडब्ल्यूडी डिपार्टमेंट ने लिफ्ट और एस्क्लेटर एक्ट का एक ड्राफ्ट तैयार करके उसे राज्य सरकार को भेजा था। ड्राफ्ट में लिफ्ट की सेफ्टी और उसके सही संचालन के लिए कई सारे नियम कानून बनाने की सलाह दी गई थी। लेकिन चार साल बीत जाने के बाद भी इस ड्राफ्ट पर अबतक कोई फैसला नहीं हो पाया है। नोएडा और ग्रेटर नोएडा में करीब 2 हजार हाई राइज सोसायटी हैं। करीब-करीब हर दूसरे दिन यहां रहने वाले लोगों के लिफ्ट में फंसने की खबरें आती रहती हैं। कोई कुछ मिनट के लिए लिफ्ट में फंस जाता है तो कई की सांसें घंटों तक लिफ्ट में अटकी रहती है। लगभग हर मामले में ये सामने आया है कि जब लिफ्ट अटकती है तो ऑटोमेटिक रेस्क्यू सिस्टम काम करना बंद कर देता है। या फिर सोसायटी की मेंटेंनेस टीम देर से हरकत में आता है।
महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में लिफ्ट को लेकर नियम-कानून
यूपी में भले ही सोसायटी में लिफ्ट को लेकर नियम-कानून अभी नहीं बने हों लेकिन महाराष्ट्र समेत देश के कई राज्यों में लिफ्टों को लेकर नियम-कानून हैं। लिफ्ट चाहे रेसिडेंसियल हो, व्यवसायिक हो या औद्योगिक ये परियोजना के हिसाब से डिवेलपमेंट कंट्रोल रेग्युलेशन के तहत ही बनेंगे। बॉम्बे लिफ्ट्स एक्ट 1939 के अनुसार, जो भी मालिक ऐसी जगहों पर लिफ्ट लगाना चाहते हैं वो राज्य सरकार के अधिकृत अधिकारी के पास इसे लेकर आवेदन देंगे। इस आवेदन में लिफ्ट के बारे में सारी जानकारी दी जानी चाहिए।

-लिफ्ट किस प्रकार की है।
-लिफ्ट की अधिकतम स्पीड कितनी है।
-लिफ्ट का वजन कितना है।
-लिफ्ट में अधिकतम और न्यूनतम कितने लोग जा सकते हैं।
-लिफ्ट अधिकतम कितना भार उठा सकती है।
-लिफ्ट को ऊपर-नीचे ले जाने वाले केबल का वजन, उसकी पूरी जानकारी।
-कोई ऐसी जानकारी जो दी जानी जरूरी है।

इन जानकारियों के बाद पीडब्ल्यूडी विभाग के लिफ्ट इंस्पेक्टर लिफ्ट की जांच करके नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट जारी करता है।

मुंबई में लिफ्ट के रख-रखाव के लिए है सख्त नियम
-लिफ्ट का रख-रखाव अप्रूव्ड लिफ्ट कंपनी के जरिए ही होनी चाहिए।
-लिफ्ट इंस्पेक्टर को साल में दो बार लिफ्ट की जांच करनी चाहिए।
-लिफ्ट इंस्पेक्टर को फॉर्म डी के जरिए सोसायटी या मालिकों को लिखित में लिफ्ट को लेकर नोटिस देनी चाहिए।
-अगर जांच में लिफ्ट में किसी प्रकार की खराबी पाई जाती है तो लिफ्ट इंस्पेक्टर को लिफ्ट के मालिक को नोटिस जारी करना चाहिए।

नोएडा में क्यों होता है लिफ्ट का ब्रेक फेल?

लिफ्ट बनाने वाली कंपनियों का दावा है कि सोसायटी कई बार रख-रखाव का खर्चा बचाने की कोशिश करती हैं। कंपनियों का दावा है कि कई सोसायटी लिफ्ट के रख-रखाव का खर्च बचाने के लिए लोकल तकनीशियन को बुलाते हैं। विशेषज्ञों की निगरानी की जगह नॉर्मल तकनीशियन इसे देखते हैं। वो कंपनी जैसी विशेषज्ञता नहीं दे पाते हैं। ऐसे में दुर्घटना होने का खतरा मंडराता रहता है। 2015 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में लिफ्ट को लेकर नियम जारी करने की मांग को लेकर याचिका दाखिल करने वाले गाजियाबाद निवासी आलोक कुमार ने बताया कि 2018 में लिफ्ट के रख-रखाव को लेकर एक ड्राफ्ट बनाया गया और उसे सरकार के पास भेजा गया। इसके बाद इस प्रस्ताव को विधानसभा से पारित होना था। मौजूदा वक्त में हाई राइज बिल्डिंग तेजी से बनती जा रही हैं दूसरी तरफ लिफ्ट से होने वाली दुर्घटनाएं भी बढ़ रही हैं।

नोएडा में कैसे मिलती है लिफ्ट को हरी झंडी?
मौजूदा वक्त में डायरेक्टरेट ऑफ इलेक्ट्रिकल सेफ्टी लिफ्ट के लिए नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट जारी करता है। इसके बाद अथॉरिटी डिवेलपर को ऑक्युपेशन सर्टिफिकेट जारी करती है। जिस तरह से नोएडा समेत देश के तमाम राज्यों में हाई राइज सोसायटी बढ़ रही हैं, वैसे में सभी राज्यों को लिफ्ट एक्ट बनाने की जरूरत है।
लेखक के बारे में
सत्यकाम अभिषेक
सत्यकाम अभिषेक नवभारत टाइम्स ऑनलाइन में असिस्टेंट एडिटर हैं. यूनिवार्ता, सहारा, ज़ी न्यूज़ से होते हुए अब नवभारत टाइम्स में सेंट्रल टीम और शिफ्ट हेड हैं.... और पढ़ें

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