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भारत-रूस के बीच सैन्य सहयोग के लिए बन सकता है जॉइंट वर्किंग ग्रुप

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के दौरान भारत-रूस के बीच मिलिट्री सहयोग बढ़ाने पर भी बात होगी। सूत्रों के मुताबिक दोनों देश मिलिट्री सहयोग को लेकर जॉइंट वर्किंग ग्रुप बना सकते हैं। यह इस दिशा में पहला कदम होगा और जानकारों के मुताबिक जॉइंट वर्किंग ग्रुप दोनों देशों के लिए बेहतर है

पूनम पाण्डे | नवभारत टाइम्स 4 Oct 2018, 10:19 pm
नई दिल्ली
नवभारतटाइम्स.कॉम MODI

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के दौरान भारत-रूस के बीच मिलिट्री सहयोग बढ़ाने पर भी बात होगी। सूत्रों के मुताबिक दोनों देश मिलिट्री सहयोग को लेकर जॉइंट वर्किंग ग्रुप बना सकते हैं। यह इस दिशा में पहला कदम होगा और जानकारों के मुताबिक जॉइंट वर्किंग ग्रुप दोनों देशों के लिए बेहतर है।

सूत्रों के मुताबिक, यह जॉइंट वर्किंग ग्रुप अब तक हुए डिवेलपमेंट की समीक्षा करेगा और आगे किस तरह बढ़ना है इसका रोडमैप बनाएगा। जानकारों का कहना है कि भारत के लिए यह एक चुनौती भरा वक्त है क्योंकि रूस के साथ सामरिक रिश्ते भी बनाए रखने हैं और अमेरिका से भी संतुलन बनाना है। भविष्य में भारत- रूस के बीच मिलिट्री डील्स में अगर कोई रुकावट आती है तो यह जॉइंट वर्किंग ग्रुप उसे दूर करने में भी अहम साबित हो सकता है।

गौरतलब है कि भारत और रूस एस-400 डिफेंस मिसाइल सिस्टम डील पर सहमति करने के लिए तैयार है। वैसे इस मेगा डिफेंस डील पर अमेरिका के कानून काटसा (काउंटरिंग अमेरिकन एडवर्सरीज थ्रू सैंकशन्स- CAATSA) का भी साया मंडरा रहा है।

पिछले महीने अमेरिका ने चीन पर यही बैन लगाया था जब चीन ने रूस से लड़ाकू विमान और मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदा था। अमेरिका उन देशों पर दबाव बनाने के लिए काटसा का इस्तेमाल कर रहा है जो रूस के साथ अहम रक्षा सौदा करता है। वैसे भारत को उम्मीद है कि भारत की रक्षा जरुरतों को समझते हुए एस-400 डील पर अमेरिका काटसा प्रतिबंध नहीं लगाएगा।
लेखक के बारे में
पूनम पाण्डे
पूनम पाण्डे नवभारत टाइम्स में असिस्टेंट एडिटर हैं। वह बीजेपी, आरएसएस और राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले कवर करती हैं।... और पढ़ें

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