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कृत्रिम मेधा पर आधारित पत्रकारिता सरकारों की मदद कर सकती है

(राशिद महमूद, किंग अब्दुलाजीज विश्वविद्यालय) जेद्दा, 28 सितंबर (360इंफो) कृत्रिम मेधा (आर्टिफिशियल इंजेलिजेंस या एआई) पर आधारित एक सॉफ्टवेयर, जिसे जटिल सूचनाओं का विश्लेषण करने के लिए तैयार किया गया था, उन नीतिगत क्षेत्रों की पहचान करने में मददगार है, जिनकी सरकारों द्वारा अनदेखी की जाती है। ‘डीप लर्निंग’ (एक तरह की एआई प्रौद्योगिकी, जो इनसान के सूचनाएं ग्रहण करने के तरीके की नकल करती है), ‘बिग डेटा’ (तीव्र गति से अधिक मात्रा में लगातार आने वाला विविध डेटा) और अन्य नयी प्रौद्योगिकियां सरकारों के यह निर्धारित करने के तरीके को बदलने के लिए तैयार हैं कि नागरिकों के सर्वोत्तम हित

भाषा 28 Sep 2022, 7:13 pm
(राशिद महमूद, किंग अब्दुलाजीज विश्वविद्यालय)

जेद्दा, 28 सितंबर (360इंफो) कृत्रिम मेधा (आर्टिफिशियल इंजेलिजेंस या एआई) पर आधारित एक सॉफ्टवेयर, जिसे जटिल सूचनाओं का विश्लेषण करने के लिए तैयार किया गया था, उन नीतिगत क्षेत्रों की पहचान करने में मददगार है, जिनकी सरकारों द्वारा अनदेखी की जाती है।

‘डीप लर्निंग’ (एक तरह की एआई प्रौद्योगिकी, जो इनसान के सूचनाएं ग्रहण करने के तरीके की नकल करती है), ‘बिग डेटा’ (तीव्र गति से अधिक मात्रा में लगातार आने वाला विविध डेटा) और अन्य नयी प्रौद्योगिकियां सरकारों के यह निर्धारित करने के तरीके को बदलने के लिए तैयार हैं कि नागरिकों के सर्वोत्तम हित में क्या है।

ये प्रौद्योगिकियां सरकारों को ऐसी जानकारियां उपलब्ध कराने में सक्षम हैं, जो उनके समझदारी से काम करने, नीतियों व पहलों को अधिक पारदर्शी बनाने और भ्रष्टाचार तथा सरकारी तंत्र की विफलता को रोकने के लिए अहम हैं।

कृत्रिम मेधा पर आधारित ‘डीप जर्नलिज्म’ आम रुचि वाले विषयों पर विभिन्न दृष्टिकोणों की पहचान करने में मददगार एक डेटा-संचालित पद्धति है। यह पद्धति ‘डीप जर्नल’ नाम के एक विशेष टूल का आधार थी, जो निर्दिष्ट दस्तावेजों का विश्लेषण करने और जटिल डेटा को समूहों (क्लस्टर) में सहेजने के लिए कृत्रिम मेधा और डीप-लर्निंग आधारित प्राकृतिक

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