ऐपशहर

CJI एसए बोबडे बोले- घरेलू जिम्मेदारी ,बच्चों की पढ़ाई का हवाला देकर महिला वकीलों ने न्यायाधीश पद की जिम्मेदारी से किया इनकार

उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों ने हमें बताया कि समस्या यह भी है कि जब महिला वकीलों को न्यायाधीश के पद पर नियुक्ति के लिए कहा जाता है तो वे अकसर घरेलू जिम्मेदारी या बच्चों की पढ़ाई का हवाला देकर इससे इनकार कर देती हैं।

नवभारतटाइम्स.कॉम 16 Apr 2021, 11:41 am
नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने गुरुवार कहा कि समय आ गया है जब भारत की चीफ जस्टिस महिला होनी चाहिए। 26 जनवरी 1950 को मौजूदा न्यायिक व्यवस्था अस्तित्व में आई और अगले नामित प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण सहित 48 न्यायमूर्ति देश के शीर्ष न्यायिक पद पर आसीन हो चुके हैं लेकिन इनमें से कोई भी महिला नहीं है।

चीफ जस्टिस ने कहा, उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों ने हमें बताया कि समस्या यह भी है कि जब महिला वकीलों को न्यायाधीश के पद पर नियुक्ति के लिए कहा जाता है तो वे अकसर घरेलू जिम्मेदारी या बच्चों की पढ़ाई का हवाला देकर इससे इनकार कर देती हैं।

BR Ambedkar Jayanti News: चीफ जस्टिस शरद बोबडे बोले- 'बाबा साहेब आंबेडकर ने संस्कृत को आधिकारिक भाषा बनाने का दिया था प्रस्ताव'

पीठ ने कहा कि महिला हित हमारे दिमाग में रहता है। इस सोच में बदलाव नहीं आया है। उम्मीद है वे (महिला) नियुक्त होंगी। वकीलों के निकाय की ओर से पेश अधिवक्ता शोभा गुप्ता ने कहा कि हस्तक्षेप आवेदन पर नोटिस जारी होनी चाहिए। हालांकि, पीठ ने कहा कि वह इस मामले पर नोटिस जारी नहीं करेगी।

न्यायालय महिला वकीलों के निकाय द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों के तौर पर नियुक्ति में उनमें मौजूद सराहनीय पर विचार करने का अनुरोध किया गया था। प्रधान न्यायाधीश एसए बोबड़े, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की विशेष अवकाश पीठ ने कहा, क्यों उच्च न्यायपालिका ही। हमारा मानना है कि समय आ गया है जब भारत की प्रधान न्यायाधीश महिला होनी चाहिए।

सीजेआई ने की गोवा के यूनिफॉर्म सिविल कोर्ड की तारीफ, कही ये बात
सुप्रीम कोर्ट वुमेंस लॉयर्स एसोसिएशन (एससीडब्ल्यूएलए) की ओर से पेश अधिवक्ता स्नेहा कलिता ने पीठ से कहा कि उच्च न्यायपालिका में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बेहद ही कम 11.04 प्रतिशत है। पीठ ने कलिता से कहा, ‘हम उच्च न्यायपालिका की नियुक्त में महिलाओं का पर्याप्त प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह भी पेश हुए और उन्होंने कहा, मैं यह नहीं कह रहा है कि वकीलों की न्यायमूर्ति पद पर नियुक्ति को लेकर विचार नहीं होता। उनपर विचार होता है लेकिन समस्या यह है कि उसकी कोई व्यवस्था नहीं है।

अगला लेख

Indiaकी ताजा खबरें, ब्रेकिंग न्यूज, अनकही और सच्ची कहानियां, सिर्फ खबरें नहीं उसका विश्लेषण भी। इन सब की जानकारी, सबसे पहले और सबसे सटीक हिंदी में देश के सबसे लोकप्रिय, सबसे भरोसेमंद Hindi Newsडिजिटल प्लेटफ़ॉर्म नवभारत टाइम्स पर