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सेना को मिला हाई-टेक बलिस्टिक हेल्मेट, आतंकवाद के खिलाफ अभियान में मिलेगी मदद

भारतीय सेना को नए हेल्मेट की पहली खेप मिल गई है, जो मौजूदा हेल्मेट से काफी सुरक्षित और हाई-टेक है। बलिस्टिक हेल्मेट से सैनिकों को बुलेट से पूरी तरह सुरक्षा मिल सकेगी और यह आतंकवाद विरोधी अभियानों में काफी मददगार साबित हो सकते हैं।

इकनॉमिक टाइम्स (हिंदी) 14 Jul 2017, 11:00 am
शौर्य करनबीर गुरंग, नई दिल्ली
नवभारतटाइम्स.कॉम helmet

भारतीय सेना को हाई-टेक बलिस्टिक हेल्मेट की पहली खेप मिली है। इनसे हमलों के दौरान सैनिकों की सुरक्षा बढ़ाई जा सकेगी। सैनिकों की ओर से अभी इस्तेमाल किए जाने वाले हेल्मेट गोली और नुकीली वस्तुओं के सामने लगभग बेअसर साबित होते हैं। नए हेल्मेट जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों और चीन से लगती सीमा पर तैनात सैनिकों को दिए जाएंगे।

सेना चाहती है कि हेल्मेट से सैनिकों के सिर को सुरक्षा मिलने के साथ ही उन्हें अभियान वाले स्थान की जानकारी भी मिले। इसके लिए सेना हेल्मट में कम्युनिकेशन डिवाइस, नाइट विजन डिवाइस और मैप दिखाने के लिए डिस्प्ले चाहती है।

सूत्रों ने बताया कि 7,500 बलिस्टिक हेल्मेट की पहली खेप की सप्लाई भारतीय डिफेंस कंपनी, MKU ने की है। यह संयुक्त राष्ट्र और नाटो को सैन्य उपकरण बेचती है। इसमें से 2,500 हेल्मेट संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशनों में तैनात भारतीय सैनिकों को दिए गए हैं। बाकी के 5,000 हेल्मेट भी जल्द ही सैनिकों को उपलब्ध होंगे। इसके अलावा डीआरडीओ की चंडीगढ़ में मौजूद टर्मिनल बैलिस्टिक्स रिसर्च लैबोरेटरी (टीआरबीएल) में 6,000 और हेल्मेट का परीक्षण किया जा रहा है। टीआरबीएल सैन्य हथियारों के असर का आकलन करती है।

MKU को सरकार से 1.58 लाख बलिस्टिक हेल्मेट का कॉन्ट्रैक्ट मिला है। केंद्र ने इनके सहित कुल 3.28 लाख बलिस्टिक हेल्मेट खरीदने की मंजूरी दी है। डिफेंस मिनिस्ट्री के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'ये हेल्मेट जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद विरोधी और पूर्वोत्तर में उग्रवाद विरोधी अभियानों में तैनात सेना की बटालियनों के साथ ही चीन और पाकिस्तान के साथ लगती सीमा पर तैनात सैनिकों को दिए जाएंगे।' इसके अलावा लगभग 14,000 हेल्मेट नौसेना के लिए हैं।

बलिस्टिक हेल्मेट सैनिकों की ओर से इस्तेमाल किए जा रहे पुराने हेल्मेट के मुकाबले निश्चित तौर पर काफी बेहतर हैं। अभी इस्तेमाल किए जा रहे हेल्मेट से सैनिकों को केवल स्प्लिंटर, चट्टानों और सीधे न लगने वाली गोली से सुरक्षा मिलती है। अगर पुराने हेल्मेट पर गोली सीधे लगती है तो इससे सैनिक का बचना मुश्किल होता है। बलिस्टिक हेल्मेट से सैनिकों को बुलेट से पूरी तरह सुरक्षा मिल सकेगी और ये आतंकवाद विरोधी अभियानों में काफी मददगार साबित हो सकते हैं।

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