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जयललिता: भारतीय राजनीति के 'पांचाली प्रकरण' की महानायिका

हमारी पीढ़ी के लिए तमिलनाडु राजनीति का मतलब दो चेहरों से होता है। एक जयललिता, दूसरे करुणानिधि। अगर जयललिता नहीं होतीं तो शायद हिंदी पट्टी के हमारे जैसे युवाओं में तमिलनाडु की राजनीति को लेकर कोई क्रेज नहीं होता। जयललिता ने तमिलनाडु की राजनीति को राष्ट्रीय ही नहीं अंतरराष्ट्रीय चर्चा का विषय बना दिया।

नवभारतटाइम्स.कॉम 6 Dec 2016, 12:57 am
अमीश राय
नवभारतटाइम्स.कॉम jayalalitha and mgrs long term relation love affair and tamil politics
जयललिता: भारतीय राजनीति के 'पांचाली प्रकरण' की महानायिका

हमारी पीढ़ी के लिए तमिलनाडु की राजनीति का मतलब दो चेहरों से होता है। एक जयललिता, दूसरे करुणानिधि। अगर जयललिता नहीं होतीं तो शायद हिंदी पट्टी के हमारे जैसे युवाओं में तमिलनाडु की राजनीति को लेकर कोई क्रेज नहीं होता। फिर हमारे लिए तमिलनाडु और उसकी राजनीति महज GK का एक हिस्सा होती।

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जयललिता ने तमिलनाडु की राजनीति को राष्ट्रीय ही नहीं अंतरराष्ट्रीय चर्चा का विषय बना दिया। डिजिटल क्रांति के दौर में गूगल से बेहतर सबूत क्या हो सकता है। आप अंग्रेजी में जयललिता और करुणानिधि लिखकर सर्च करें। जयललिता के लिए गूगल 42,80,000 सर्च रिजल्ट देता है और करुणानिधि के लिए 25,20,000 यानी आधे का फर्क।

देखिए: जयललिता का सफर, अभिनेत्री से नेत्री तक

आज आपको भारतीय राजनीति के 'पांचाली प्रकरण' का किस्सा बताते हैं, जिसकी महानायिका जयललिता थीं। दिन था 25 मार्च 1989 और तमिलनाडु विधानसभा में हंगामा मचा हुआ था। दरअसल तमिलनाडु राजनीति के आइकॉन एमजीआर के निधन के बाद जयललिता AIADMK पर काबिज हो चुकी थीं और उनकी पार्टी विपक्ष में थी।

देखिए: तस्वीरों में जयललिता का फिल्मी करियर

विपक्षी नेताओं ने करुणानिधि सरकार पर जयललिता के खिलाफ राज्य मशीनरी के दुरुपयोग का आरोप लगाया था। सरकार पर जयललिता के फोन टैपिंग के आरोप थे। हालात ऐसे बन गए कि विधानसभा में हाथापाई की नौबत आ गई। इसके बाद जो कुछ हुआ उसे मीडिया ने भारतीय राजनीति के 'पांचाली प्रकरण' का नाम दिया।

देखिए: सिर्फ जयललिता ही ले सकती थीं ये 10 फैसले

जयललिता की जीवनी 'अम्मा जर्नी फ्रॉम मूवी स्टार टू पॉलिटिकल क्वीन' लिखने वाली वरिष्ठ पत्रकार वासंती ने बीबीसी से बातचीत के दौरान इस किस्से का विस्तार से जिक्र किया है। वासंती ने बीबीसी को बताया कि बवाल के बाद विधानसभा स्थगित कर दी गई। जयललिता सदन से बाहर निकल रही थीं तभी डीएमके के सदस्य ने उन्हें रोकने की कोशिश करते हुए उनकी साड़ी पकड़ ली।

वासंती ने बताया कि डीएमके के सदस्य के साड़ी खींचने से जयललिता का पल्लू गिर गया, वह खुद भी जमीन पर गिर गईं। जयललिता अपमान और कमजोरी की पीड़ा से भर चुकी थीं। वह उसी हालत में बाहर निकलीं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जयललिता ने बिखरे बालों और अस्त-व्यस्त हालात में ही मीडिया को संबोधित किया। जयललिता ने बिल्कुल महाभारत की पांचाली यानी द्रौपदी की तरह कसम खाई। जयललिता ने कहा कि अब विधानसभा में तभी लौटेंगी जब यह महिलाओं के लिए सुरक्षित हो जाएगी।

वासंती ने इस घटना के त्वरित बाद जयललिता की भावनाओं की व्याख्या करते हुए बीबीसी को बताया कि दरअसल वह खुद से कह रही थीं कि सीएम बनने के बाद ही लौटेंगी। फिर इसके बाद की कहानी ने इतिहास बना दिया। दो साल बाद 1991 में जयललिता ने अपना यह वादा भी पूरा किया। राजीव गांधी की हत्या के बाद हुए विधानसभा चुनाव में AIADMK और कांग्रेस के बीच गठबंधन हुआ। इस गठबंधन को 234 सीटों में से 225 पर जीत मिली और जयललिता तमिलनाडु की पहली महिला और सबसे कम उम्र की सीएम बन गईं।

1991 में भारतीय राजनीति ने अपनी 'महानायिका' के जीवन के 'अम्मू से अम्मा' तक के सफर की सबसे बड़ी झलक देख ली। अंत में आपको बताते चलें कि जयललिता के बचपन का नाम कोमलवल्ली था पर सब उन्हें प्यार से अम्मू कहते थे और 'अम्मा' का परिचय शायद बताने की जरूरत नहीं।

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