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मंत्रालय बताएंगे, नए कानून से मुकदमों का बोझ तो नहीं बढ़ेगा?

अगर केंद्रीय मंत्रालय भविष्य में कोई नया कानून लाने की योजना बनाता है तो उसे यह बताना पड़ेगा कि क्या कानून के लागू होने से अदालत में मुकदमों का बोझ ...

BHASHA 25 Sep 2017, 9:00 am

भाषा, नई दिल्ली :

अगर केंद्रीय मंत्रालय भविष्य में कोई नया कानून लाने की योजना बनाता है तो उसे यह बताना पड़ेगा कि क्या कानून के लागू होने से अदालत में मुकदमों का बोझ बढ़ेगा। सरकार के वरिष्ठ पदाधिकारी ने दस्तावेज के हवाले से कहा कि मंत्रालयों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि नए कानून और मौजूदा कानून में संशोधन से मुकदमे न बढ़ें। कानून राज्य मंत्री पी. पी. चौधरी ने अपने वरिष्ठ मंत्री रविशंकर और कैबिनेट सचिवालय को नोट लिखा है।

पदाधिकारी ने कहा कि प्रस्तावित विधेयकों में वैकल्पिक विवाद का समाधान तो किया ही जाना है, ताकि कानून से पैदा हुए विवादों को अदालत के बाहर ही सुलझाया जा सकें। अगर सरकार सुझाव स्वीकार कर लेती है तो भविष्य में संसद में पेश किए जाने वाले सभी विधेयकों में मुकदमों के आकलन का प्रावधान होगा और संबंधित मंत्रालय को यह स्पष्ट करना होगा कि विधेयक के कानून बनने के बाद क्या मुकदमे में बढ़ोतरी की तो उम्मीद नहीं है।

जुलाई के आखिरी सप्ताह में कानून मंत्रालय में न्याय विभाग ने मुकदमेबाजी कम करने के तरीकों पर एक बैठक की थी, जिसमें सरकार एक पक्षकार थी। चौधरी का नोट इसी बैठक का नतीजा है। कानून मंत्रालय के अनुसार देश की विभिन्न अदालतों में लंबित तीन करोड से ज्यादा मामलों में से 46 फीसदी मामलों में सरकारी विभाग या सरकारी निकाय शामिल हैं। पिछले साल अक्टूबर में प्रधानमंत्री मोदी ने सरकार को सबसे बड़ा वादी बताते हुए कहा था कि न्यायपालिका पर बोझ कम करने की जरूरत है, जो अपना ज्यादातर समय ऐसे मामलों से निपटने में खर्च करती है, जहां सरकार पक्षकार होती है।

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