नयी दिल्ली, 18 नवंबर (भाषा) विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को कहा कि भारत पिछले वर्ष क्षेत्रीय विस्तृत आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) से इसलिए अलग हो गया था क्योंकि उसमें शामिल होने से देश की अर्थव्यवस्था पर काफी प्रतिकूल प्रभाव होता। ‘सेंटर फॉर यूरोपियन पॉलिसी स्टडीज’ की ओर से आयोजित ऑनलाइन चर्चा में जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र में सुधार/बदलाव की पुरजोर सिफारिश करते हुए कहा कि एक या दो देशों को अपने फायदे के लिए प्रक्रिया को रोकने की इजाजत नहीं होनी चाहिए। भारत और यूरोपीय संघ के बीच मुक्त व्यापार के प्रस्तावित समझौते पर जयशंकर ने कहा कि भारत ‘‘निष्पक्ष और संतुलित’’ समझौते की आशा रखता है। आरसीईपी के संबंध में सवाल करने पर विदेश मंत्री ने कहा कि भारत समूह से इसलिए बाहर हो गया क्योंकि उसके द्वारा रखी गई मुख्य चिंताओं का समाधान नहीं किया गया। एशिया-प्रशांत क्षेत्र के 15 देशों द्वारा आरसीईपी समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के तीन दिन बाद जयशंकर ने यह टिप्पणी की है। आरसीईपी दुनिया का सबसे बड़ा मुक्त व्यापार क्षेत्र बन गया है। चर्चा के दौरान जयशंकर ने कहा, ‘‘बड़ी बात यह है कि हमने देखा कि हमारी प्रमुख चिंताओं का समाधान नहीं किया गया है। उस वक्त फिर हमें फैसला लेना था कि प्रमुख चिंताओं का समाधान हुए बगैर आप व्यापार समझौते में शामिल होंगे या फिर उसे अपने हितों के विरुद्ध बताते हुए उससे अलग हो जाएंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमने एक फैसला लिया और आज वह आपके सामने है। समझौते में शामिल होना हमारे हित में नहीं था क्योंकि उसका तुरंत हमारी अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव होता।’’
चिंताओं का समाधान नहीं होने पर आरसीईपी से हटा भारत : विदेश मंत्री
नयी दिल्ली, 18 नवंबर (भाषा) विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को कहा कि भारत पिछले वर्ष क्षेत्रीय विस्तृत आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) से इसलिए अलग हो गया था क्योंकि उसमें शामिल होने से देश की अर्थव्यवस्था पर काफी प्रतिकूल प्रभाव होता। ‘सेंटर फॉर यूरोपियन पॉलिसी स्टडीज’ की ओर से आयोजित ऑनलाइन चर्चा में जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र में सुधार/बदलाव की पुरजोर सिफारिश करते हुए कहा कि एक या दो देशों को अपने फायदे के लिए प्रक्रिया को रोकने की इजाजत नहीं होनी चाहिए। भारत और यूरोपीय संघ के बीच मुक्त व्यापार के प्रस्तावित समझौते पर जयशंकर ने कहा कि भारत ‘‘निष्पक्ष
भाषा 18 Nov 2020, 11:12 pm