ऐपशहर

नेपाल मानने को तैयार ही नहीं, भारत से लगे बॉर्डर पर बना रहा रोड

India-Nepal border road : नेपाल और चीन के बीच व्‍यापार के लिए यह रोड बनाने का अप्रूवल 2008 में दिया गया था। अब नेपाल सरकार ने आर्मी को बाकी बचा हिस्‍सा पूरा करने के निर्देश दिए हैं। इस रोड का करीब 50 किलोमीटर का हिस्‍सा भारतीय सीमा से लगा हुआ है।

टाइम्स न्यूज नेटवर्क 24 May 2020, 11:40 am

हाइलाइट्स

  • भारत के साथ तनाव बढ़ाने की नेपाल की एक और कोशिश, बॉर्डर से सटी रोड पर काम दोबारा शुरू
  • 2008 में अप्रूव्‍ड प्रोजेक्‍ट को पूरा नहीं कर पाया था कॉन्‍ट्रैक्‍टर, बीच में ही काम छोड़कर भागा
  • अब नेपाल आर्मी को मिली जिम्‍मेदारी, बाकी बची 87 किलोमीटर रोड का काम करें पूरा
  • उत्‍तराखंड के धारचूला से सटी है यह रोड, चीन-नेपाल के बीच व्‍यापार के लिए अहम
सारी खबरें हाइलाइट्स में पढ़ने के लिए ऐप डाउनलोड करें
नवभारतटाइम्स.कॉम प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्‍ली/पिथौरागढ़
नेपाल ने शायद भारत के साथ तनाव को बढ़ाने का मन बना लिया है। पहले उसने भारत के इलाकों को अपने आधिकारिक मैप में दिखाया। अब भारतीय सीमा से लगी एक रोड पर 12 साल बाद काम शुरू करा दिया है। यह रोड उत्‍तराखंड के धारचूला कस्बे से होकर गुजरती है। करीब 130 किलोमीटर लंबी धारचूला-टिनकर रोड का 50 किलोमीटर का हिस्‍सा उत्‍तराखंड से लगा हुआ है। सूत्रों के मुताबिक, इस प्रोजेक्‍ट की अनुमति 2008 में दी गई थी। मकसद था, टिनकर पास के जरिए नेपाल और चीन के बीच व्‍यापार को बढ़ावा देना। रोड का बाकी बचा हिस्‍सा अब नेपाल की सेना पूरा करेगी।
अब नेपाल को क्‍यों आई इस रोड की याद?
नेपाल को अब इस रोड की याद शायद इसीलिए आई है क्‍योंकि भारत ने धारचूला से लिपुलेख दर्रे को जोड़ने वाली 80 किलोमीटर लंबी रोड का 8 मई को उद्घाटन किया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 8 मई को तवाघाट-लिपुलेख मार्ग का उद्घाटन किया था। उन्होंने कहा था कि इससे कैलास मानसरोवर जाने के लिए पहले से कम वक्त लगेगा।

काम छोड़ भागा था कॉन्‍ट्रैक्‍टर
रोड को अप्रूव हुए 12 साल हो गए मगर सिर्फ 43 किलोमीटर रोड ही बन सकी थी। इस रूट पर ना सिर्फ टेरेन बेहद खतरनाक है बल्कि मौसम का भी कोई भरोसा नहीं रहता। सूत्र के मुताबिक, लगातार नुकसान होता देख कॉन्‍ट्रैक्‍टर ने भी काम छोड़ दिया था। नेपाल सरकार का यह मानना था कि इस रोड के बन जाने से ना सिर्फ व्‍यापार बढ़ेगा, बल्कि तीर्थयात्रियों और टूरिस्‍ट्स की संख्‍या भी बढ़ेगी।


नेपाल आर्मी तैयार कर रही बेस कैंप
जब भारत ने धारचूला-लिपुलेख रोड खोली तो नेपाल में भारी विरोध हुआ। वहां की सरकार ने कहा कि वह दर्रा तो नेपाल की सीमा में आता है। भारत ने साफ कर दिया था कि रोड पूरी तरह से भारतीय इलाके में है। अगर नेपाल को आपत्ति जतानी ही थी तो वह रोड बनते समय जताता। एक सूत्र ने हमारे सहयोगी टीओआई को बताया कि रोड प्रोजेक्‍ट शुरू करने के पीछे ऑफिशियल वजह ये बताई गई है कि टिनकर और छांगरू के लोग आ-जा सकें। नेपाल आर्मी ने बाकी बचे 87 किलोमीटर रोड को पूरा करने के लिए घटियाबघार में बेस कैंप तैयार करना शुरू कर दिया है।

पूरा माउंट एवरेस्‍ट निगलना चाहता है चीनी ड्रैगन

नेपाल के नए नक्‍शे पर आगबबूला भारतलिपुलेख विवाद के बाद पिछले दिनों नेपाल ने अपना नया नक्शा जारी किया था। जिसमें भारत के 395 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को नेपाल में दिखाया गया है। लिपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी के अलावा गुंजी, नाभी और कुटी गांवों को नेपाल में रखा गया है। भारत ने इस हरकत पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता में इस तरह का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि इस सीमा विवाद का हल बातचीत के माध्यम से निकालने के लिए आगे बढ़ना होगा।

अगला लेख

Indiaकी ताजा खबरें, ब्रेकिंग न्यूज, अनकही और सच्ची कहानियां, सिर्फ खबरें नहीं उसका विश्लेषण भी। इन सब की जानकारी, सबसे पहले और सबसे सटीक हिंदी में देश के सबसे लोकप्रिय, सबसे भरोसेमंद Hindi Newsडिजिटल प्लेटफ़ॉर्म नवभारत टाइम्स पर