नयी दिल्ली, 26 जनवरी (भाषा) इसरो के जाने माने वैज्ञानिक से लेकर जासूसी के आरोप का सामना कर चुके नंबी नारायण ने शनिवार को कहा कि वह खुश है कि भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में उनके काम को आखिरकार पहचाना गया। नारायणन (77) को इस बार गणतंत्र दिवस पर प्रतिष्ठित पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्होंने पीटीआई-भाषा से फोन पर कहा, ‘‘मेरा नाम ‘जासूसी’ के आरोपों के कारण मशहूर हो गया। अब मैं खुश हूं कि सरकार ने मेरे योगदान को पहचाना।’’ पूर्व वैज्ञानिक ने ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी), भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान के विकास और क्रायोजेनिक इंजन बनाने के शुरुआती चरण में अहम भूमिका निभाई थी। हालांकि 1994 में उन पर जासूसी का आरोप लगा। यह आरोप भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम से जुड़े कुछ गोपनीय दस्तावेज विदेशों को कथित तौर पर देने से जुड़ा था। सबसे पहले केरल पुलिस ने इस मामले की जांच की और बाद में इसे सीबीआई को सौंपा गया जिसने पाया कि कोई जासूसी नहीं की गई थी। इस मामले पर राजनीति भी गरमाई थी जब कांग्रेस में एक धड़े ने इस मुद्दे पर तत्कालीन मुख्यमंत्री के करुणाकरन को निशाना बनाया था जिससे उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। उस समय भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) में क्रायोजेनिक परियोजना के निदेशक नारायणन को इसरो के उपनिदेशक डी शशिकुमारन और रूस की अंतरिक्ष एजेंसी के भारतीय प्रतिनिधि के चंद्रशेखर के साथ गिरफ्तार किया गया था। श्रमिकों के ठेकेदार एस के शर्मा और मालदीव की दो महिलाओं को भी गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में लंबी कानूनी लड़ाई चली और इसका समापन गत वर्ष हुआ जब उच्चतम न्यायालय ने नारायणन को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया और केरल सरकार को उन्हें 50 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया। इन घटनाओं पर नजर डालने पर पूर्व वैज्ञानिक ने कहा कि ये ‘‘जिंदगी का हिस्सा’’ थी और वह खुश हैं कि आखिरकार उनके योगदान को पहचाना गया। नारायणन के काम की प्रशंसा करते हुए पूर्व इसरो अध्यक्ष माधवन नायर ने कहा, ‘‘उन्होंने पीएसएलवी, जीएसएलवी और लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम (एलपीएस) के विकास में अहम भूमिका निभाई।’’ साल 2015 से 2018 तक इसरो के प्रमुख रहे ए एस किरन कुमार ने कहा कि नारायणन भारत में क्रायोजेनिक इंजन तकनीक के अग्रदूतों में से एक रहे हैं।
खुश हूं कि आखिरकार मेरे काम को पहचाना गया : पूर्व इसरो वैज्ञानिक नंबी नारायणन
नयी दिल्ली, 26 जनवरी (भाषा) इसरो के जाने माने वैज्ञानिक से लेकर जासूसी के आरोप का सामना कर चुके नंबी नारायण ने शनिवार को कहा कि वह खुश है कि भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में उनके काम को आखिरकार पहचाना गया। नारायणन (77) को इस बार गणतंत्र दिवस पर प्रतिष्ठित पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्होंने पीटीआई-भाषा से फोन पर कहा, ‘‘मेरा नाम ‘जासूसी’ के आरोपों के कारण मशहूर हो गया। अब मैं खुश हूं कि सरकार ने मेरे योगदान को पहचाना।’’ पूर्व वैज्ञानिक ने ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी), भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान के विकास और क्रायोजेनिक इंजन
भाषा 26 Jan 2019, 7:49 pm