नयी दिल्ली, एक मार्च :: सरकार ने आज दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि यदि किसी व्यक्ति के परिवार में कोई दानकर्ता नहीं है तो उसे स्वेच्छा से गुर्दा दान करने वाले स्वयं सेवी के वास्ते विग्यापन निकालने की इजाजत नहीं दी जा सकती। स्वास्थ्य मंत्रालय ने न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा से कहा, विग्यापनों की इजाजत नहीं दी जा सकती। न्यायालय ने किसी मरीज द्वारा उठाए गए गुर्दा प्रतिरोपण के विभिन्न पहलुओं पर सरकार से उसकी राय मंागी थी। मरीज ने यह कहते हुए यह मुद्दा उठाया था कि विशिष्ट हस्तियों के मामले मंें मीडिया द्वारा मामले पर ध्यान दिये जाने से उनके लिए स्वैच्छिक दानदाता आसानी से मिल जाता है। किन्तु आम लेागों को विग्यापनों का फायदा उठाने का अधिकार नहीं है। स्वास्थ्य मंत्रालय के वकील राजेश गोगना ने कहा कि याचिकाकर्ता अपना नाम राष्ट्रीय अंग एवं उत्तक प्रतिरोपण संगठन :नोट्टो: में दर्ज करा सकता है ताकि उसके विषय को अति आवश्यक श्रेणी के तहत उठाया जा सके। अदालत ने नोट्टो का जवाब मांगा था क्योंकि मरीज ने उसे समाप्त करने की मंाग की थी। पिछले 15 सालों की अपनी व्यथा बता चुके मरीज विनोद कुमार आनंद ने कहा कि उन्हें विग्यापन की अनुमति दी जाए क्योंकि कुछ धार्मिक बाध्यता के कारण वह नोट्टो से किडनी नहीं ले सकते।
किडनी प्रतिरोपण के लिए स्वेच्छी हासिल करने के लिए इश्तहार नहीं दिया जा सकता : सरकार
नयी दिल्ली, एक मार्च :भाषा: सरकार ने आज दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि यदि किसी व्यक्ति के परिवार में कोई दानकर्ता नहीं है तो उसे स्वेच्छा से गुर्दा दान करने वाले स्वयं सेवी के वास्ते विग्यापन निकालने की इजाजत नहीं दी जा सकती।
नवभारतटाइम्स.कॉम 1 Mar 2017, 8:49 pm