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India China News : भारत की जमीन पर दावा नहीं ठोक सकेगा चीन, सेना ने बनाया ये काउंटर प्लान

India China Border News : सेना उत्तराखंड में लद्दाख में महत्वपूर्ण काराकोरम दर्रे से उत्तराखंड के लिपुलेख तक एक बड़ा स्कीइंग अभियान शुरू कर रही है। यह 3 मार्च को शुरू होगा। इसमें लगभग 1,500 किमी की दूरी तय की जाएगी।

टाइम्स न्यूज नेटवर्क 1 Mar 2021, 8:56 am

हाइलाइट्स

  • नॉर्दन बॉर्डर से सटे एरिया में भारत के क्षेत्रीय दावों को मजबूत करने पर जोर
  • LAC और अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटे क्षेत्रों पर रिसर्च को दिया जाएगा बढ़ावा
  • दोनों देशों के बीच गोगरा, हॉट स्प्रिंग, देपसांग पर नहीं निकला है ठोस नतीजा

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रजत पंडित, नई दिल्ली
भारतीय सेना ने चीन की विस्तारवादी नीति के जवाब के लिए एक खास योजना तैयार की है। इस योजना के अनुसार उत्तरी सीमा क्षेत्र में भारतीय इलाकों की दावेदारी को मजबूत करने के लिए पर्वतारोहण अभियान (Mountaineering Expedition) के साथ ही शोध अध्ययनों (Research Studies) को बढ़ावा देगी। ये शोध देश-विदेश की पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होंगे। सेना 3 मार्च से लद्दाख के महत्वपूर्ण काराकोरम दर्रे से उत्तराखंड के लिपुलेख तक एक बड़ा स्कीइंग अभियान ‘ARMEX-21’ शुरू करने जा रही है। इसमें 80 से 90 दिनों में विशेष रूप से प्रशिक्षित पर्वतारोही लगभग 1,500 किमी की दूरी तय करेंगे।
पर्वतारोहण और अन्य अभियानों के जरिये मौजूदगी
सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि चीन की दूसरे के क्षेत्र को हथियाने वाली साफतौर पर विस्तारवादी नीति का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने की आवश्यकता है। सेना नॉर्दन बॉडर्स पर अतिरिक्त बलों और हथियारों की तैनाती के साथ संतुलन बनाने में लगी है। ऐसे में जरूरी है कि अपने उन क्षेत्रों जहां गतिविधियां बिल्कुल नहीं हैं, पर्वतारोहण और अन्य अभियानों के जरिये अपनी मौजूदगी दर्ज कराई जाए।

नैशनल-इंटरनैशल जर्नल में पब्लिश होंगी रिसर्च
वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) और अंतर्राष्ट्रीय सीमा (IB) दोनों सटे भारत के इलाकों से संबंधित रिसर्च और स्टडीज को बढ़ावा देने की जरूरत है। इससे साथ ही उन्हें नेशनल और इंटरनेशनल जर्नल में पब्लिश कराने की भी आवश्यकता है। इसमें डॉक्यूमेंटेशन, स्थानों का जियोटैगिंग और एविडेंस क्रिएशन भी शामिल होगा।

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इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन की मदद
आर्मी इसी तरह के अभियान के इंडियन फाउंटेनियरिंग फाउंडेशन और अन्य माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट्स की मदद से एलएसी और इंटरनेशनल बॉर्डर के पास की चोटियों पर अभियानों की प्लानिंग करेगी। इसमें आम लोगों के साथ ही विदेशी नागरिक भी शामिल हो सकेंगे। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि इससे रिमोट एरिया में टूरिज्म को बढ़ावा मिलने के साथ ही वहां की आबादी का मुख्यधारा के लोगों के साथ मेलजोल बढ़ेगा। यह सब चीजें ऐसे समय में हो रही है जब भारत और चीन के बीच 10 महीने के गतिरोध के बाद हाल ही में डिस्इंगेजमेंट की प्रक्रिया का पहला फेज पूरा हुआ है।

18 फरवरी को पूरी हुई सैनिकों की वापसी
भारत और चीन के बीच पैंगोंग झील क्षेत्र से सैनिकों को चरणबद्ध तरीके से हटाने का समझौता हुआ था। समझौते के अनुरूप चीन अपनी सेना की टुकड़ियों को हटाकर पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे में फिंगर आठ क्षेत्र की पूर्व दिशा की ओर ले गया। वहीं, भारत ने अपनी सैन्य टुकड़ियों को फिंगर तीन के पास अपने स्थायी शिविर धन सिंह थापा पोस्ट पर फिर से वापस बुला ली। यह प्रक्रिया 10 से 18 फरवरी तक चली। दोनों देश अब गोगरा, हॉट स्प्रिंग, देपसांग पर बातचीत कर रहे हैं।

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