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सरोगेसी बिलः कोख बेची नहीं जा सकेगी, हां गिफ्ट मिल सकेगी, जुड़ीं ये शर्तें

अब महिलाएं अपनी कोख किराए पर नहीं दे सकेंगी। सरकार ने व्यावसायिक सरोगेसी प्रतिबंधित करने वाला विधेयक लोकसभा में पारित कर दिया है। इसके तहत सरोगेसी के प्रावधानों में व्यापक बदलाव लाकर इन्हें काफी कठोर बना दिया गया है। इसके जरिए सिर्फ शादी-शुदा दंपती ही संतान सुख पा सकेंगे।

टाइम्स न्यूज नेटवर्क 20 Dec 2018, 10:56 am

हाइलाइट्स

  • सरकार ने सरोगेसी (नियामक) विधेयक 2016 को लोकसभा में पारित करा दिया है
  • अब महिलाएं अपनी कोख बेच नहीं सकेंगी और जीवन में बस एक बार सरोगेट बन सकेंगी
  • बिल के प्रवाधानों के मुताबिक सरोगेसी की सुविधा केवल शादीशुदा दंपतियों को मिलेगी
  • टीएमसी और एनसीपी सदस्यों ने बिल के कुछ प्रावधानों को व्यापक करने की मांग की है
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नई दिल्ली
लोकसभा में बुधवार को सरोगेसी (नियामक) विधेयक, 2016 ध्वनिमत से पारित हो गया। यह विधेयक सरोगेसी (किराए की कोख) के प्रभावी नियमन को सुनिश्चित करेगा, व्यावसायिक सरोगेसी को प्रतिबंधित करेगा और निसंतान भारतीय दंपतियों की जरूरतों के लिए सरोगेसी की इजाजत देगा। यानी सरोगेसी अब व्यवसाय नहीं हो सकेगा बल्कि परोपकार का साधन ही रहेगा। एक महिला अपनी लाइफ साइकल में केवल एक बार किसी के लिए सरोगेसी कर सकेगी।
सरोगेसी के लिए बनाए जा रहे प्रावधानों का उल्लंघन करने पर बिल में कठोर सजा का भी प्रावधान किया गया है। यह नई व्यवस्था आम लोगों के साथ-साथ उन स्टार्स को भी प्रभावित करेगी जो सरोगेसी से माता-पिता बनना चाहते हैं। आपको बता दें कि आमिर खान, शाहरुख खान, तुषार कपूर और करण जौहर जैसे स्टार्स के सरोगेसी से बच्चे हुए हैं। आइए आपको इस बिल के तहत प्रभावी होने वाली नई व्यवस्था के बारे में बताते हैं...

आमिर, शाहरुख ने भी ली है सरोगेसी की मदद।



ऐसे लोग ही ले सकते हैं सरोगेसी की मदद
सरोगेसी बिल के मुताबिक ऐसे दंपती जिनमें एक या दोनों मां-पिता बनने में सक्षम नहीं हों या किसी भी वजह से जिनके बच्चे न हों, वे सरोगेसी की मदद ले सकते हैं। इसमें अपवाद के तौर पर ऐसे कपल को शामिल किया गया है जिनका बच्चे मानसिक या शारीरिक रूप से सक्षम नहीं हैं या किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं।



इनको नहीं मिलेगी सरोगेसी की इजाजत
सरोगेसी बिल ने ऐसे लोगों को भी चिह्नित किया है जिन्हें सरोगेसी की इजाजत नहीं मिलेगी। बिल के मुताबिक सिंगल पुरुष व औरतें, अविवाहित जोड़ों और होमोसेक्शुअल को सरोगेसी की इजाजत नहीं मिल पाएगी।

