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इन वजहों से आर्मी चीफ के तौर पर ले. जनरल बिपिन रावत को दी गई तवज्जो

लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत को थल सेना का प्रमुख नियुक्त किया गया है। उन्हें सीनियर आर्मी कमांडर ले. जनरल प्रवीण बख्शी पर तरजीह देते हुए यह अहम जिम्मेदारी दी गई है। पूर्वी कमांड के हेड बख्शी के बारे में कहा जा रहा था कि वह आर्मी चीफ बनने की कतार में हैं...

पीटीआई 17 Dec 2016, 10:53 pm
नई दिल्ली
नवभारतटाइम्स.कॉम lt gen bipin rawat an experienced hand in counter insurgency operations
इन वजहों से आर्मी चीफ के तौर पर ले. जनरल बिपिन रावत को दी गई तवज्जो

लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत को थल सेना का प्रमुख नियुक्त किया गया है। उन्हें सीनियर आर्मी कमांडर ले. जनरल प्रवीण बख्शी पर तरजीह देते हुए यह अहम जिम्मेदारी दी गई है। पूर्वी कमांड के हेड बख्शी के बारे में कहा जा रहा था कि वह आर्मी चीफ बनने की कतार में हैं, उनके अलावा दक्षिणी कमांड के चीफ पी.एम. हारिज को लेकर भी ऐसी चर्चाएं थीं।

रावत की नियुक्ति को लेकर सरकारी सूत्रों का कहना है कि मौजूदा लेफ्टिनेंट जनरल्स में उन्हें इस अहम जिम्मेदारी के लिए सबसे उपयुक्त समझा गया। खासतौर पर उभरती चुनौतियों से निपटने, नॉर्थ में मिलिट्री फोर्स के पुनर्गठन, पश्चिमी फ्रंट पर लगातार जारी आतंकवाद और प्रॉक्सी वॉर और पूर्वोत्तर में जारी संघर्ष के लिहाज से उन्हें सबसे सही विकल्प माना गया।

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सरकारी सूत्रों ने कहा कि लेफ्टिनेंट जनरल रावत के पास अशांत इलाकों में लंबे समय तक काम करने का अनुभव है। बीते तीन दशकों में वह भारतीय सेना में अहम पदों पर काम कर चुके हैं। सूत्रों के मुताबिक वह कई बड़े ऑपरेशन्स की कमान संभाल चुके हैं। पाकिस्तान से लगती एलओसी, चीन से जुड़ी एलएसी और पूर्वोत्तर में वह कई अहम जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं। उन्हें संतुलित तरीके से सैन्य संचालन, बचाव अभियान चलाने और सिविल सोसाइटी से संवाद स्थापित करने के लिए जाना जाता है।

सेना में किसी वरिष्ठ अधिकारी को नजरअंदाज कर उससे जूनियर को कमान सौंपे जाने का यह पहला उदाहरण नहीं है। 1983 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लेफ्टिनेंट जनरल एसके सिन्हा पर ले. जनरल ए. एस वैद्य को तवज्जो देते हुए सेना प्रमुख की जिम्मेदारी सौंप दी थी। इससे नाराज होकर सिन्हा ने इस्तीफा सौंप दिया था। इससे पहले 1972 में इंदिरा गांधी सरकार ने खासे लोकप्रिय रहे लेफ्टिनेंट जनरल पीएस भगत को नजरअंदाज कर दिया था।

दूसरे विश्व युद्ध के लिए विक्टोरिया क्रॉस अवॉर्ड जीत चुके भगत के बारे में माना जा रहा था कि वह सैम मानेकशॉ के उत्तराधिकारी हो सकते हैं। इंदिरा सरकार ने उन्हें नजरअंदाज करते हुए जी.जी. बेवूर को यह अहम जिम्मेदारी सौंपी थी। बेवूर भगत के जूनियर थे। उनके कार्यकाल के दौरान ही भगत रिटायर हो गए थे।

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