नई दिल्ली
फुटबॉल के मैदान से दूर भारतीय टीम के स्ट्राइकर जेजे लालपेखलुआ अपने राज्य मिजोरम में तुइचांग नदी के आसपास गश्त लगा रहे हैं जिससे कि बेहद अधिक संख्या में मछली पकड़ने से लोगों को रोका जा सके और स्थानीय मछुआरों की जीविका में मदद हो सके।
हाल में बहुत अधिक संख्या में मछली पकड़ने के मामलों के कारण तुइचांग नदी चर्चा में आई थी, जिसके बाद स्थानीय लोगों को नदी पर लगातार नजर रखने के लिए बाध्य होना पड़ा। गश्त लगाने वालों में भारतीय टीम और एससी ईस्ट बंगाल के फारवर्ड लालपेखलुआ भी शामिल हैं।
इस फुटबॉलर ने अपने गांव मॉडल वेंग हनाहथियाल में कई युवाओं के साथ मिलकर एक समूह तैयार किया है जो दिन-रात गश्त लगाकर अपने घरों के समीप बहने वाली नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को बचाने में मदद कर रहे हैं।
लालपेखलुआ ने ‘द-एआईएफएफ.कॉम’ से कहा, 'पिछले कई वर्षों से बेहद अधिक संख्या में मछली पकड़ने से ताइचुंग नदी में मछलियों की संख्या काफी कम हो गई है। यह बड़ी समस्या बन रही है, स्थानीय मछुआरों के लिए भी जो आजीविका के लिए नदी पर निर्भर हैं।'
मॉडल वेंग के स्थानीय लोगों ने तुइचांग के किनारे 500 मीटर के क्षेत्र की पहचान की है, जिसे मछलियों के अंडे देने का स्थान माना जाता है। इस इलाके में अलग अलग पालियों में 24 घंटे गश्त की जा रही है जिससे कि अधिक संख्या में मछली पकड़ने से रोका जा सके।
लालपेखलुआ ने कहा, ‘पिछले साल से हम सभी बारी-बारी इस इलाके में गश्त लगाते हैं जिससे कि सुनिश्चित हो सके कि इस इलाके में कोई मछली नहीं पकड़ पाए। यह हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण है कि मछलियों को कम से कम उनके प्रजनन के इलाके में अकेला छोड़ दिया जाए। इस छोटे से कदम से ही हमें नतीजे दिख रहे हैं। शिकारी आसपास भी नहीं फटकते। स्थानीय मछुआरों ने कहा कि अब नदी में इतनी सारी मछलियां हैं, जितनी वर्षों से नहीं देखी।’
फुटबॉल के मैदान से दूर भारतीय टीम के स्ट्राइकर जेजे लालपेखलुआ अपने राज्य मिजोरम में तुइचांग नदी के आसपास गश्त लगा रहे हैं जिससे कि बेहद अधिक संख्या में मछली पकड़ने से लोगों को रोका जा सके और स्थानीय मछुआरों की जीविका में मदद हो सके।
हाल में बहुत अधिक संख्या में मछली पकड़ने के मामलों के कारण तुइचांग नदी चर्चा में आई थी, जिसके बाद स्थानीय लोगों को नदी पर लगातार नजर रखने के लिए बाध्य होना पड़ा। गश्त लगाने वालों में भारतीय टीम और एससी ईस्ट बंगाल के फारवर्ड लालपेखलुआ भी शामिल हैं।
इस फुटबॉलर ने अपने गांव मॉडल वेंग हनाहथियाल में कई युवाओं के साथ मिलकर एक समूह तैयार किया है जो दिन-रात गश्त लगाकर अपने घरों के समीप बहने वाली नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को बचाने में मदद कर रहे हैं।
लालपेखलुआ ने ‘द-एआईएफएफ.कॉम’ से कहा, 'पिछले कई वर्षों से बेहद अधिक संख्या में मछली पकड़ने से ताइचुंग नदी में मछलियों की संख्या काफी कम हो गई है। यह बड़ी समस्या बन रही है, स्थानीय मछुआरों के लिए भी जो आजीविका के लिए नदी पर निर्भर हैं।'
मॉडल वेंग के स्थानीय लोगों ने तुइचांग के किनारे 500 मीटर के क्षेत्र की पहचान की है, जिसे मछलियों के अंडे देने का स्थान माना जाता है। इस इलाके में अलग अलग पालियों में 24 घंटे गश्त की जा रही है जिससे कि अधिक संख्या में मछली पकड़ने से रोका जा सके।
लालपेखलुआ ने कहा, ‘पिछले साल से हम सभी बारी-बारी इस इलाके में गश्त लगाते हैं जिससे कि सुनिश्चित हो सके कि इस इलाके में कोई मछली नहीं पकड़ पाए। यह हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण है कि मछलियों को कम से कम उनके प्रजनन के इलाके में अकेला छोड़ दिया जाए। इस छोटे से कदम से ही हमें नतीजे दिख रहे हैं। शिकारी आसपास भी नहीं फटकते। स्थानीय मछुआरों ने कहा कि अब नदी में इतनी सारी मछलियां हैं, जितनी वर्षों से नहीं देखी।’