कोख अब बेची नहीं जा सकेगी, गिफ्ट कर सकेंगी औरतें
सरोगेसी बिल के सबसे प्रमुख प्रावधानों में से एक यह है कि इसकी मदद से कर्मशल सरोगेसी पर रोक लगाई गई है। इसके तहत सरोगेसी की मदद ले रहे लोग इसके लिए केवल महिला के मेडिकल खर्च और इंश्योरेंस कवरेज का ही भुगतान कर पाएंगे। सरोगेसी करने वाली महिला उस दंपती की करीबी रिश्तेदार होनी चाहिए और उसकी उम्र 25-35 साल के बीच होनी चाहिए। इसके अलावा उस महिला का कम से कम एक अपना बच्चा होना चाहिए।



सरोगेसी बिल के मुताबिक अब कोई महिला जीवन में केवल एक बार सरोगेसी की मदद से दूसरे दंपती के बच्चे पैदा कर सकेगी। इस नए प्रावधान से महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का वह पुराना नियम खत्म हो जाएगा जिसमें किसी महिला को अपने बच्चे समेत पांच बार तक बच्चे पैदा करने की अनुमति मिलती थी।

सरोगेसी के नियम तोड़े तो 10 साल तक की सजा
सरोगेसी बिल के मुताबिक इसके नियमों को काफी कठोर बना दिया गया है। अगर सरोगेसी के ये प्रावधान तोड़े गए तो इसके इच्छुक दंपती और सरोगेट मदर को क्रमशः कम से कम 5 साल और 10 साल तक की सजा हो सकती है। इसके अलावा 5 लाख तक और 10 लाख का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। अगर कोई मेडिकल प्रैक्टिशनर इसके नियमों को तोड़ता पाया गया तो उसे कम से कम 5 साल की सजा और 10 लाख तक का जुर्माना देना पड़ सकता है।

बिल में सुधार की मांग भी उठी
दरअसल सरकार ने इस बिल के माध्यम से व्यवसायिक सरोगेसी (किराए की कोख) को प्रतिबंधित कर दिया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा ने कहा कि व्यावसायिक सरोगेसी को प्रतिबंधित करने की विधि आयोग की सिफारिश के बाद यह विधेयक लाया गया है।तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की काकोली घोष ने हालांकि विधेयक का समर्थन किया और कहा कि इसे जल्दबाजी में तैयार किया गया है। उन्होंने समलैंगिकों और समान लिंग के दंपतियों के लिए विकल्पों की इजाजत देकर इसकी सीमा बढ़ाने की मांग की। उन्होंने अपने शरीर को शेप (खासकर स्टार्स के लिए) में रखने के मकसद से सरोगेसी का इस्तेमाल करने वालों पर भी रोक लगाने की मांग की।

उन्होंने कहा, 'हमें हमारे देश में चल रही फैशन सरोगेसी को रोकना चाहिए। मैं नाम नहीं लेना चाहती, लेकिन फिल्म स्टार और उनके रिश्तेदार केवल इस लिए सरोगेट माताओं का इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि वे अपनी शेप को बिगड़ने देना नहीं चाहते। इस तरह की फैशन सरोगेसी को रोका जाना चाहिए।' उन्होंने एआरटी(सहायक प्रजनन तकनीक) मसौदा विधेयक की तर्ज पर विधेयक पर सार्वजनिक बहस की भी मांग की और कहा कि सरोगेसी विधेयक को एआरटी विधेयक के साथ आना चाहिए।

उन्होंने कहा, 'बिना एक आईवीएफ लैबरेटरी के, बिना टेस्टट्यूब बेबी के हम सरोगेट नहीं कर सकते। इसलिए इन दोनों विधेयकों को साथ लाना चाहिए।' विधेयक का समर्थन करते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की सुप्रिया सुले ने अकेले परिजनों के लिए प्रावधानों की मांग की और कहा कि उन्हें भी कानून में सम्मिलित किया जाना चाहिए। विधेयक उन्हीं दंपतियों को सरोगेसी की इजाजत देता है, जो गर्भधारण नहीं कर सकते।

(आईएएनएस के इनपुट्स के साथ)

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