नई दिल्ली
भारत और अमेरिका के बीच मंगलवार को होने जा रही 2+2 मंत्रीस्तरीय बातचीत के दौरान दोनों देश एक अहम रक्षा समझौते BECA पर हस्ताक्षर करेंगे। बेसिक एक्सचेंज ऐंड को-ऑपरेशन अप्रीमेंट फॉर जियो-स्पेशियल (भू-स्थानिक) को-ऑपरेशन (BECA) के तहत भारत को अमेरिका के विशाल सैटलाइट नेटवर्क तक पहुंच सुनिश्चित हो जाएगी। इस बीच अमेरिका ने अगले महीने मालाबार सैन्य अभ्यास में ऑस्ट्रेलिया को भी शामिल किए जाने का स्वागत किया है। सोमवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिका के उनके समकक्ष मार्क एस्पर के बीच हुई बातचीत के बाद इसका ऐलान किया गया। अमेरिकी रक्षा मंत्री एस्पर और विदेश मंत्री माइक पॉम्पिओ 2+2 वार्ता के लिए भारत आए हुए हैं। 2+2 वार्ता से पहले विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपने अमेरिकी समकक्ष माइक पॉम्पिओ का गर्मजोशी से स्वागत किया। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की।
साउथ ब्लॉक में हुई इस द्विपक्षीय बैठक के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, 'यह वार्ता अच्छी रही और हमने कुछ अहम फैसले लिए, इसका उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में रक्षा सहयोग को और गहरा करना था।'
बैठक के बाद मंत्रालय ने कहा कि दोनों मंत्रियों ने सैन्य सहयोग, सुरक्षित संचार प्रणाली और सूचनाएं साझा करने, रक्षा व्यापार और औद्योगिक मुद्दों पर द्विपक्षीय रक्षा सहयोग की समीक्षा की और इसे आगे बढ़ाने के तरीकों पर भी चर्चा की। रक्षा मंत्रियों की अध्यक्षता में हुई बैठक के दौरान दोनों पक्षो ने सहयोग के नए संभावित इलाकों पर चर्चा की और निरंतर बातचीत के मकैनिजम को जारी रखने का आह्वान किया।
मंत्रालय ने कहा, 'दोनों मंत्रियों ने BECA अग्रीमेंट को लेकर संतोष जाहिर किया जिस पर दस्तखत होने हैं। अमेरिकी रक्षा मंत्री ने मालाबार 2020 एक्सर्साइज में ऑस्ट्रेलिया की भागीदारी का स्वागत किया है।'
क्या है BECA समझौता
यह समझौता हो जाने के बाद भारतीय सेना की पहुंच अब अमेरिका के विशाल सैटलाइट नेटवर्क तक होगी, जिससे वह और अधिक सटीकता के साथ दुश्मन के ठिकानों को निशाना बना सकेगा। इसके तहत भारत और अमेरिका की सेनाएं रक्षा के लिए वास्तविक समय की जियोस्पेशियल (भू-स्थानिक) इंटेलिजेंस, नक्शों और सैटलाइट इमेजेस को एक दूसरे से साझा कर सकेंगीं।
यह समझौता रक्षा और अन्य उद्देश्यों के लिए सरकारों द्वारा उपयोग के लिए जियो-स्पेशियल खुफिया जानकारी के आदान-प्रदान से संबंधित है। इसमें जीपीएस डेटा प्रोसेस करने और अक्षांश, देशांतर और ऊंचाई को अलग-अलग फ्रेमों में संदर्भित करने के लिए समन्वय करना भी शामिल होगा। यह भारत को क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइलों जैसे स्टैंड-ऑफ हथियारों की सटीकता के लिए अमेरिका के वैश्विक जियो-स्पेशियल नक्शों का इस्तेमाल करने की भी अनुमति देगा।
चीन की आक्रामकता का मुद्दा भी उठा
