नई दिल्ली
भारत और अमेरिका बुधवार को हिंद महासागर क्षेत्र में हवाई युद्ध का अभ्यास शुरू करने जा रहे हैं। 2 दिन चलने वाला यह एयर कॉम्बैट एक्सर्साइज न सिर्फ भारत और अमेरिका के बीच मजबूत होते रिश्तों को दिखा रहा है बल्कि हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की विस्तारवादी आक्रामकता को भी इसे एक तरह से संदेश माना जा रहा है। इंडियन एयरफोर्स की तरफ से इस अभ्यास में मैरिटाइम-स्ट्राइक जगुआर के साथ-साथ सुखोई-30MKI फाइटर जेट्स भी हिस्सा लेंगे। इसके अलावा हवा में ही विमान में ईंधन भरने वाले IL-78, फॉल्कन अवॉक्स और 'नेत्र' एयरक्राफ्ट भी शिरकत करेंगे। दूसरी तरफ, अमेरिका की तरफ से यूएस कैरियर स्ट्राइक ग्रुप (CSG) की अगुआई में परमाणु ताकत से लैस एयरक्राफ्ट कैरियर यूएसएस रोनाल्ड रीगन भी हिस्सा लेगा जो फिलहाल हिंद महासागर क्षेत्र में ही तैनात है।
रणनीतिक तौर पर अहम इस एयर कॉम्बैट एक्सर्साइज में अमेरिकी नेवी के F-18 फाइटर जेट और E-2C हॉक आई एयरक्राफ्ट भी हिस्सा लेंगे। इंडियन एयर फोर्स के एक अधिकारी ने बताया कि यह एक्सर्साइज तिरुवनंतपुरम के दक्षिण में किया जाएगा।
एक लाख टन वजनी यूएसएस रोनाल्ड रीगन उन 10 अमेरिकी निमित्ज श्रेणी का सुपरकैरियर है जो 80 से 90 F-18 सुपर हॉर्नेट्स लड़ाकू विमानों के साथ-साथ अर्ली-वॉर्निंग एयरक्राफ्ट और हेलिकॉप्टरों को ले जा सकता है।
एक अधिकारी ने बताया, 'इंडियन एयर फोर्स के पास हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री ऑपरेशनों का गहरा अनुभव है। बीतें सालों में देश के द्वीपों में राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय अभ्यासों के जरिए यह और पुख्ता हुआ है।'
हाल के महीनों में हिंद महासागर क्षेत्र में भारत ने कई सैन्य अभ्यास किए हैं। उसी कड़ी में यह भी है। द्विपक्षीय अभ्यासों से इतर भारत ने तीन अन्य 'क्वॉड' देशों (अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया) के साथ भी अप्रैल में बंगाल की खाड़ी में फ्रांस के नौसैनिक युद्धअभ्यास में हिस्सा ले चुका है।
एक अधिकारी ने बताया कि क्वॉड प्लस फ्रांस के एक्सर्साइज के जरिए 'समान विचारधारा के लोकतांत्रिक देश' आक्रामक और विस्तारवादी चीन के सामने 'मुक्त, खुला और समावेशी हिंद प्रशांत' क्षेत्र सुनिश्चित करने के लिए साथ आ रहे हैं।
भारत और अमेरिका बुधवार को हिंद महासागर क्षेत्र में हवाई युद्ध का अभ्यास शुरू करने जा रहे हैं। 2 दिन चलने वाला यह एयर कॉम्बैट एक्सर्साइज न सिर्फ भारत और अमेरिका के बीच मजबूत होते रिश्तों को दिखा रहा है बल्कि हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की विस्तारवादी आक्रामकता को भी इसे एक तरह से संदेश माना जा रहा है।
रणनीतिक तौर पर अहम इस एयर कॉम्बैट एक्सर्साइज में अमेरिकी नेवी के F-18 फाइटर जेट और E-2C हॉक आई एयरक्राफ्ट भी हिस्सा लेंगे। इंडियन एयर फोर्स के एक अधिकारी ने बताया कि यह एक्सर्साइज तिरुवनंतपुरम के दक्षिण में किया जाएगा।
एक लाख टन वजनी यूएसएस रोनाल्ड रीगन उन 10 अमेरिकी निमित्ज श्रेणी का सुपरकैरियर है जो 80 से 90 F-18 सुपर हॉर्नेट्स लड़ाकू विमानों के साथ-साथ अर्ली-वॉर्निंग एयरक्राफ्ट और हेलिकॉप्टरों को ले जा सकता है।
एक अधिकारी ने बताया, 'इंडियन एयर फोर्स के पास हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री ऑपरेशनों का गहरा अनुभव है। बीतें सालों में देश के द्वीपों में राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय अभ्यासों के जरिए यह और पुख्ता हुआ है।'
हाल के महीनों में हिंद महासागर क्षेत्र में भारत ने कई सैन्य अभ्यास किए हैं। उसी कड़ी में यह भी है। द्विपक्षीय अभ्यासों से इतर भारत ने तीन अन्य 'क्वॉड' देशों (अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया) के साथ भी अप्रैल में बंगाल की खाड़ी में फ्रांस के नौसैनिक युद्धअभ्यास में हिस्सा ले चुका है।
एक अधिकारी ने बताया कि क्वॉड प्लस फ्रांस के एक्सर्साइज के जरिए 'समान विचारधारा के लोकतांत्रिक देश' आक्रामक और विस्तारवादी चीन के सामने 'मुक्त, खुला और समावेशी हिंद प्रशांत' क्षेत्र सुनिश्चित करने के लिए साथ आ रहे हैं।