:पल्लव बाग्ला: नयी दिल्ली, चार जून :भाषा: इसरो के आगामी संचार उपग्रह जीसैट-19 और जीसैट-11 भारत के संचार क्षेत्र की दशा और दिशा बदल सकते हैं और इनके प्रक्षेपण के साथ ही डिजिटल भारत को मजबूती मिलेगी तथा ऐसी इंटरनेट सेवाएं मिलेगी जैसे कि पहले कभी नहीं मिलीं। इसरो श्रीहरिकोटा में भारत के रॉकेट पोर्ट से इसके प्रक्षेपण की योजना बना रहा है। एक शानदार नया रॉकेट नए वर्ग के संचार उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजने के लिए तैयार है। जीसैट-19 उपग्रह को अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र, अहमदाबाद में बनाया गया है। केंद्र के निदेशक तपन मिश्रा ने इसे भारत के लिए संचार के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी उपग्रह बताया है। अगर यह प्रक्षेपण सफल रहा तो अकेला जीसैट-19 उपग्रह अंतरिक्ष में स्थापित पुराने किस्म के 6-7 संचार उपग्रहों के समूह के बराबर होगा। आज अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित 41 भारतीय उपग्रहों में से 13 संचार उपग्रह हैं। मिश्रा ने कहा, सही मायने में यह मेड इन इंडिया उपग्रह डिजिटल भारत को सशक्त करेगा। भारत में अभी तक सबसे ज्यादा भार ले जाने में सक्षम भू-स्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान मार्क-तृतीय :जीएसएलवी एमके-3: सभी का ध्यान आकर्षित कर रहा है। इसका वजन पांच पूरी तरह से भरे बोइंग जम्बो विमान या 200 हाथियों के बराबर है। यह भविष्य के भारत का रॉकेट है जो निस्संदेह गैगानॉट्स या व्योमैनॉट्स संभावित नाम के भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर जाएगा।
भारत के संचार क्षेत्र की दशा और दिशा बदल देंगे दो उपग्रह
:पल्लव बाग्ला:
भाषा 4 Jun 2017, 11:35 am