न्यूज एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि इस साल अप्रैल-मई के महीने में पूर्वी लद्दाख में चीन की सेना पीपल्स लिबरेशन आर्मी की आक्रामकता के मुद्दे पर भी चर्चा हुई। इसके अलावा उस दौरान दोनों पक्षों (भारत-अमेरिका) के बीच हुए सहयोग की भी चर्चा हुई।
(एजेंसियों से इनपुट के साथ)
भारत और अमेरिका के बीच मंगलवार को होने जा रही 2+2 मंत्रीस्तरीय बातचीत के दौरान दोनों देश एक अहम रक्षा समझौते BECA पर हस्ताक्षर करेंगे। बेसिक एक्सचेंज ऐंड को-ऑपरेशन अप्रीमेंट फॉर जियो-स्पेशियल (भू-स्थानिक) को-ऑपरेशन (BECA) के तहत भारत को अमेरिका के विशाल सैटलाइट नेटवर्क तक पहुंच सुनिश्चित हो जाएगी। इस बीच अमेरिका ने अगले महीने मालाबार सैन्य अभ्यास में ऑस्ट्रेलिया को भी शामिल किए जाने का स्वागत किया है।
साउथ ब्लॉक में हुई इस द्विपक्षीय बैठक के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, 'यह वार्ता अच्छी रही और हमने कुछ अहम फैसले लिए, इसका उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में रक्षा सहयोग को और गहरा करना था।'
बैठक के बाद मंत्रालय ने कहा कि दोनों मंत्रियों ने सैन्य सहयोग, सुरक्षित संचार प्रणाली और सूचनाएं साझा करने, रक्षा व्यापार और औद्योगिक मुद्दों पर द्विपक्षीय रक्षा सहयोग की समीक्षा की और इसे आगे बढ़ाने के तरीकों पर भी चर्चा की। रक्षा मंत्रियों की अध्यक्षता में हुई बैठक के दौरान दोनों पक्षो ने सहयोग के नए संभावित इलाकों पर चर्चा की और निरंतर बातचीत के मकैनिजम को जारी रखने का आह्वान किया।
मंत्रालय ने कहा, 'दोनों मंत्रियों ने BECA अग्रीमेंट को लेकर संतोष जाहिर किया जिस पर दस्तखत होने हैं। अमेरिकी रक्षा मंत्री ने मालाबार 2020 एक्सर्साइज में ऑस्ट्रेलिया की भागीदारी का स्वागत किया है।'
क्या है BECA समझौता
यह समझौता हो जाने के बाद भारतीय सेना की पहुंच अब अमेरिका के विशाल सैटलाइट नेटवर्क तक होगी, जिससे वह और अधिक सटीकता के साथ दुश्मन के ठिकानों को निशाना बना सकेगा। इसके तहत भारत और अमेरिका की सेनाएं रक्षा के लिए वास्तविक समय की जियोस्पेशियल (भू-स्थानिक) इंटेलिजेंस, नक्शों और सैटलाइट इमेजेस को एक दूसरे से साझा कर सकेंगीं।
यह समझौता रक्षा और अन्य उद्देश्यों के लिए सरकारों द्वारा उपयोग के लिए जियो-स्पेशियल खुफिया जानकारी के आदान-प्रदान से संबंधित है। इसमें जीपीएस डेटा प्रोसेस करने और अक्षांश, देशांतर और ऊंचाई को अलग-अलग फ्रेमों में संदर्भित करने के लिए समन्वय करना भी शामिल होगा। यह भारत को क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइलों जैसे स्टैंड-ऑफ हथियारों की सटीकता के लिए अमेरिका के वैश्विक जियो-स्पेशियल नक्शों का इस्तेमाल करने की भी अनुमति देगा।
चीन की आक्रामकता का मुद्दा भी उठा
न्यूज एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि इस साल अप्रैल-मई के महीने में पूर्वी लद्दाख में चीन की सेना पीपल्स लिबरेशन आर्मी की आक्रामकता के मुद्दे पर भी चर्चा हुई। इसके अलावा उस दौरान दोनों पक्षों (भारत-अमेरिका) के बीच हुए सहयोग की भी चर्चा हुई।
(एजेंसियों से इनपुट के साथ)